Bhatru Prem Varddhak Tantra

Bhatru Prem Varddhak Tantra :

सब भाइयों में परस्पर प्रेम की अभीबृद्धि के लिए निम्नलिखित प्रयोग (Bhatru Prem Varddhak Tantra) उपयोगी बताया गया है –

Bhatru Prem Varddhak Tantra Vidhi :

जितने भाई हों, उतनी ही संख्या में बाज की छाती के पंख नोंच कर इकट्ठे कर लें । फिर पूर्णिमा की रात्रि में उन परों को दायें हाथ में लेकर किसी जलपूर्ण नदी के तट पर पहुँचे और उन परों को हाथ में लिए हुए ही नदी के पानी में उतनी ही संख्या में डुबकियां लगायें, जितनी संख्या में पंख हों ।

फिर नदी के पानी में खड़े हुए ही निम्नलिखित मंत्र का १००८ संख्या में जप करें –

Bhatru Prem Varddhak Mantra :

मंत्र – “ॐ नम: शंकराय । ॐ नम: शिबाय । ॐ फ्रें फ्रें ह्रीं क्रीं श्रीं फट् बन्धुनां परस्पर स्नेह समाचरेत् स्वाहा ।”

मंत्र – जप पूरा हो जाने पर पंखों का दायें हाथ में लिए हुए ही घर लौट आयें । फिर उन्हें सोना, तांबा अथबा अष्ट धातु से बने हुए ताबीजों में अलग अलग भर कर ताबीजों के मुँह बन्द कर दें । तत्पश्चात ताबीजों में लाल रंग का रेशमी डोरा बाँध दे तथा सभी भाई अपनी दाई भुजा में एक एक ताबीज बाँध लें । जब तक ये ताबीज उनकी बांह पर बंधे रहेंगे, तब तक उन सभी में परस्पर गहरा प्रेम बना रहेगा ।

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