Daamad ki Kundli Shubh ya Ashubh? Jaane Vivaah mein Shubh–Ashubh Yog

दामाद की कुंडली शुभ या अशुभ (Daamad ki Kundli Shubh ya Ashubh) है, यह जानने के लिए ग्रहों की स्थिति सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है। अक्सर सुनने व देखने में आता है की विवाह होते ही अथवा कुछ समय पश्चात पति एवं पत्नी में विच्छेदन हो गया अथवा कन्या पक्ष को बड़ी आर्थिक हानि उठानी पड़ी अथवा सर्व सुख साधन से संपन्न होने पर भी वर वधु प्रसन्न एवं संतुष्ट नहीं रह पा रहे हैं अथवा दामाद की मृत्यु हो गई आदि आदि । इन सबका कारण और कुछ नहीं केवल दोनों जातकों में से किसी एक अथवा दोनों की जन्म कुण्डली में ग्रहों की अशुभ स्थित से उत्पन्न होने वाला दुषप्रभाव है ।

Daamad Ki Kundli Shubh ya Ashubh? Ashubh Grah Yog :

अगर दामाद की कुंडली शुभ या अशुभ (Daamad Ki Kundli Shubh ya Ashubh) होने की स्थिति स्पष्ट न दिखाई दे, तो राहु, शनि और बुध के योगों का अध्ययन आवश्यक है। यदि दामाद की जन्म कुण्डली में राहु अथवा बुध एवं राहु ग्रह तृतीय, अष्टम, नवम अथवा द्वादश भाव में युति में व नीच व अशुभ होकर स्थित हैं अथवा शनि ग्रह द्वितीय भाव में स्थित है, तो ऐसी स्थिति में सम्बंधित वर अपने ससुराल पक्ष के लिए बर्बादी का कारण बनेगा ।
यदि दामाद की जन्म कुण्डली में शनि ग्रह प्रथम भाव में स्थित है तो ऐसा जातक चाहे कितना ही धनवान अथवा प्रतापी क्यों न हो वह आधी उम्र के पश्चात अपनी पत्नी को संतान सहित छोड़ देता है ।
यदि दामाद की जन्म कुण्डली में अष्टम भाव में अल्पायु ग्रह स्थित हों तो ऐसे जातक की आयु संदिग्ध रहती है एवं जातक का जीवन सुखी नहीं होता है । इन्हीं अशुभ ग्रह योगों के कारण कई बार दामाद की कुंडली शुभ या अशुभ (Daamad ki Kundli Shubh ya Ashubh) होने के कारण वैवाहिक जीवन प्रभावित होता है।

Lal Kitab Lagn Kundli Dwara Var–Vadhu ki Aayu ki Vivechana

लाल किताब में दामाद की कुंडली शुभ या अशुभ (Daamad ki Kundli Shubh ya Ashubh) बताने के लिए विशेष नियम दिए गए हैं। लग्न कुंडली में शुक्र एवं बुध यदि दोनों एक दूसरे को देखते हों एवं उन्हें सभी मित्र ग्रह का सहयोग भी प्राप्त हो, तो दोनों की आयु सामान होगी ।
लग्न कुंडली में शुक्र पर शनि की दृष्टि पड़ रही हो एवं उसके अगले भाव में शत्रु ग्रह चन्द्रमा स्थित हो तो ऐसी स्थिति में वधु की मृत्यु वर से पूर्व होती है ।
लग्न कुंडली में बुध ग्रह पर सूर्य ग्रह अथवा राहु की दृष्टि पड़ रही हो एवं शुक्र ग्रह पर सूर्य ग्रह व चन्द्रमा एवं राहु ग्रह की दृष्टि पड़ रही हो, तो ऐसी स्थिति में वधु की मृत्यु वर से पूर्व होती है अथवा दोनों के मध्य तलाक होता है ।
लग्न कुंडली में शुक्र ग्रह पर उसके शत्रु ग्रह सूर्य ग्रह व चन्द्रमा एवं राहु ग्रह की दृष्टि पड़ रही हो, तो ऐसी स्थिति में वर के अनेकों विवाह संपन्न होने की प्रबल सम्भावना होती है, वधु की या तो मृत्यु हो जाती है या तलाक ।
लग्न कुंडली में बुध ग्रह पर उसके शत्रु ग्रह की दृष्टि पड़ रही हो एवं शुक्र ग्रह पर उसके मित्र ग्रह अथवा ग्रहों की दृष्टि पड़ रही हो तो ऐसी स्थिति में वधु की मृत्यु वर की मृत्यु से पूर्व होती है अथवा उसका अलगाव तलाक होता है ।
अंत में समझने वाली बात यह है कि कई बार दामाद की कुंडली शुभ या अशुभ (Daamad ki Kundli Shubh ya Ashubh) होने के कारण वैवाहिक जीवन में समस्याएँ उत्पन्न हो जाती हैं। इसी वजह से विवाह से पहले कुंडली का विश्लेषण करना अत्यंत आवश्यक माना जाता है।

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