मंत्र : “काला भैरव किल-किल करे, गौरा भैरव हंसै ।
दोहाई मोह्म्म्दा पीर की । मेरा बैरी (अमुक) नसै ।।
Dushman Ko Sabak Sikhane Ke Prayog Bidhan :
उक्त मंत्र का प्रयोग शत्रु को दण्डित करने के लिये किया जाता है । मंत्र को सिद्ध करने के लिये साधक को सर्बप्रथम पूर्ब दिशा की और मुंह करके बैठना चाहिए । समय रात्रि को होना चाहिए । अपने सामने दीबार पर साफ-सुथरा सफेद कपडा लगाकर उस पर तीन कील गाड दें । कील पर माला टांग दें । फिर माला के नीचे किसी चौकी आदि को आधार बनाकर उस पर लाल फूल, चाबल, तीर्थ (मदिरा) चर्बण (चबाने जोग्य पदार्थ) तथा एक नई चिलम में गांजा भर कर रख दें । इसके उपरान्त उक्त शत्रु को दण्ड देना मंत्र की 13 माला नित्यप्रति जप करे ।
चर्बण सामग्री प्रतिदिन बदलते रहें । जिस दिन तीर्थ कम अथबा उसका पात्र खाली मिले तो समझ जाना चाहिये कि मंत्र सिद्ध हो गय है । इसके उपरान्त ही मंत्र-प्रयोग (Dushman Ko Sabak Sikhane Ke Prayog) करें । इस क्रिया से बिपखी का उचाटन हो जाता है ।
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जय माँ कामाख्या