Jyotish se Jaane Naukri ya Vyavsay – Kundli Se Career Safalta Ka Sahi Faisla

Jyotish se Jaane naukri ya Vyavsay -Janm Kundli se Sahi career Nirnay :

Jyotish se jaane Naukri ya Vyavsay का सवाल आजके समय में लगभग 80 % लोगो को यह जिज्ञासा होती हे की नौकरी करनी चाहिए या स्वतन्त्र व्यवसाय । लेकिन इस सवाल का जवाब साड़ी पद्धति में से बस एक से ही सटीक जवाब दिया जा सकता हे और यह हे ज्योतिष । यह एक ऐसा माध्यम हे जिसे हम जान सकते हे की हमारे लिए किस क्षेत्र में सबसे अधिक सफलता प्राप्त कर सकते हे।

आज के इस लेख में हम कुछ ऐसे ही पॉइंट आपको बताएँगे जिसे आप जान सकते हे की आपके लिए क्या अच्छा हे नौकरी या व्यवसाय ।

Jyotish se jaane Naukri ya Vyavsay kaise pata kare :

Jyotish se jaane Naukri ya Vyavsay के लिए जन्म कुंडली के कुछ विशेष भावो का अध्ययन किया जाता है ।

Jyotish se jaane Naukri ya Vyavsay me Naukri ke liye kaun se Bhav dekhe jaate hain :

➥ जन्म पत्रिका में छठवें भाव और ग्यारहवे भाव को नौकरी के लिए देखा जाता हे । जब की दशवे और सातवे भाव को स्वतंत्र व्यवसाय के लिए देखा जाता हे ।
➥ जब छट्ठे भाव में शुभ गृह और छट्ठे भाव का स्वामी बलवान हो तब या छट्ठे भाव का स्वामी शुभ ग्रह के साथ हो तब जातक को नौकरी में अच्छी सफलता मिलाती हे ।
➥ केंद्र यानी 1,4,7 और 10वे भाव में से कोई एक भाव में सूर्य बलवान होकर बता हो तब जातक सरकारी नौकरी करता हे ।
➥ छट्ठे भाव का स्वामि अगर दुसरे या ग्यारहवे भाव में हों या फिर किसी और तरह से सम्बंध भी बन रहा हो तब जातक नौकरी से धनोपार्जन कर सकता हे ।
➥ दुसरे भाव का स्वामी, दशवे भाव का स्वामी और ग्यारहवे भाव का स्वामी छट्ठे भाव में या फिर छट्ठे भाव के स्वामी के साथ हो तब दासयोग बनता हे । ऐसे में जातक दूसरो की सेवा कर कर धन को अर्जित कर सकता हे ।

Jyotish se jaane Naukri ya Vyavsay me Vyavsay ke liye kaun se Bhav dekhe jaate hain :

जब दशवे भाव में शुभ ग्रह हो, दशवे भाव का स्वामी मजबूत होकर बैठा हो तब जातक के लिए व्यवसाय अच्छा रहता हे ।

Jyotish se jaane Naukri ya Vyavsay me Dasham Bhav ka mahatva :

➥ दशवे भाव में पाप ग्रह उच्च का हो या स्वगृही हो या फिर दशवे भाव में पाप ग्रह वक्री हो तब स्वतंत्र व्यवसाय में जातक आगे बढ़ सकता हे ।
➥ स्वतंत्र व्यवसाय का फलादेश करने से पहले जन्म पत्रिका में कितने धनयोग हे और कितने राजयोग हे उसे ध्यान में लेना आवश्यक हे ।
➥ दुसरे भाव का स्वामी और ग्यारहवे भाव का स्वामी मजबूती से बेठे हो केंद्र और त्रिकोण के मालिक एक दुसरे से सम्बन्ध में हो और दशवा भाव बली हो तब व्यवसाय को पसंद करना अच्छा होता हे ।
➥ दशवे भाव में स्थित योग कारक ग्रह स्वतंत्र व्यवसाय का सूचित करता हे ।

Antim nirnay kaise kare – Naukri ya Vyavsay

अंत में , Jyotish se jaane Naukri ya Vyavsay का निर्णय तभी सही होता है , जब जनम कुण्डली के सभी भाव , योग और दशा का सही विश्लेषण किया जाये।

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Acharya Pradip Kumar is the founder of Mystic Shiva Astrology and a practitioner of Vedic astrology with a solution-oriented approach. His work focuses on understanding birth charts as tools for clarity, awareness, and practical decision-making rather than fear-based predictions. Rooted in classical astrological principles and real-life experience, he emphasizes responsible guidance, timing, and conscious remedies aligned with an individual’s life path.

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