Kundli Mein Doosra Vivah Yog: Doosri Patni Aur Anya Striyon Ke Sanket Kaise Dekhen?

प्रायः अधिकांशतः सभी को ज्ञात होता है कि हमारी जन्म कुंडली का सप्तम भाव भार्या व विवाह स्थान कहलाता है । लेकिन यह तथ्य बहुत कम व्यक्तियो को ज्ञात होता है कि जीवन साथी से अलगाव के पश्चात आगामी दूसरा विवाह योग (Kundli Mein Doosra Vivah Yog) अथवा भार्या या स्त्री का विचार कहां से करें और किस भाव से करें । इस विषय मे भी आपको विद्वानो का मतांतर देखने को मिल सकता है ।
हमे ज्ञात है कि सप्तम स्थान भार्या अर्थात पत्नी स्थान होता है लेकिन अगर हमारी पहली पत्नी से हमारा अलगाव होता है या अपनी पहली पत्नी के अतिरिक्त दूसरी स्त्री का विचार करें या संबध बनाये तो वह हमारी पत्नी की सौतन कहलायेगी अर्थात सप्तम भाव से छटा भाव यानी कि हमारी कुंडली का 12वां भाव दूसरी स्त्री को सूचित करता है, इसीलिए कुंडली का 12 भाब से दूसरा विवाह योग (Kundli Mein Doosra Vivah Yog) देखा जाता है ।
इसी तरह तीसरी स्त्री का स्थान 12वे से छटा यानी कि कुंडली का 5वां स्थान से तीसरा विवाह योग देखा जाता है । क्रमशः इसी तरह आप अन्य स्त्रीयो का विचार कर सकते है ।

Doosra vivaah aur striyon se sambandhit kuchh Yog :

यदि सप्तमेश और द्वितीयेश शु्क्र के साथ या पाप ग्रह के साथ होकर 6, 8, 12 भाव मे हो तो दूसरा विवाह का योग बनता है।
यदि लग्न,सप्तम, चंद्र द्विस्वभाव राशियो मे पड रहे हो तो दूसरे विवाह के योग मे सहायक होते है।
यदि लग्नेश ,सप्तमेश , जन्मेश्वर व शुक्र द्विस्वभाव राशियो मे हो तो भी दूसरे विवाह के योग बनते है।
यदि सातवे घर का मालिक शुभ ग्रहो से युक्त होकर 6,8,12 मे पडा हो और सातवां भाव पाप युक्त हो तो दूसरी शादी का योग (Kundli Mein Doosra Vivah Yog) बनता है ।
लग्नेश उच्च ,वक्री ,मूलत्रिकोण,स्वग्रही या अच्छे वर्ग का हो तो बहुत सी स्त्रीयो की प्राप्ती कराता है।
यदि सातवां भाव पापयुक्त हो व सातवे का मालिक नीच राशि मे हो तो दो विवाह का योग (Kundli Mein Doosra Vivah Yog) बनता है।
चंद्रमा या शुक्र सातवे हो तो जीवन मे अनेक स्त्रीयो का योग बनता है।
यदि नोवें घर का मालिक सातवे घर मे हो और सातवे घर का मालिक चौथे घर मे हो तथा सातवे और ग्यारहवें घर का मालिक केन्द्र मे हो तो अनेक स्त्री़यो का योग बनता है।
दसवे घर के मालिक और उसका नवांशपति दोनो शनि के साथ हो और साथ मे छटे घर का मालिक भी हो या छटे घर के मालिक देख रहा हो तो अनेक स्त्रीयो का योग बनता है।
यदि 1,2,7 भावो मे कोई पापी ग्रह हो और सातवे का मालिक नीच या अस्त हो तो अनेक स्त्रीयो का योग बनाता है।……. इस तरह काफी योग है।

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