एस्ट्रो साइंस के दुनिया मे खोज ने के लिये बोहुत कुछ है । जो लोग इस दुनिया मे आते हैं वो आपने मन के कई सबालो के जबाब जान ने के लिये आते हैँ । एक बहुत आम सबाल है कि क्या उनके कुंडली प्रेम विवाह योग (Kundli Mein Prem Vivah Yog) है या अरेंज्ड मैरिज योग। आम तौर पे ज्यादा तर लोग प्रेम विवाह करना चाहते हैँ पर ऐसा हमेशा क्यूँ नहि हो पाता है । एसा क्यूँ होता है ,चलो जानते हैं ।
आपके कुंडली मे ऐसे योग होने चाहिये जो प्रेम विवाह के और ईशरा करे । एक बात यहाँ गौर करने बाली है कि इन योगो का ना होने का मतलब ये नही है कि आपकी प्रेम विवाह होने का कोई संभाबना नही है । यहाँ पर ज्योतिष का एक मुल सिद्धान्त कि भुमिका अहम है जो कि है स्थान, काल और पात्र ।
अगर आप देखेँ पश्चिमि देशो के ज्यादातर लोग प्रेम विवाह कर लेते हैँ पर उन जगहो मे तलाक के मामले बहुत ज्यादा होते हैँ भारत जैसे देश के मुकाबले । इस लिये जो भि ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक़ प्रेम विवाह योग (Kundli Mein Prem Vivah Yog) यहाँ पर आलोचित होंगे उनको समझदारी के साथ विश्लेशन करना चाहिये ।
आपको पहले लग्न के मालिक, 5बे घर का मालिक, 7बे घर का मालिक , चन्द्र और शुक्र कि अवस्था को देखना चाहिये । पहले हम कुछ साधारण योगो से शुरुआत करेंगे ।
अगर शुक्र और चंद्र आपके कुंडली में एक साथ हो तो आपके अच्छे प्रेम विवाह योग (Kundli Mein Prem Vivah Yog) बनते हैं । खास तौर पे, अगर यह योग लग्न , द्वितीय ,पंचम , सप्तम या एकादश भाव में बन रहे हैं ।
ज्योतिष मे चंद्र आपके मन को और शुक्र प्यार को दर्शाता है और जब ये दोनों उर्जाये आपके कुंडली एकत्रित हो जाते हैं तो यह बहुत साफ़ दर्शाता है की आप उस जादू को, उस रोमांस को और उस बेतहाशा ख़ुशी को उपभोग करना चाहते लोग प्यार मे होने पे महसूस करते हैं । ये प्रेम विवाह योग तभी अपना फल देता है जब यह बुरे ग्रह से युक्त न हो या बुरी दृष्टि प्राप्त न कर रहा हो ।
कुंडली में प्रेम विवाह के एक और लोकप्रिय योग (Kundli Mein Prem Vivah Yog) है शुक्र मंगल योग । ज्योतिषी अक्सर इसे प्रेम विवाह सूचक मानते हैं । असल में जब भी मंगल और शुक्र साथ में आते हैं तो वो जातक को बहुत उत्सुक कर देता है और साथ ही उसकी यौन इच्छाएं और ऊर्जा को भी बढ़ा देते हैं । यह खास तौर पे सत्य है जब ये प्रेम विवाह योग मिथुन, सिंह या वृश्चिक राशि में बन रहे हैं । इसी बजह से जातक बर्बर प्यार में पड़ना चाहता है जो की साधारणतह विवाह तक पहुच ही जाता है ।
प्रेम विवाह योग में राहु की भूमिका भी काफी अहम् है । राहु धोखा है, राहु भौतिकबादी है,राहु लोभी है । जब भी राहु शुक्र या मंगल के साथ योग बनाता है तो वो निश्चित तौर पे जातक को भोगविलास की तरफ ले जाता है ।
अब भाव पतियो के योग की बात करेंगे । प्रेम विवाह योग (Kundli Mein Prem Vivah Yog) के लिए लग्न , द्वितीय , पंचम भाब ,सप्तम भाब & एकादश भाब को देखना चाहिए ।
पहला भाव और उसका मालिक हमेशा ही बहुत महत्वपूर्ण होते हैं क्योँकि पहला भाब ब्यक्ति खुद होता है । पहला भाव और उसके स्वामी की अवस्था ब्यक्ति की शारीरिक और मानसिक स्थिति को दर्शाता है । वो इस दुनिया से कैसे जुड़ा हुआ है, उसकी रूचि किस चीज़ में है, वो क्या प्राप्त करना चाहता है । इसी वजह से पहला भाव ये निर्णय करने में बड़ी भूमिका लेता है की प्रेम विवाह होगा या नहीं ।
अब दूसरे भाव पर आते हैं । दूसरा भाब संबंधों का है । विशेष रूप से दो परिवारों के बिच संबंधों। इसे समाज का मोहोर मन जा सकता है । अगर ऊपर बताया गया कोई योग इस भाव में बनता है तो प्रेम विवाह योग (Kundli Mein Prem Vivah Yog) की संभावना काफी होती है ।
5 वा भाव Relationship का घर है, विशेष रूप से रोमांटिक और ‘मजेदार’ संबंधों का ५वा घर और उसके स्वामी की अवस्था देखकर ये जाना जा सकता है की जातक कितने प्रेम संबंधों बनाने वाला है । जब ये सब योग (Kundli Mein Prem Vivah Yog) कुंडली में ५वे घर में हो रहे हो तो वो प्रेम विवाह की संभावनाओ को बहुत गंभीरता के साथ दिखता है ।
अगर 5 वे और 7 वे घर का स्वामी किसी भी भाव में एकत्रित हो जाये तो प्रेम विवाह योग (Kundli Mein Prem Vivah Yog) के संभावनाओ को दर्शाता है । आप कह सकते हैं की इस प्रेम विवाह की सम्भावना 7०% है और अगर यह योग 1 ,5 , 7 या 11 वे भाव में बन रहे हैं तो Chances और भी बढ़ जाती हैं ।
अगर 5 वे घर का स्वामी और 7 वे घर का स्वामी परिवर्तन योग बनाते हैं, यानि 5 वे का स्वामी 7 वे घर में और 7 वे का स्वामी 5 वे घर में हो तब भी प्रेम विवाह योग (Kundli Mein Prem Vivah Yog) की बड़ी अच्छी संभावनाएं होती है ।
7 बा घर लंबे समय तक चलने वाली सम्मन्धों का है और इसी बजह से इसे शादी का भाव कहते हैं ।
जहाँ 5 बा घर रोमांटिक सम्बंध को दर्शाता है, वहीँ 7 बा घर उस सम्बंध का क्षमता दर्शाता है ।
अगर 5 बे घर का स्वामी 7 बे भाव के स्वामी और 11 बे भाव के स्वामी के साथ युति बनाता है तो,कुंडली में यह योग (Kundli Mein Prem Vivah Yog) स्ट्रोंग हो जाता है , जिसके प्रभाब से प्रेम विवाह होना एक प्रकार तय है ।
उसके बाद आता है 11 बा भाव । 11 बा भाव लाभ भाव है, इच्छा पूर्ति की भाव है । इसलिए ये प्रेम विवाह में इस भाव की भूमिका बड़ी अहम् है । अगर 11 बे भाव का मालिक 5 बे और 7 बे घर के मालिक की युति में हिस्सा लेता है या उन दोनों की युति स्वयं 11 बे भाव में बनती है तो प्रेम विवाह की सम्भावना प्रबलतर हो जाती है । ये था कुंडली में प्रेम विवाह करने वाले कुछ योग (Kundli Mein Prem Vivah Yog)।
Grahon Ki Degree Kya Kehta Hai ?
ग्रहों की युति कितनी बलबान है ये देखने के लिए उनकी डिग्री को देखना बेहद ज़रूरी है । ग्रह जितने पास होंगे, युति उतनी ही बलबान होगी । अगर दो या उससे अधिक ग्रह 1 डिग्री के अंदर स्थित हों, तो वह एग्जेक्ट कंजंक्शन कहलाता है ।
अगर गृह 5 डिग्री के अंदर हैं, तो वो नज़दीकी कंजंक्शन होता है पर 10 डिग्री के बहार होने वाली कोई भी युति, अपनी ताकत बहुत ज़्यादा खो देती है ।
अगर बताये गए ग्रह युति न बना कर के, आपस में म्यूच्यूअल आस्पेक्ट करे यानि यो एक दूसरे को देख रहे हो तब भी वो वही फल देता है ।
इस सन्दर्भ में आप नवांश की भूमिका और उसकी अहमियत को अनदेखा नहीं कर सकते । आप इसको किसी भी तरह से देखें इस बात में कोई संदेह नहीं है के वैदिक ज्योतिष में नवांश की बड़ी खास अहमियत है ।
जहातक प्रेम विवाह योग (Kundli Mein Prem Vivah Yog) की बात है, वो सारे योग जो राशि चार्ट मे होने चाहिए वही योग किसी भी रूप में नवांश में है या नहीं यह भी देख लेना आवश्यक है । अगर नवांश मे प्रेम विवाह योग नहीं है मगर राशि चार्ट मे योग हैं तो एक सम्भावना यह भी बनती है की दोनों में प्यार तो बहुत हो पर परिस्थितियों के चलते बात शादी तक न पहुचे ।
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ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार (Mob) +91- 9438741641 (call/ whatsapp)