Kundli Mein Santan Sukh Ka Vichar :
1.Position Of The Planet That Gives Birth to a Son :
कुंडली में पुत्रकारक ग्रहों की स्थिति और दशा का महत्वपूर्ण योगदान होता है । बुध और गुरु पुत्रकारक ग्रह होते हैं, इनकी स्थिति और दशा के आधार पर संतान सुख का पूर्वानुमान (kundli Mein Santan Sukh Ka Vichar) किया जा सकता है ।
2.Position Of The Fifth House :
कुंडली में पंचम भाव संतान सुख के लिए महत्वपूर्ण होता है। इस भाव की स्थिति, ग्रहों की योग्यता और बल के आधार पर संतान सुख का प्रबलीकरण किया जा सकता है ।
3.Checking Yogas in Birth Chart :
कुंडली में विभिन्न प्रकार के योगों की जांच की जाती है जैसे कि पुत्राधिपति योग, संतान सुख के योग आदि। ये योग ग्रहों के संयोजन से उत्पन्न होते हैं और संतान सुख की संभावना को दर्शाते हैं ।
4.Status Of Navamsha Kundli :
नवांश कुंडली भी बच्चे सुख के लिए महत्वपूर्ण होती है । नवांश कुंडली में ग्रहों की स्थिति और योगों की जांच के आधार पर संतान सुख का पूर्वानुमान (Kundli Mein Santan Sukh Ka Vichar) किया जा सकता है।
5.Effect of Dasha- Antardasha :
बच्चा सुख का अधिकांश प्रभाव ग्रहों की वर्तमान दशा और अंतरः के आधार पर होता है। अगर ग्रहों की वर्तमान दशा में संतान सुख के योग बन रहे हैं, तो संतान सुख की संभावना बढ़ जाती है ।