Know Why Marriages Break Even After Being Fixed ?

Know Why Marriages Break Even After Being Fixed ?

(१) यदि कुंडली में सातवें घर का स्वामी सप्तमांश कुंडली में किसी भी नीच ग्रह के साथ अशुभ भाव में बैठा हो तो शादी तय नहीं हो पाती है ।
(२) यदि दूसरे भाव का स्वामी अकेला सातवें घर में हो तथा शनि पांचवें अथवा दशम भाव में वक्री अथवा नीच राशि का हो तो शादी तय होकर भी टूट जाती है (Marriages Break Even After Being Fixed)।
(३) यदि जन्म समय में श्रवण नक्षत्र हो तथा कुंडली में कही भी मंगल एवं शनि का योग हो तो शादी तय होकर भी टूट जाती है (Marriages Break Even After Being Fixed) ।
(४) यदि मूल नक्षत्र में जन्म हो तथा गुरु सिंह राशि में हो तो भी शादी तय होकर टूट जाती है (Marriages Break Even After Being Fixed)। किन्तु गुरु को वर्गोत्तम नहीं होना चाहिए ।
(५) यदि जन्म नक्षत्र से सातवें, बारहवें, सत्रहवें, बाईसवें या सत्ताईसवें नक्षत्र में सूर्य हो तो भी शादी तय होकर टूट जाता है (Marriages Break Even After Being Fixed)।

Why Does Divorce Happen ?

(१) यदि कुंडली मांगलीक होगी तो विवाह होकर भी तलाक हो जाता है । किन्तु ध्यान रहे किसी भी हालत में सप्तमेश को वर्गोत्तम नहीं होना चाहिए ।
(२) दूसरे भाव का स्वामी यदि नीचस्थ लग्नेश के साथ मंगल अथवा शनि से देखा जाता होगा तो तलाक हो जाएगा । किन्तु मंगल अथवा शनि को लग्नेश अथवा द्वितीयेश नहीं होना चाहिए ।
(३) यदि जन्म कुंडली का सप्तमेश सप्तमांश कुंडली का अष्टमेश हो अथवा जन्म कुंडली का अष्टमेश सप्तमांश कुंडली का लग्नेश हो एवं दोनों कुंडली में लग्नेश एवं सप्तमेश अपने से आठवें घर के स्वामी से देखे जाते हो तो तलाक निश्चित होगा ।
(४) यदि पत्नी का जन्म नक्षत्र ध्रुव संज्ञक हो एवं पति का चर संज्ञक तो तलाक हो जाता है । किन्तु किसी का भी मृदु संज्ञक नक्षत्र नहीं होना चाहिए ।
(५) यदि अकेला राहू सातवें भाव में तथा अकेला शनि पांचवें भाव में बैठा हो तो तलाक हो जाता है । किन्तु ऐसी अवस्था में शनि को लग्नेश नहीं होना चाहिए । या लग्न में उच्च का गुरु नहीं होना चाहिए ।

Husband & Wife Character :

(१) यदि कुंडली में बारहवें शुक्र तथा तीसरे उच्च का चन्द्रमा हो तो चरित्र भ्रष्ट होता है ।
(२) यदि सातवें मंगल तथा शुक्र एवं पांचवें शनि हो तो चरित्र दोष होता है ।
(३) नवमेश नीच तथा लग्नेश छठे भाव में राहू युक्त हो तो निश्चित ही चरित्र दोष होता है ।
(४) आर्द्रा, विशाखा, शतभिषा अथवा भरनी नक्षत्र का जन्म हो तथा मंगल एवं शुक्र दोनों ही कन्या राशि में हो तो अवश्य ही पतित चरित्र होता है ।
(५) कन्या लग्न में लग्नेश यदि लग्न में ही हो तो पंच महापुरुष योग बनता है । किन्तु यदि इस बुध के साथ शुक्र एवं शनि हो तो नपुंसकत्व होता है ।
(६) यदि सातवें राहू हो तथा कर्क अथवा कुम्भ राशि का मंगल लग्न में हो तो या लग्न में शनि-मंगल एवं सातवें नीच का कोई भी ग्रह हो तो पति एवं पत्नी दोनों ही एक दूसरे को धोखा देने वाले होते है ।

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जय माँ कामाख्या

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