बहुत सालों के अनुभव के बाद एक बात मैं आपके सामने आज जनकल्याण हेतु खोलने जा रहा हूँ ये कोई साधारण बात नहीं है हम लोगों के जीवन में जरूर ये समस्या आती है वो है 0 से 12 साल के बच्चों का अक्सर बीमार हो जाना सधारण तयः चिकित्सा करवाने से ठीक हो जाता है लेकिन कई बार ऐसा भी होता है कि बहुत ज्यादा इलाज होने पर भी बच्चा ठीक नहीं होता या दवा असर नहीं करती।
मेरा उद्देश्य चिकित्सा प्रणाली पर प्रश्न चिन्ह उठाना नहीं है हमारे भी बच्चे जब बीमार होते हैं तो हम भी अपने बच्चों को डॉक्टरों के पास लेकर जाते हैं और उनका इलाज करवाते हैं लेकिन उसके बावजूद जब दवा ना लगे तो उपाय बिना देर किए करना चाहिए ताकि किसी बच्चे के प्राणों की रक्षा हो सके इसी लक्ष्य को सामने रखकर मैं आपके लिए यह कुछ उपाय (Pootana Grah Shanti Puja) लेकर आया हूं। ये उपाय विद्वान ब्राह्मणो द्वारा तब से करवाये जा रहे हैं जब चिकित्सा पद्धति इतनी विस्तृत नही थी और आज भी अगर किसी द्वारा ये उपाय (Pootana Grah Shanti Puja) किये जाते हैं तो इनका प्रभाव उतना ही है।
Pootana Grah Shanti Puja : Cause, Symptoms & Remedies
अब बात यह है इसका कारण (Pootana Grah Shanti Puja) – आपको यह पूतना 12 वर्ष के कम बच्चों को धरती है ग्रसित करती है उसका कारण यह हैं बहुत मैले बिछोने पर अकेली जगह में छोटे बच्चे को सुला देने से पूतना नाम की राक्षसी उसमें प्रवेश होने पर बच्चा बीमार हो जाता है तब पूतना की बलि देने से अच्छा होता है।
जब कभी बच्चा बैठे-बैठे गिर पड़े या यूं मालूम हो किसी ने बच्चे को गिराया है और मूर्छा आ गई है अथवा एका एक कोई रोग हो गया है तब जानू उसे महा पूतना ने ग्रसा है।
यदि कोई लोभ आदि के वश में आकर वनदेवता या नाग देवता का तिरस्कार कर दे तो उसके बालक को मैं मध्य प्रवेश कर लेती है।
यदि कोई मनुष्य अपनी ऋतु स्त्रावित स्त्री का गमन करें और उसके बाद में स्नान किए बिना बच्चे को छू ले या माता अथवा पिता दोनों में से कोई भी उसके साथ सो जाए तो बालक्रांता नाम की राक्षसी का दोष होता है।
बच्चे को इत्र फुलेल और फूल माला पहना कर बाहर जाने से रेवती ग्रह दोष लगता है।
सिर खुले जूठे वालों को संध्या के समय सोने से रेवती का आवेश होता है संध्या के समय जमीन पर सोने से अथवा खेलने से बालक को पुष्प रेवती का दोष होता है।
कदाचित बालक खेलता खेलता गिर जाए अथवा उसे उल्टी हो या नहीं भूले हो उसे शुष्क रेवती का आवेश होता है।
झूठा खाने और देवता के स्थान पर मल मूत्र करने से शकुनी ग्रही नामक राक्षसी बालक को पकड़ लेती है ।
जो नित्य कर्म संध्या वंदना आदि कर्म नहीं करते जो लोग पक्षियों को पालते हैं जन्मांतर में उनके बालकों को शिशु मुनी का राक्षसी का दोष होता है। फिर उसका पूजन और बलि धूप आदि दान करने से शांति होती है।
जिस बालक के नाखून और दांतो में विकार हो, दांत पीसे ,नींद ना आवे, डर लगता रहे, शरीर से दुर्गंध उठे, आंख मीचना, शरीर को ऐंठे, रुदन करे, अनेक प्रकार की चेष्टा करें अधिक हो जावे उसे ग्रहाविष्ट जाना चाहिए।
उबटन:- इस उबटन से बालक के ग्रह शांत होते है। अब इसका उबटन बताता हूं दुर्वा, कुटकी, नीम के पत्ते, तज, का उबटन बनाकर के शरीर में मलकर पीछे पीपल के पत्ते और लिसोड़े के पत्ते का काढ़ा बनाकर स्नान कराने तो यह दूर होता है।
सर्व बाल ग्रह शांति हेतु और देवालय में जाकर ज्योति दर्शन बालक को करवावे ।
मन्त्र बताता हूं आपको “ॐ हिनस्ति दैत्यतेजांसि स्वंनेनापूर्य या जगत । सा घण्टा पातु नो देवि पापेभ्यो नः सुतानिव।।” इसका जाप करें दीप जला कर मंदिर में दही और उड़द के आटे से बने हुए वड़े की बलि दें मंदिर में पीतल की घंटी देवता के स्थान पर बांधे तो बच्चों को लाभ होता है।
Pootana Afflictions in Children Based on Birth Month, Day & Year
Newborn Baby Symptoms in First 24 Hours
पहले दिन, मास, वर्ष को बालक योगिनी नामक पूतना से ग्रस्त होता है इसमें बालक को हीनज्वर गात्रशोथ अनाआहार वमन मूर्च्छा कांपना उदरपीड़ा सभी बीमारियों से पूतना के कारण ग्रस्त होता है।
इस पूतना शांति में बली के लिए जिस मूर्ति की पूजा की जाती है वह नदी की मिट्टी निकाल कर तैयार की जाती है। और बलि में सफेद चावल, सफेद फूल, सफेद चंदन का लेप, 5 पुड़े, 5 दीपक , 5 ध्वजा सफेद रंग, की प्रातः काल के समय घर से पूर्व दिशा में जाकर चौराहे पर या खाली उजाड़ जगह में लगातार तीन दिन बलि देवें।
जो धूप आपने बनानी है उसके लिए सरसों, बालछड़, आंक, बिल्वपत्र, काले तिल मनुष्य के केस नीम और घी इनको मिलाकर धूप तैयार करें और गाय के गोबर के कंड़े को सुलगाकर के बालक के कमरे में इसकी धूनी देने प्रति दिन लगातार तीन दिन और इसको धूनी देने से बहुत ज्यादा लाभ होता है।
Pootana Grah Shanti Puja Mantra :
मंत्र है “ॐ नमो भक्त वत्सले मोचिनी स्वाहा।”
पुतना की शांति हेतु बलि धूफ और पूजन इसी मंत्र से किया जाना चाहिए।
स्नान मन्त्र:- “ॐ ब्रह्माविष्णुश्च रुद्रश्च सकन्दो वै श्रवण स्थता।राक्षन्तु त्वरितंबालं मुन्च मुन्च कुमार्कम्।”
Newborn Baby Symptoms in 2nd Day :
दूसरे दिन मास वर्ष में बालक को सुनंदना नामक पूतना ग्रस्त करती है इसके लक्षण मंद ज्वर, हाथ पाँव सँकोच करना दांतो को पीसना आंखों को मीचना आंखों में दर्द और बहुत ज्यादा लगातार रुदन करना ये लक्षण हों तो बालक को सुनंदना पूतना से ग्रसित जानना चाहिए।
उपाय केलिए सवा सेर चावल के आटे का स्त्री के पुतले का निर्माण करना चाहिए। और पश्चिम दिशा में सायं काल को लगातार तीन दिन तक पूतना के निमित्त बलि दे। बलि में सवा सेर भात, आटे के पूड़े, भुनी हुई मछली ,बकरे का मांस 13 दीपक, सफेद रंग के13 झंडे पूतना के निमित्त बलि दे।
धूनी के लिए सरसों, बालछड़, आंक, बिल्वपत्र, काले तिल मनुष्य के केस नीम और घी इनको मिलाकर धूप तैयार करें और गाय के गोबर के कंड़े को सुलगाकर के बालक के कमरे में इसकी धूनी देने प्रति दिन लगातार तीन दिन और इसको धूनी देने से बहुत ज्यादा लाभ होता है।
Pootana Grah Shanti Puja Mantra :
मन्त्र “ॐ नमो भगवती स्वाहा।”
पुतना की शांति हेतु बलि धूफ और पूजन इसी मंत्र से किया जाना चाहिए।
स्नान करने का मन्त्र “ ॐ नमसच्चामुंडायै विच्चे ह्रां ह्रां ह्रीं ह्रीं ह्रूं ह्रूं स्थानाद्र आज्ञया स्वाहा।”
Newborn Baby Symptoms in 3rd Day :
तीसरे दिन मांस वर्ष में बहुत अधिक तेज़ ज्वर आना, बच्चे का रुदन करना, बच्चों को भूख ना लगना, बच्चे का शरीर का कांपना, बार बार उल्टी आना, रोमांच यानी रोये खड़े हो जाना, बच्चे का नींद में चौक जाना उदर पीड़ा।
इसकी बली के लिए जो पुतला बनाया जाता है उसको स्त्री के स्वरूप का सवा से चावल के आटे का पुतला बनाना है और 3 दिन तक पश्चिम दिशा में संध्याकाल को बलि देनी है। बलि के लिए सवा सेर लाल रंग डालकर चावल बनाए, 10 लाल ध्वजा, लाल चंदन का लेप, 10 गेंहू के आटे के पूड़े, 5 पूरन पौली, 10 दीपक पश्चिम दिशा में शाम को लगातार तीन दिन किसी वृक्ष के नीचे रखना है।
Pootana Grah Shanti Puja Mantra :
मंत्र है:- “ॐ नमो भगवती स्वाहा।”
पुतना की शांति हेतु बलि धूफ और पूजन इसी मंत्र से किया जाना चाहिए।
स्नान मन्त्र “ॐ नमसच्चामुंडायै विच्चे ह्रां ह्रां ह्रीं ह्रीं ह्रूं ह्रूं स्थानाद्र आज्ञया स्वाहा।”
Newborn Baby Symptoms in 4th Day :
चौथे दिन मांस और वर्ष को मुखमुंडिका नामक पूतना बालक को ग्रस्त करती है। इसके लक्षण ज्वर, आंख मीचना, सिर को गिरा लेना आगे या पीछे, सिर को झुकाना ,भोजन ना करना ,बच्चे को नींद ना आना, नींद से उठ जाना ,नींद में चिल्लाते हुए बच्चे का उठना, यह मुकहमुंडिका नामक पूतना से ग्रसित होने के लक्षण है।
इस पूतना को बलि देने के लिए सवा सेर तिल के चूर्ण की पीठी बनाकर उससे स्त्री की प्रतिमा बनाई जानी चाहिए। जो बलि इसमें दी जाती है उसमें 5 सफेद फूल 5 सफेद ध्वजा, 5 दीपक, सवा सेर भात, एक सेर आटे के पूड़े, आधा शेर पूरन पौली शाम को पश्चिम दिशा में वृक्ष के नीचे तीन दिन लगातार यह बलि दी जानी चाहिए।
इसमें दी जाने वाली धूनी लहसुन, गाय का सींग, सांप की केंचुली, नीम के पत्ते, मनुष्य और बिल्ली के बाल और घी यह मिलाकर इसकी धूनी तैयार की जाती है। इसे बालक के कमरे में लगातार दिया जाना चाहिए।
Pootana Grah Shanti Puja Mantra :
मन्त्र:- “ॐ नमो पूतने मातवीर्रलि भक्ष सुशोभने बलकमुंच सुयोगेन बलिदाने महर्षयेत।”
पुतना की शांति हेतु बलि धूफ और पूजन इसी मंत्र से किया जाना चाहिए।
स्नान करने का मन्त्र “ॐ नमसच्चामुंडायै विच्चे ह्रां ह्रां ह्रीं ह्रीं ह्रूं ह्रूं स्थानाद्र आज्ञया स्वाहा।”
Newborn Baby Symptoms in 5th Day :
पांचवें दिन मास या वर्ष में विडालिका नामक पूतना बालक को ग्रस्त करती है। उसके लक्षण ज्वार, देह पीड़ा, उदर पीड़ा, अरुचि, आंखों का मीचना, बालक का गर्दन को झुकाना अगर यह लक्षण हों तो बालक को विडालिका नामक पूतना से ग्रस्त मानना चाहिए ।
सवा सेर चावल के आटे का पुतला बनाकर संध्या काल में पश्चिम दिशा में जाकर वृक्ष के नीचे 3 दिन लगातार यह बलि देनी होती है।बलि में सवा सेर भात, पांच पूरियां, सफेद चंदन का लेप, 5 श्वेत पुष्प, 5 दीपक, 5 श्वेत झंडे, 5 गेहूं के आटे के पूड़े, पश्चिम दिशा में सायं काल में वृक्ष के नीचे लगातार तीन दिन मंत्र उच्चारण करते हुए रखने हैं।
इसमें भी दी जाने वाली धूनी लहसुन, गाय का सींग, सांप की केंचुली, नीम के पत्ते, मनुष्य और बिल्ली के बाल और घी यह मिलाकर इसकी धूनी तैयार की जाती है। इसे बालक के कमरे में लगातार दिया जाना चाहिए।
Pootana Grah Shanti Puja Mantra :
मन्त्र:- “ॐ सुभगे सुभलेदेवि सर्व शत्रुनिवारिणी वुलरू शांति शिशो: स्वथ्यं जीव दानेन राक्षसि।”
पुतना की शांति हेतु बलि धूफ और पूजन इसी मंत्र से किया जाना चाहिए।
स्नान करने का मन्त्र : “ॐ भगवती ह्रीं ह्रीं ह्रीं ह्रूं ह्रूं मुन्च रक्षां कुरु कुरु बलिं गृहाण अस्त्र ठ: ठ: चामुण्डे सर्वारि चण्डिके ठ:ठ: स्वाहा।”
Newborn Baby Symptoms in 6th Day :
छठे दिन मास यह वर्ष में शकुनि या / षटकारिका नामक पूतना बालक को ग्रस्त करती है और इसके मुख्य लक्षण यह है ज्वर, अरुचि, उदर पीड़ा, शरीर का कांपना, बार-बार रुदन करना, रोते हुए बच्चे का उठ जाना, ऐसे महसूस होना जैसे बच्चे को किसी ने धक्का देकर गिरा दिया हो या खड़े हुए बच्चे का गिर जाना अचानक गिर जाना यह लक्षण होने पर बच्चे को शकुनि षटकारीका नामक पूतना से ग्रस्त जाना चाहिए।
इस पूतना की शांति के लिए जो पुतला बनाया जाता है वह स्त्री का पुतला नदी या नहर के दोनों किनारों की मिट्टी लेकर बनाया जाता है। इसमें काले रंग के पांच ध्वजा, पांच दीपक, पांच काले फूल, मच्छी का मांस,बकरे का मांस, खीर, सवा सेर आटे के पूऐ, पश्चिम दिशा में दोपहर के समय 3 दिन तक लगातार बली देवें।
जो धूप इसमें दी जाती है उस धूनी को तैयार करने के लिए आपको कुठ, गूगल, राई, हाथी दांत, देसी घी, सरसो सफेद चंदन मिलाकर गाय के गोबर के कंडे पर आपको बालक के कमरे में यह धूनी देनी है।
Pootana Grah Shanti Puja Mantra :
मन्त्र:- “ॐ राक्षसि त्व महाभागे बालमुंच शुभानने क्षेमं कुरु जगत्थयासिमन शोभावान शिशूं कुरू।”
पुतना की शांति हेतु बलि धूफ और पूजन इसी मंत्र से किया जाना चाहिए।
स्नान करने का मन्त्र:- “ॐ ब्रह्माविष्णुश्च रुद्रश्च सकन्दो वै श्रवण स्थता।राक्षन्तु त्वरितंबालं मुन्च मुन्च कुमार्कम्।”
Newborn Baby Symptoms in 7th Day :
सातवें दिन मांस या वर्ष में बच्चे को शुष्क रेवती नामक पूतना ग्रस्त करती है जिसके मुख्य लक्षण मैं आपको बता रहा हूं जो आंखें में चना रोना सिर पीड़ा होने बच्चे का खड़े-खड़े गिर जाना आरुषि और सूखा रोग यह लक्षण अगर बालक में हो तो उसको शुष्क रेवती से पीड़ित जाना चाहिए।
इस पूतना की बलि देने के लिए सवा सेर चावलों के आटे का पुतला बनाये और इसके बलिद्रव्य में सफेद चंदन का लेप, 5 सफेद फूल, 5 दिए सफेद ध्वजा, इससे इस पूतना की पूजा करनी चाहिए और बलि द्रव्य जो आपको मैं बता रहा हूं वह है सवा सेर भात, या उबले हुए, पांच मिठाई, सात पूरियां साईं काल को पश्चिम दिशा में किसी खाली जगह या चार रास्ते की एक साइड में मौन रहकर के यह बलि देनी चाहिए।
इसमें भी दी जाने वाली धूनी लहसुन, गाय का सींग, सांप की केंचुली, नीम के पत्ते, मनुष्य और बिल्ली के बाल और घी यह मिलाकर इसकी धूनी तैयार की जाती है। इसे बालक के कमरे में दिया जाना चाहिए।
Pootana Grah Shanti Puja Mantra :
मन्त्र:- “ॐ नमो पत्रक्षि विशालाक्षि बन शिव सग्रहा बलि मासांस्च बाले मुंन्च सुशोभने।”
पुतना की शांति हेतु बलि धूफ और पूजन इसी मंत्र से किया जाना चाहिए।
स्नान मन्त्र : “ॐ भगवती ह्रीं ह्रीं ह्रीं ह्रूं ह्रूं मुन्च रक्षां कुरु कुरु बलिं गृहाण अस्त्र ठ: ठ: चामुण्डे सर्वारि चण्डिके ठ:ठ: स्वाहा।”
Newborn Baby Symptoms in 8th Day :
आठवें दिन मास अथवा वर्ष में बालक को विडालिका नामक पूतना ग्रस्त करती है। इससे बालक को उदर पीड़ा ,शिरोशूल, अफारा देह पीड़ा उल्टी दस्त इत्यादि लक्षण जब मिलते हैं तो बालक को विडालिका पूतना से ग्रस्त माना जाए।
सवा सेर चावल के आटे की स्त्री आकार में मूर्ति बनाकर दक्षिण दिशा में सायंकाल को 3 दिन लगातार बलि देवें। रक्त चंदन का लेप, पांच रंग की मिठाई, पांच रंग की झंडी, 5 दीपक देसी घी के यह पूजन द्रव्य है गेहूं की रोटी, मसूर की दाल, हरा साग, बकरे का मांस शाम को 3 दिन लगातार चौराहे पर देना है।
जो धोनी जी जाती है उसके लिए गाय के सींग का बुरादा, लहसुन, सांप की केचुली, नीम के पत्ते, मनुष्य और बिल्ली के बाल, राई और देशी घी की धूनी देनी चाहिए।
Pootana Grah Shanti Puja Mantra :
मन्त्र :- “ॐ नमो सर्व भूतेशी शोभने त्वम पिशाचिनी।बलिचैवा सुरी वर्कलत्यत्वरितं मुन्च बालकम।”
पुतना की शांति हेतु बलि धूफ और पूजन इसी मंत्र से किया जाना चाहिए।
स्नान मन्त्र “ॐ भगवती ह्रीं ह्रीं ह्रीं ह्रूं ह्रूं मुन्च रक्षां कुरु कुरु बलिं गृहाण अस्त्र ठ: ठ: चामुण्डे सर्वारि चण्डिके ठ:ठ: स्वाहा।”
Newborn Baby Symptoms in 9th Day :
नवमें दिन मास वर्ष में मदना नामक पूतना बालक को ग्रस्त करती है और बालक को ज्वर, अरुचि, कंपन, बार बार रोना, मुट्ठी बंद करके जोर से रोना, और खड़े-खड़े गिर, जाना यह मदना नामक व्यक्ति से ग्रस्त हुआ जानो।
उसके लिए आप एक शेर गेहूं के आटे का स्त्री आकार में पुतला बनाएं और प्रातः काल भोर में उत्तर दिशा में यह बलि देनी है। 25 रक्त पुष्प 25 लाल रंग की झंडी या 25 दिए और 25 आटे के पूरे से पूजन करने के उपरांत सवा शेर भात मछली का मांस पापड़ी और 25 गन्ने के टुकड़े उत्तर दिशा में प्रातः काल 3 दिन यह बलि देनी है।
जो धूप आपने देनी है उस में गाय के सींग का बुरादा, लहसुन, सांप की केचुली, नीम के पत्ते, मनुष्य और बिल्ली के बाल, राई, सरसों , घी इनकी धूनी आपको प्रतिदिन बालक के कमरे में देनी है तो ग्रह और अरिष्ट शांत हो।
Pootana Grah Shanti Puja Mantra :
मन्त्र:- “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय हुँ फट्।”
पुतना की शांति हेतु बलि धूफ और पूजन इसी मंत्र से किया जाना चाहिए।
स्नान करने का मन्त्र:- “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय कृष्णाय मंडल बलिमादाय हन हन हूं फट् स्वाहा।”
Newborn Baby Symptoms in 10th Day :
दसवें दिन मास वर्ष में रेवती नामक पूतना बालकों को ग्रस्त करती है और निम्नलिखित रोग उत्पन्न करती है जिनमें ज्वर, वमन, श्वास रोग, सिर पीड़ा, उदर पीड़ा यदि यह लक्षण बालक में मिले तो रेवती पुतला से बच्चे को ग्रस्त माना जाए।
सवा सेर गेहूं के आटे की स्त्री आकार की मूर्ति बनाकर प्रतिदिन सायं काल को चौरसते पर दक्षिण दिशा में यह बलि रेवती नामक पूतना के निमित्त दी जानी चाहिए। इस पूतना के निमित्त 25 रक्त पुष्प, 25 लाल रंग की झंडियां, 25 दीपक और 25 पुड़े यह पूजन द्रव्य है और गुड़ घी में भुने हुए चावल, गौ घृत घर के दक्षिण दिशा में चौरास्ते पर सायंकाल को बलि के निमित रखने हैं।
जो धूप आपने देनी है उस में गाय के सींग का बुरादा, लहसुन, सांप की केचुली, नीम के पत्ते, मनुष्य और बिल्ली के बाल, राई, सरसों , घी इनकी धूनी आपको प्रतिदिन बालक के कमरे में देनी है तो ग्रह और अरिष्ट शांत हो।
Pootana Grah Shanti Puja Mantra :
मन्त्र:- “ॐ नमो भगवते वैश्वदेवाय हन हुँ फट स्वाहा।”
पुतना की शांति हेतु बलि धूफ और पूजन इसी मंत्र से किया जाना चाहिए।
स्नान करने का मन्त्र “ॐ नमो भगवते वैश्वदेवाय हन हुं फट् स्वाहा।”
Newborn Baby Symptoms in 11th Day :
एकादश दिन मास वर्ष में सुदर्शना नामक पूतना बालकों को ग्रस्त करती है और लक्षण ज्वर, अरूचि मुख शोथ गात्र पीड़ा और रोधन बालक कि जब यह लक्षण दिखे तो उसे सुदर्शना पूतना से ग्रस्त हुआ माना जाए।
सवा सेर काले उड़द के आटे से इस पूतना की स्त्री आकार में मूर्ति बनाई जाती है। उबले हुए चावल सवा सेर, सफेद चंदन का लेप, सफेद फूल 25, सफेद ध्वजा 25, 25 दीपक, 25 पुड़े इस बलि को संध्या काल के समय घर से दक्षिण दिशा में प्रतिदिन 3 दिन तक सुदर्शना नामक पूतना के निमित्त बलि देनी चाहिए।
इस पूतना की शांति में इस्तेमाल की जाने वाली धूप का निर्माण गोमूत्र, लहसुन, नीम के पत्ते, सांप की केंचुली, बिल्ली और मनुष्य के बाल, राई और गौ घृत इन सब को मिलाकर धूप तैयार की जानी चाहिए और उसे बालक के कमरे में प्रतिदिन 3 से 4 दिन तक लेना चाहिए इससे पितरों की शांति होती है।
Pootana Grah Shanti Puja Mantra :
मन्त्र:-“ॐ नमो भगवते रावनाय चंद्रहास वज्रहस्ताय ॐ हूँ फट स्वाहा।”
पुतना की शांति हेतु बलि धूफ और पूजन इसी मंत्र से किया जाना चाहिए।
स्नान करने का मंत्र:-“ॐ नमो भगवते रावणाय चन्द्रहास वज्रहस्ताय ज्वल ज्वल दुष्ट गृहादीन् ॐ ह्रीं फट् स्वाहा।”
Newborn Baby Symptoms in 12th Day :
बारहवे दिन मास वर्ष में अदभुता नामक पूतने बालकों को ग्रसित करती है। और बहुत ज्यादा कष्ट देती है ज्वर, रुदन, पसीना, आंख दुखना, सन्ताप, रोमांच, शरीर पीड़ा के लक्ष्णों को देखकर विद्धवान लोग अदभुता नामक पूतना से बालक को ग्रसित जानो।
एक शेर चावल के आटे की बेटी से इस पूतना की सुंदर मूर्ति तैयार करनी चाहिए आर दक्षिण दिशा में साईं काल को इस की बलि दी जानी चाहिए बली द्रव्य 13 दीपक,13 सफेद झंडी,13 आटे के पूड़े, मछली का मांस, बकरे का मांस और पापड़ी अदभुता नामक पूतने के निमित बलिदान करें।
Pootana Grah Shanti Puja Mantra :
मन्त्र: -“ॐ नमो नारायण प्रज्वल प्रज्वल ताल हर हर शोषय शोषय मर्दय मर्दय हन हन दुष्टआत्मान हुँ फट् स्वाहा।”
पुतना की शांति हेतु बलि धूफ और पूजन इसी मंत्र से किया जाना चाहिए।
स्नान करने का मन्त्र:-“ॐ नमो नारायणया जवलद्वसताय हन हन शोषय शोषय मर्दय मर्दय तापय तापय हुँ हुँ हुँ हन हन दुष्टाना ह्म ह्रूं स्वाहा।”
जब पूतना का बलिदान दिया जाता है तो बलिदान विधि 3 दिन तक निरंतर करें उसके बाद चौथे दिन पलाश पीपल विल्व गुलर मिल सके तो खैर के पत्ते इन के पत्तों को उबालकर बालक को स्नान मंत्र द्वारा स्नान कराते हुए बच्चे के ऊपर से उतारकर भिखारी और कुत्ते आदि जीवो को मीठा भोजन कराना चाहिए और शांति मंत्रों का जाप करके कुशा से बच्चे को जल के छींटे देना चाहिए।
निम्नलिखित मंत्र को पढ़ना चाहिए जो स्नान के मंत्र हैं उनसे स्नान करवाया जाए और फिर शुद्ध जल लेकर के जिसमें गंगाजल हो और कुछ ऐसे बच्चे को छीटे मारते हुए इस मंत्र का उच्चारण करना है ।
मन्त्र:- “ॐ रक्ष रक्ष महादेव नीलग्रीव जटाधर गृहासतु सहितो रक्ष मुन्च मुन्च कुमारकम ॐ सर्व मातर इमं ग्रहं संहरंतु हुँ रोदय रोदय स्फ़ोटय स्फ़ोटय स्वहा।गर्ज गर्ज सः गृहाण गृहाण आमर्दय आमर्दय ह्रीं ह्रीं हन हन एवं सिद्धि रुद्रो ज्ञापय स्वाहा।” इति रक्षा मन्त्र।
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जय माँ कामाख्या