मंत्र : “ॐ ह्रीं ह्रीं क्लीं क्लीं क्लीं श्मशान बासिनी महाउग्ररुपणी महिशाषुर
मर्दनी खड्ग पालिनी चण्ड मुण्ड नाशिनी महामाया काल रूपा
काली मम शत्रुन् मारय मारय भखय भखय त्रोटय त्रोटय, मांस
खादय खादय रक्त पिब पिब क्रीं ह्रीं क्लीं हूँ फट् स्वाहा।।”
Shmashan Kali Mantra Sadhna Vidhi :
उपरोक्त श्मशान काली मंत्र (Shmashan Kali Mantra) को शनिबार के दिन पडने बाली अमाबस्या की रात्रि में 12 बजे से इस मंत्र को श्मशान भूमि पर बैठकर तेल का दीपक जलाकर, लोबान, कपूर जलाबें । साधना में निर्बस्त्र होकर काली हकीक की माला से श्मशान काली मंत्र (Shmashan Kali Mantra) का जाप आरम्भ करें । 11 माला प्रतिदिन जपें 41 दिन तक हर शनिबार को बकरे की कलेजी, ऊपर मद की धार देबें । अंतिम दिन एक कुष्माण्ड फल की बली रूप में अर्पण करें ।
यह कोहला साधक अपने शत्रु स्वरूप मानकर देबी को अर्पण करे मंत्र सिद्धि प्राप्त होने पर जब प्रयोग करना हो तब उडद के आटे से एक पुतली बनाबें । उस पर बैरी का नाम लिखें । सिन्दुर से लोहे की लेखनी से उसे काले बस्त्र पर लपेट लेबें उसकी प्राण प्रतिष्ठा पहले कर लें यह प्रयोग श्मशान में बैठकर करें अपने घर या निबास स्थान में नहीं करें । इस क्रिया उपरान्त उपरोक्त श्मशान काली मंत्र (Shmashan Kali Mantra) को एक हजार की संखा में जपें । फिर कपडा सहित पुतली को जलती चिता में या श्मशान भूमि के अग्नि कोण में गाड देबें ऊपर मद की धार और कलेजी चडाबें । फिर घर आकर स्नान कर लें । इसके बाद 21 दिन तक पुन: एक एक माला रात्रि में जपें यह जाप श्मशान या किसी एकांत में करें इस प्रयोग से शत्रु का सर्बनाश होगा ।
लेकिन सही ब्यक्ति पर यह क्रिया नहीं चलेगी किसी निर्दोष को सताने के लिये प्रयोग करोंगे तो स्वयं का सर्बनाश निशिचत होगा । बिना गलती किसी को न सताबें नहीं तो साधना की शक्ति साधक का सर्बनाश करती है । यह मैंने कई पापी साधकों के साथ होते हुए देखा है । यह बात कानों सुनी और मैंने स्वयं अपनी आखों से देखी हैं । आप किसी का भला करोगे तो आपका भला अपने आप होगा लेकिन आप किसी का बुरा करना चाहोंगे तो पहले आप स्वयं उसके शिकार बन जाओगे। यह तंत्र बिद्या है। जैसी करणी बैसी भरणी ये बात हमेशा याद रखें ।
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जय माँ कामाख्या