महिलाओं के कुंडली से सम्बंधित कुछ महत्त्वपूर्ण योग (Stri Kundli Ke Mahatvapurn Yog) , कुंडली के विभिन्न योग, विधवा योग, तलाक योग, पति से सम्बंधित कुछ योग, सुख योग, दुखी जीवन योग, बंध्यापन के योग, संतति योग ।
स्त्री का पुरुष के जीवन में बहुत ही मुख्य स्थान है, इसी कारण ज्योतिष में स्त्री वर्ग पर भी पर्याप्त विचार किया जाता है । जहां तक पुरुष और नारी के सहज सनातन संबंधों का प्रश्न है, ज्योतिष उन्हें अभिन्न अंग मानकर विचार करता है । कुंडली का सातवा स्थान एक दुसरे का सूचक है अर्थान स्त्री और पुरुष के कुंडली में सातवाँ स्थान एक दुसरे का प्रतिनिधित्व करता है ।
Aaiye, stri kundli ke grahon ko samajhte hain –
1. लग्न और चन्द्रमा , मेष , मिथुन , सिंह तुला धनु, कुम्भ, राशियों में स्थित हो तो स्त्री में पुरुषोचित गुण जैसे बलिष्ट देह, मुछों की रेखा, क्रूरता, कठोर स्व, आदि होते हैं. चरित्र की दृष्टि से इनकी प्रशंसा नहीं की जा सकती है । क्रोध और अहंकार भी इनके प्रकृति में होता है ।
2. लग्न और चन्द्रमा के सम राशियों में जैसे वृषभ , कर्क, कण, वृश्चिक, मकर, मीन में हो तो स्त्रियोंचित गुण पर्याप्त मात्रा में होते है । अच्छी देह, लज्जा, पति के प्रति निष्ठा , कुल मर्यादा के प्रति आस्था, आदि प्रकृति में रहते है ।
3. स्त्री के कुंडली में सातवे स्थान में शनि हो और उस पर पाप ग्रहों की दृष्टि हो तो उसका विवाह नहीं होता ।
4. सप्तम स्थान का स्वामी शनि के साथ स्थित हो या शनि से देखा जा रहा हो तो बड़ी उम्र में विवाह होता है।
Stri Kundli Ke Mahatvapurn Yog – Vidhwa Yog :
1. जन्म कुंडली में सातवे स्थान में मंगल हो और उस पर पाप ग्रहों की दृष्टि हो तो विधवा योग बनता है । ऐसी लड़कियों का विवाह बड़ी उम्र में करने पर दोष कम हो जाता है ।
2. आयु भाव में या चंद्रमा से सातवे स्थान में या आठवे स्थान में कई पाप गृह हो तो विधवा योग होता है ।
3. 8 या 12 स्थान में मेष या वृश्चिक राशि हो और उसमे पाप गृह के साथ राहू हो तो विधवा योग होता है ।
4. लग्न और सातवे स्थान में पाप गृह होने से भी विधवा योग बनता है ।
5. चन्द्रमा से सातवे , आठवे, और बारहवे स्थान में शनि , मंगल हो और उन्पर भी पाप ग्रहों की दृष्टि हो तो विधवा योग अबंता है ।
6. क्षीण या नीच का चन्द्र 6 या 8 स्थान में हो तो भी विधवा योग बनता है ।
7. 6 और 8 स्थान का स्वामी एक दुसरे के स्थान में हो और उन पर पाप ग्रहों की दिष्टि हो तो विधवा योग बनता है ।
8. सप्तम का स्वामी अष्टम में और अष्टम का स्वामी सप्तम में हो और इनमे से किसी को पाप गृह देख रहा हो तो विधवा योग बनता है ।
Stri Kundli Ke Mahatvapurn Yog -Talak Yog
1. सूर्य का सातवे स्थान में होना तलाक की संभावनाए बनता है ।
2. सातवे स्थान में निर्बल ग्रहों के होने से और उनपर शुभ ग्रहों के होने से एक पति स्वर तलाक देने पर दुसरे विवाह के योग बनते है ।
3. सातवे स्थान में शुभ और पाप दोनों गृह होने से पुनर्विवाह के योग बनते है ।
Stri Kundli Ke Mahatvapurn Yog – Pati se Sambandhit Kuchh Yog
1. लग्न में अगर मेष , कर्क, तुला , मकर राशि हो तो पति परदेश में रहने वाला होता हो या घुमने फिरने वाला होता हो ।
2. सातवे स्थान में अगर बुध और शनि स्थित हो तो पति पुरुस्वत हीन होता हो ।
3. सातवे स्थान खाली हो और उस पर किसी गृह की दृष्टि भी न हो तो पति नीच प्रकृति का होता है ।
Stri Kundli Ke Mahatvapurn Yog : Sukh Yog
1. बुध और शुक्र लग्न में हो तो कमनीय देह वाली , कला युक्त, बुध्हिमान और पति प्रिय होती है ।
2. लग्न में बुध और चन्द्र के होने से चतुर, गुणवान, सुखी और सौभाग्यवती होती है ।
3. लग्न में चन्द्र और शुक्र के होने से रूपवती , सुखी परन्तु ईर्ष्यालु होती है ।
4. केंद्र स्थान के बलवान होने पर या फिर चन्द्र, गुरु और बुध इनमे से कोई 2 ग्रह के उच्च होने पर तथा लग्न, में वरिश, कर्क, कन्या, वृश्चिक, मकर, मीन, होतो समाज्पूज्य स्त्री होती है ।
5. सातवे स्थान में शुभ ग्रहों के होने से गुणवती, पति का स्नेह प्राप्त करने वाली और सौभाग्य शाली स्त्री होती है ।
Stri Kundli Ke Mahatvapurn Yog – Bandhyapan Yog
1. सूर्य और शनि के आठवे स्थान में होने से बंध्या होती है ।
2. आठवे स्थान में बुध के होने से एक बार संतान होकर बंद हो जाती है ।
Stri Kundli Ke Mahatvapurn Yog : Santati Yog
1. सातवे स्थान में चन्द्र या बुध हो तो कन्याये अधिक होंगी ।
2. सातवे स्थान में राहू हो तो अधिक से अधिक 2 पुत्रियाँ होंगी पुत्र होने में बढ़ा हो ।
3. नवे स्थान में शुक्र होने से कन्या का योग बनता है ।
4. सातवे स्थान में मंगल हो और उसपर शनि की दृष्टि हो अथवा सातवे स्थान में शनि , मंगल, एकत्र हो तो गर्भपात होता रहता है ।
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ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार (Mob) +91- 9438741641 (call / whatsapp)