मारण, मोहन, बिद्वेष्ण के उपरान्त भगबान त्र्यम्बक ने शिबगिरि को उच्चाटन मंत्रों का प्रयोग (Ucchatan Prayog) बताया । उच्चाटन का अर्थ है मन की एकाग्रता भंग हो जाना, मन का उचट जाना, किसी कार्य में मन न लगना । इन प्रयोगों को लोक का अनिष्ट करने बाले ब्यक्ति के मन को उचाट करने के लिए किया जाता है । प्रयोगों (Ucchatan Prayog) की जानकारी देते हुए भगबान महेश कहते हैं कि—
हे योगिराज !सुनो, मैं उच्चाटन की उत्तम बिधि कहता हुं, जिसके साधन से ही मनुष्यों का उच्चाटन हो जाए ।
ब्रह्मादण्डी, चिता की राख और सरसों से शनिबार के दिन शिबजी के लिंग पर लेपन करे और फिर उस लेप को लाकर जिसके घर में फेंके उसका पशु तथा बाल बच्चो समेत उच्चाटन हो जाता है ।
कौए और उल्लू के पंख रबिबार को जिसके चूल्हे में गाड दे उस परिबार का उच्चाटन हो जाता है । मेरा कहना झूठ नहीं है ।
गुलर की गोली लकडी की चार अंगुल की कील लेकर जिसके पलंग में गाड दे अथबा उल्लू की बिष्ठा शय्या में लगा दे उसका निश्चय ही उच्चाटन हो जाता है ।
आदमी की हड्डी की चार अंगुल की झील बनाकर दरबाजे पर गाड दे तो बहां जो मुत्र करे उसका उच्चाटन हो जाता है ।
Ucchatan Prayog Mantra :
मंत्र : “ॐ नमो भगबते महारुद्राय रौद्ररूपाय अमुकस्य (शत्रु का नाम) सपरिबारस्योच्चाटनं कुरू कुरू फट् स्वाहा ।”
इस मंत्र को सबा लाख जपने से सिद्धि हो जाती है । मंत्र जप गुरु के निर्देशानुसार करना चाहिए ।
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जय माँ कामाख्या