मंत्र : “ऑम नमो अजब कंकोल गडीयो
बाय फिरंग रगत बाय,
चोपियो बाय, अनत सर्बे बाय
नाशय नाशय दह दह पच पच
भख भख हन हन फट् स्वाहा।”
Vayu Rog Nivaran Mantra Vidhi :
पहले इस मंत्र को साधक द्वारा सिद्ध किया जाता है । इस मंत्र कि सिद्धि 21000 मंत्र जाप के पश्चात् मिलती है । इस मंत्र की सिद्धि के लिये साधक को प्रात: काल स्नानदि के बाद एकांन्त कमरे में बैठकर एकाग्र भाब से मंत्र जाप करना पडता है । साधक को अपनी सुबिधानुसार ही बायु रोग निबारण मंत्र (Vayu Rog Nivaran Mantra) का जाप करना चाहिए । बैसे इसका प्रत्येक दिन 108 जप का बिधान है । जब मंत्र की निशिचत जप संख्या पूर्ण हो जाये, उसके पश्चात् पांच रंग के रेशम के धागों को लेकर मंत्र पढते हुए 9 गांठ देनी चाहिए । हर एक गांठ पर 21 बार धूप दिखाकर उतनी ही बार मंत्र का जप करना चाहिए । जब नौ गांठों की प्रक्रिया पूर्ण हो जाये, तब गले में बांधना चाहिए । इससे हरेक प्रकार का बायु रोग मिट जाता है ।
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जय माँ कामाख्या