Yogini Dasha Kya Hai? योगिनी दशा का पूर्ण ज्योतिषीय रहस्य
Yogini Dasha Kya Hai यह समझना उतना ही आवश्यक है जितना जीवन में दृष्टि का होना। जिस प्रकार नेत्रों के बिना कोई व्यक्ति अपूर्ण माना जाता है, उसी प्रकार ज्योतिषीय मार्गदर्शन के बिना जीवन अंधकारमय हो सकता है। मानव जीवन में ग्रहों की दशा और योगिनी दशा का गहरा प्रभाव होता है, जो हमारे सुख-दुःख, सफलता-असफलता को निर्धारित करता है।
Yogini Dasha Kya Hai (योगिनी दशा की परिभाषा)
ज्योतिष शास्त्र में जातक के जीवन की घटनाओं का समय जानने के लिए दशा पद्धति का प्रयोग किया जाता है। विंशोत्तरी, अष्टोत्तरी, चर और योगिनी दशा पद्धति में से योगिनी दशा विशेष महत्व रखती है।
यह एक गणनात्मक प्रणाली है, जिसके माध्यम से किसी व्यक्ति के जीवन के शुभ और अशुभ समय की विस्तृत जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
विंशोत्तरी दशा और योगिनी दशा में अंतर
विंशोत्तरी दशा सबसे प्रचलित प्रणाली है, लेकिन योगिनी दशा उतनी ही महत्वपूर्ण मानी गई है। ज्योतिष में यह मान्यता है कि योगिनी दशा स्वयं भगवान शिव द्वारा निर्मित की गई है, जो जातक के जीवन के हर क्षेत्र — करियर, विवाह, स्वास्थ्य और धन — को प्रभावित करती है। जन्म कुंडली में योगिनी दशा की गणना किए बिना कोई भी ज्योतिषी सटीक भविष्यवाणी नहीं कर सकता।
योगिनी दशाओं के प्रकार (8 Types of Yogini Dasha)
योगिनी दशाएं कुल 8 प्रकार की होती हैं और प्रत्येक योगिनी का एक अधिपति ग्रह होता है:
| योगिनी नाम | अधिपति ग्रह |
|---|---|
| मंगला योगिनी | चन्द्र ग्रह |
| पिंगला योगिनी | सूर्य ग्रह |
| धान्या योगिनी | गुरु ग्रह |
| भ्रामरी योगिनी | मंगल ग्रह |
| भद्रिका योगिनी | बुध ग्रह |
| उल्का योगिनी | शनि ग्रह |
| सिद्धा योगिनी | शुक्र ग्रह |
| संकटा योगिनी | राहु ग्रह |
Yogini Dasha Duration (योगिनी दशा का काल)
हर योगिनी दशा की एक निश्चित अवधि या भोग्यकाल होता है:
| योगिनी दशा | अवधि (वर्षों में) |
|---|---|
| मंगला | 1 वर्ष |
| पिंगला | 2 वर्ष |
| धान्या | 3 वर्ष |
| भ्रामरी | 4 वर्ष |
| भद्रिका | 5 वर्ष |
| उल्का | 6 वर्ष |
| सिद्धा | 7 वर्ष |
| संकटा | 8 वर्ष |
कौन सी Yogini Dasha शुभ होती है और कौन सी अशुभ?
ज्योतिष ग्रंथों के अनुसार हर योगिनी दशा का अपना शुभ-अशुभ प्रभाव होता है।
शुभ योगिनी दशाएं: मंगला, धान्या, भद्रिका, सिद्धा
अशुभ योगिनी दशाएं: पिंगला, भ्रामरी, उल्का, संकटा
संकटा योगिनी दशा के अशुभ प्रभाव
सभी योगिनी दशाओं में संकटा योगिनी दशा को सबसे अशुभ माना जाता है। यदि इस अवधि में विंशोत्तरी दशा के तहत कोई अशुभ ग्रह सक्रिय हो, तो जातक को तनाव, मानसिक पीड़ा, आर्थिक संकट या स्वास्थ्य समस्याएं झेलनी पड़ सकती हैं।
यदि संकटा दशा के साथ मारकेश ग्रहों की दशा भी चले, तो जीवन में गंभीर बाधाएं उत्पन्न हो सकती हैं।
उपाय: जन्म कुंडली के आधार पर अशुभ योगिनी दशा की वैदिक शांति करवाने से इसके नकारात्मक प्रभावों को कम किया जा सकता है।
निष्कर्ष: Yogini Dasha Kya Hai और क्यों जानना जरूरी है
Yogini Dasha Kya Hai यह जानना इसलिए आवश्यक है क्योंकि यह दशा व्यक्ति के जीवन के महत्वपूर्ण परिणामों का संकेत देती है। योगिनी दशा विश्लेषण से यह पता लगाया जा सकता है कि जीवन के कौन से चरण में उन्नति, विवाह, धन लाभ या संकट संभव हैं। सटीक ज्ञान के लिए जन्म कुंडली में योगिनी दशा, विंशोत्तरी दशा, और ग्रह स्थितियों का संयुक्त विश्लेषण करना चाहिए। समय रहते उपाय करने से जीवन के नकारात्मक प्रभावों को काफी हद तक दूर किया जा सकता है।
ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार 📞 संपर्क: +91-9438741641 (Call/WhatsApp)
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