अघोर साधना क्या है ?

अघोरेश्वर महादेव की साधना उन लोगों को करनी चाहिए जो समस्त सांसारिक बंधनों से मुक्त होकर शिव गण बनने की इच्छा रखते हैं ।
इस अघोर साधना से आप को संसार से धीरे धीरे विरक्ति होनी शुरू हो जायेगी इसलिए विवाहित और विवाह सुख के अभिलाषी लोगों को यह साधना नहीं करनी चाहिए ।
1. यह अघोर साधना अमावस्या से प्रारंभ होकर अगली अमावस्या तक की जाती है ।
2. यह दिगंबर साधना है ।
3. एकांत कमरे में साधना होगी ।
4. स्त्री से संपर्क तो दूर की बात है बात भी नहीं करनी है ।
5. भोजन कम से कम और खुद पकाकर खाना है ।
6. यथा संभव मौन रहना है ।
7. क्रोध,विवाद,प्रलाप, न करे ।
8. गोबर के कंडे जलाकर उसकी राख बना लें ।
9. स्नान करने के बाद बिना शरीर पोछे साधना कक्ष में प्रवेश करें ।
10. अब राख को अपने पूरे शरीर में मल लें ।
11. जमीन पर बैठकर अघोर साधना  मंत्र जाप करें ।
12. माला या यन्त्र की आवश्यकता नहीं है ।
13. जप की संख्या अपने क्षमता के अनुसार तय करें ।
14. आँख बंद करके दोनों नेत्रों के बीच वाले स्थान पर ध्यान लगाने का प्रयास करते हुए जाप करें ।
15. जाप के बाद भूमि पर सोयें ।
16. उठने के बाद स्नान कर सकते हैं ।
17. यदि एकांत उपलब्ध हो तो पूरे साधना काल में दिगंबर रहें. यदि यह संभव न हो तो काले रंग का वस्त्र पहनें ।
18. अघोर साधना के दौरान तेज बुखार, भयानक दृश्य और आवाजें आ सकती हैं । इसलिए कमजोर मन वाले साधक और बच्चे इस साधना को किसी हालत में न करें ।
19. गुरु दीक्षा ले चुके साधक ही अपने गुरु से अनुमति लेकर इस अघोर साधना को करें ।
20. जाप से पहले कम से कम १ माला गुरु मन्त्र का जाप अनिवार्य है ।
अघोर साधना मन्त्र : {{ “ आदल चले बादल चले जाय परे सीता के वारि । सीता दिहिनी शाप । जाय परा समुद्र के पार । वाचा महुआ वाचे चार , हाके हनु , वरावे भीम । और न परे हमारे सीम । इश्वर महादेव कि दुहाई ॐ नमः शिवाय ।”}}
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जय माँ कामाख्या

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