अभिचार कर्म नाशक साबर मंत्र साधना

आजकल छोटी-मोटी तंत्र का क्रिया लोग शत्रुत्व के हिसाब से कराते रहेते है, थोडासा भी मनमुटाव हो गया तो समजो किसी तांत्रिक को पैसा देकर दूसरों को परेशान करने का काम करेगे, ये अभिचार कर्म नाशक साधना करने के बाद न अब तांत्रिक सो पाएगा ना ही प्रयोग करने वाला चैन से सो पायेगा । क्यूकी इस अभिचार कर्म नाशक प्रयोग से तंत्र बाधा जहा समाप्त होती है वही आप पर किए जाने वाले तंत्र-मंत्र इत्यादि वापस लौट जाते है, आप पर प्रयोग करने वाले की पुंगी बज जाती है…
अभिचार कर्म नाशक साधना तो बेहद आसान है, साधना काल मे ब्रह्मचर्य आवश्यक है, माला रुद्राक्ष का हो, धोती और आसन भगवे एवं लाल रंग का हो, दीपक मे सिर्फ देशी घी होना चाहिये, लोबान का धूप जलाओ, अभिचार कर्म नाशक साधना से पूर्व गणेश जी, गुरुजी और दत्त-महाप्रभुजी का पूजन आवश्यक है ।
निम्न अभिचार कर्म नाशक मंत्र का जाप किसि भी शनिवार से करे । यह साधना 11 दिन का है । साधना शाम के समय करना अनुकूल है । अभिचार कर्म नाशक साधना मे नित्य 108 बार मंत्र जाप आवश्यक है । मंत्र का जब भी स्वयं के लिए प्रयोग करना हो तो 7 बार मंत्र बोलकर जल पे 3 बार फुक मारे और जल को ग्रहण करले दूसरे व्यक्ति के लिये भि यही विधान है । अगर प्रयोग आपके सामने किया जा रहा हो तो तुरंत ही ७ बार मंत्र बोलकर अपने सिने पे ३ फुक मारले……..तो तंत्र-मंत्र का असर नष्ट होता है और किया गया तंत्र-मंत्र करनेवाले पे वापस लौट जाता है ।
अभिचार कर्म नाशक मंत्र-
{{ जल बाँधो,जलाजल बाँधो । जल के बाँधो कीरा,नौ नगर के राजा बाँधो,टोना के बाँधो जंजीरा । धरमदास कबीर, चकमक धुरी धर के काटे जाम के जूरी । काकर फूँके, मोर फूँके । मोर गुरु धरमदास के फूँके, जिहा से आय हस, वही चले जा, सत गुरु,सत कबीर ।।}}

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जय माँ कामाख्या

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