उर्वशी अप्सरा साधना कैसे करें ?

उर्वशी अप्सरा साधना कैसे करें ?

उर्वशी अप्सरा साधना : रम्भा, उर्वशी और मेनका तो देवताओं की अप्सराएं रही हैं, और प्रत्येक देवता इन्हे प्राप्त करने के लिए प्रयत्नशील रहा है । यदि इन अप्सराओं को देवता प्राप्त करने के लिए इच्छुक रहे हैं, तो मनुष्य भी इन्हे प्रेमिका रूप में प्राप्त कर सकते हैं । इस उर्वशी अप्सरा साधना को सिद्ध करने में कोई दोष या हानि नहीं है तथा जब अप्सराओं में श्रेष्ठ उर्वशी सिद्ध होकर वश में आ जाती है, तो वह प्रेमिका की तरह मनोरंजन करती है, तथा संसार की दुर्लभ वस्तुएं और पदार्थ भेट स्वरुप लाकर देती है । जीवन भर यह अप्सरा साधक के अनुकूल बनी रहती है, वास्तव में ही यह साधना जीवन की श्रेष्ठ एवं मधुर साधना है तथा प्रत्येक साधक को इस सिद्धि के लिए प्रयत्नशील होना चाहिए ।
किसी भी शुक्रवार से प्रारम्भ किया जा सकता है । यह रात्रिकालीं साधना है । स्नान आदि कर पीले आसन पर उत्तर की ओर मुंह कर बैठ जाएं । सामने पीले वस्त्र पर ‘उर्वशी यंत्र’ स्थापित कर दें तथा सामने पांच गुलाब के पुष्प रख दें । फिर पांच घी के दीपक लगा दें और अगरबत्ती प्रज्वलित कर दें ।

॥ ॐ उर्वशी प्रिय वशं करी हुं ॥

इस मंत्र के नीचे केसर से अपना नाम अंकित करें । फिर उर्वशी माला से निम्न मंत्र की १०१ माला जप करें –

उर्वशी अप्सरा साधना मंत्र – ॥ ॐ ह्रीं उर्वशी मम प्रिय मम चित्तानुरंजन करि करि फट ॥

यह मात्र सात दिन की उर्वशी अप्सरा साधना है और सातवें दिन अत्यधिक सुंदर वस्त्र पहिन यौवन भार से दबी हुई उर्वशी प्रत्यक्ष उपस्थित होकर साधक के कानों में गुंजरित करती है कि जीवन भर आप जो भी आज्ञा देंगे, मैं उसका पालन करूंगी ।
तब पहले से ही लाया हुआ गुलाब के पुष्पों वाला हार अपने सामने मानसिक रूप से प्रेम भाव उर्वशी के सम्मुख रख देना चाहिए । इस प्रकार यह उर्वशी अप्सरा साधना सिद्ध हो जाती है और बाद में जब कभी उपरोक्त मंत्र का तीन बार उच्चारण किया जाता है तो वह प्रत्यक्ष उपस्थित होती है तथा साधक जैसे आज्ञा देता है वह पूरा करती है ।
उर्वशी अप्सरा साधना समाप्त होने पर ‘उर्वशी यंत्र (ताबीज)’ को धागे में पिरोकर अपने गलें में धारण कर लेना चाहिए । इससे उर्वशी जीवन भर वश में बनी रहती है ।
 

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जय माँ कामाख्या

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