कंठ शूल :
कंठ शूल : हमारी स्वास नलिका में मांसल ऊतकों को छोटे-छोटे टुकडे गिल्टियों के रूप में होते हैं ये हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक ख्यमता का अंग है । जो कीटाणुओं को नाक द्वारा गले तक पहुंचने से रोकते हैं । यह प्राय: छोटे बच्चों को होने बाला कंठ शूल रोग है । बच्चों को ठण्ड लगने से सर्दी-जुकाम हो जाता है । तो ये गिल्टियां सूज जाती है । कान बन्द हो जाते है, सुनने में कठिनाई होती है, सूंघने की शक्ति कम हो जाती है । भोजन बेस्वाद लगता है । खान अछा नहीं लगता, रोग ज्यादा बढ जाने पर चिकत्सक की निर्देशानुसार इलाज करायें ।
ज्योतिषिय सिद्धांत :
बृष, तुला तथा बृशिचक राशि के जन्मे या गोचर बाले में मंगल की उपस्थिति यह रोग उत्पन्न करती है । शुक्र, बुध के नीच राशि में होने पर सप्तम भाब मे पाप ग्रहों की उपस्थिति से तथा पूर्ण मंगल दोष योग भी इस रोग के कारक हैं ।
निदान :
सोने या चांदी की अंगूठी में पुखराज या सुनैला धारण करें । शुद्ध मूंगा ५ रती का चांदी से मढबाकर अनामिका में धारण करें । मूंगा या पुखराज का पैण्डल जंजीर में डाल कर गले में पहन सकते हैं ।
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जय माँ कामाख्या