कामाख्या तंत्र साधना

पौराणिक कथानुसार गौरी के पिता दक्ष ने जब यज्ञ किया था तब उसमें भगवान शिव का अनादर देखकर उनकी पत्नी गौरी ने क्रोध में आकर हवन के कुंड में कूदकर अपने देह को त्याग दिया । क्रोधित होकर भगवान शंकर उनके शव को उठाकर तांडव करने लगे । चारों तरफ हाहाकार मचने लगा । विष्णु भगवान ने अपने सुदर्शन चक्र को उठाया और शव के ५१ टुकड़े कर दिए ताकि शिव का क्रोध शांत हो जाए । अंगों के टुकड़े जहां जहां गिरे वे बाद में शक्ति पीठ के रूप में चिन्हित हो गए । इन अंगों में से माता गौरी की योनि कमरों नाम के स्थान पर गिरी थी और यह स्थान देवी के गर्भ गृह के नाम से विख्यात कामाख्या शक्ति पीठ हुआ । यहाँ पर देवी कामाख्या की मूर्ति की जगह ‘योनि” रूप में शिलाखंड की पूजा होती है , कामाख्या तंत्र साधना होती है । आज हम भी इस लेख में हम आपके लिए लेकर आए हैं कामाख्या तंत्र साधना ।
कामाख्या तंत्र साधना में सबसे पहले देवी के मंत्र की अर्थात कामाख्या मंत्र की साधना करे,जो बहुत ही शक्तिशाली माना गया है । इस मंत्र में सिद्धि प्राप्त करने के बाद कुछ भी पाना असंभव नहीं है । साधना को आरंभ करें सर्वप्रथम विनियोग से । फिर करन्यास करें और अंत में अंगन्यास करें । इसके पश्चात श्रद्धा पूर्वक ध्यान लगाएं और देवी के अतुलनीय रूप पर अपना ध्यान एकत्रित करे । देवी का स्वरुप है –देवी कामाख्या लाल वस्त्र धारण किए हुए हैं । वे कमल के समान कोमल तथा सुंदर है और चंद्र जैसी उज्ज्वला हैं । जिनके ललाट पर सिंदूर से तिलक लगाया हुआ अत्यधिक सुशोभित हो रहा है । दो भुजाएं वाली देवी तीन नेत्रों वाली है । जिनका सिंहासन मणि माणिक्य से सुशोभित है । मां के होंठ पर स्निग्ध मुस्कुराहट हैं । वह अनेक विद्याओं को जानने वाली हैं । उनके समक्ष सभी डाकिनी और शाकिनी हाथ जोड़ नतमस्तक है । सिंहों की टोली भी उनका वंदन कर रही है । देवी के वचनों का श्रवण करने के लिए देवी सरस्वति और लक्ष्मी भी व्याकुल रहती है । हर लोकों में पूजनीय देवी कामाख्या अति ही करुणामयी है तथा सबका मंगल चाहने वाले हैं ।
अब हम आपके लिए कामाख्या वशीकरण मंत्र का उल्लेख करने जा रहे हैं जिसकी साधना से सभी मनोरथ की पुष्टि होती है । यह अत्यंत शक्तिशाली कामाख्या तंत्र साधना के अंतर्गत मंत्र है । देवी की मंत्र साधना के बाद षोडशोपचार पूजा करें तथा इसके बाद नीचे दिए गए मंत्र को जपे । लेकिन, ध्यान रहे जाप आरंभ करने के पहले किसी भी सुयोग्य तांत्रिक से परामर्श अवश्य करें तथा उसी के परामर्शानुसार जाप संख्या का संकल्प करें । मंत्र है –”त्रीं त्रीं त्रीं हूं, हूं स्त्रीं स्त्रीं कामाख्ये प्रसीद स्त्रीं हूं हूं त्रीं त्रीं त्रीं स्वाहा ।”
उपरोक्त मंत्र के जाप के बाद नीचे दिए गए मंत्र के द्वारा देवी का वंदन करें ।
मंत्र है —
{{ “कामाख्ये कामसंपन्ने, कामेश्वरी हर-प्रिया कामनां देहिमे नित्यं, कामेश्वरी नमोस्तुते ।
कामदे काम-रूपस्थे सुभगे सुरसेविते करोमि दर्शनं देव्या: सर्वा-कामार्थ सिद्धिये । }}
यह कामाख्या तंत्र साधना किसी योग्य तांत्रिक या गुरु के निर्देशानुसार ही होनी चाहिए ।
कामाख्या तंत्र साधना का एक अत्यंत प्रभावशाली टोटका या मंत्र है –”ओम् त्रीं नमः”..इस मंत्र का जाप किसी भी स्थान से किया जा सकता है । कृष्ण पक्ष की नवमी को रात्रि १२:०० बजे पूर्व दिशा की ओर अपना चेहरा करके बैठे लाल आसन के ऊपर । अब अपने सामने कामाख्या देवी की तस्वीर रखें । पानी वाला एक जटा-नारियल ले । बिना जटा हटाए इसके ऊपर सिंदूर में तेल मिलाकर टीका करें । अब इसे देवी को समर्पित करे, पूजन करें पंचोपचार विधि द्वारा । इसके बाद प्रसाद देवी को अर्पित करें । अब अपने दाहिने हाथ में जल लेकर विधिवत जाप करने के लिए संकरल्प करें तथा ऊपर बताए गए मंत्र का मूंगे की माला से जाप करें । जाप लगातार तीन दिनों तक करें । जाप संख्या होनी चाहिए प्रतिदिन ५१ माला । जाप की समाप्ति के बाद नारियल को किसी नदी में प्रवाहित कर दें ।

कामाख्या सिंदूर प्रयोग :

कामाख्या मंदिर में पाए जाने वाले सिंदूर को कामिया सिंदूर कहते हैं जो अन्य कहीं नहीं मिलता । मान्यताओं के अनुसार इस सिंदुर का व्यवहार करने से विवाहिताओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है । अगर इस सिंदूर को अभिमंत्रित किया जाए तो दैनिक जीवन के विभिन्न समस्याओं के समाधान में इसका अत्यंत चमत्कारी रूप देखने को मिलता है । इसको अभिमंत्रित किए जाने में अत्यंत नियम का पालन करना चाहिए ।

कामाख्या तंत्र साधना विधि–

शुक्रवार के दिन पूजा शुरू करें । कामाख्या सिंदूर अभिमंत्रित किए जाने के लिए सिंदूर को एक चांदी की डिबिया में ढक्कन लगाकर रखे । मंत्र का जाप करने के वक्त इसे अपने सामने रखें । इस कामाख्या तंत्र साधना पूजा के समय लाल वस्त्र धारण करें और आसन का रंग भी लाल ही होना चाहिए । लगातार सात दिन तक इस मंत्र का जाप करें तथा विधि पूर्वक पूजा करें । चुटकी भर सिंदूर में उसी अनुपात के अनुसार केसर, चंदन मिला लें और गंगाजल से इसे घोलें । अब ११ बार जाप करें कामाख्या मंत्र का । जाप जाप समाप्त होने के बाद इस सिंदूर के मिश्रण से तिलक लगाएं । इसके लगाते ही लगाने वाले व्यक्ति में किसी को भी सम्मोहित करने की ताकत आ सकती है ।
कामाख्या तंत्र साधना प्रयोग :
सबसे पहले सिंदूर का पूजन करें विधि विधान से । अब नीचे दिए गए मंत्र द्वारा लगातार बिना नागा सात रविवार तक जाप करें । जाप संख्या होनी चाहिए प्रतिदिन १०८ वार ।
मंत्र है —
{{ “हथेली में हनुमंत,भैरू बसे कपार ।
नरसिंह की मोहिनी मोहे सब संसार,
मोहन रे मोहनता वीर
सब वीरन में तेरा सीर,
सबकी नजर बांधन दे
तेल सिंदूर चढ़ाऊं तुझे, तेल सिंदूर कहां से आया ?
कैलाश पर्वत से आया कौन लाया?
अंजनी का हनुमंत, गौरी का गणेश लाया । काला गोरा तोतल तीनों बसे कपार दुहाई कामिया सिंदूर की हमें देख शीतल हो जाए सत्य नाम आदेश गुरु की सत गुरु सेट कबीर ।”}}
मंत्र का जाप संपूर्ण होने के बाद इस सिंदूर को चुटकी भर लेकर वापस दिए गए उपरोक्त मंत्र को सात वार जाप करे तथा अपने मस्तक पर तिलक लगाएं । यह कामाख्या तंत्र साधना प्रयोग से अत्यंत वशीकरण प्रभाव उत्पन्न करता है ।
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जय माँ कामाख्या

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