कालरात्रि मारण प्रयोग विधि

कालरात्रि मारण प्रयोग :

कालरात्रि मारण प्रयोग : कृष्णा चतुर्दशी को मंगलबार के दिन गौशाला, चौराह एबं श्मशान की मिट्टी लाकर, उसमें बायाबिडड्ग, कनेर, आक के फूल मिलाकर पुतली बनाये । रात्रि में श्मशान में जाकर नील बस्त्र धारण कर शिखा खोलकर पुतली पर शत्रु का नाम लिखे । उसमें शत्रु के नाम से प्राणप्रतिष्ठा करे । फिर कम्बल से ढंक कर तेल में डुबोकर पूजन करे। पुतली को गदहा,घोडा ब भैंस के रक्त से स्नान कराये। लाल चंदन ब धतूरे के फूल चढाकर मारण मंत्र से होम कर पुन: पूजन करे ।
 
मंत्र : ॐ म्रां म्रीं म्रूं मृतीश्वरि कृं कृत्ये अमुकं शीघ्रं मारय २ क्रोम्।
 
इस मंत्र से पूजन कर बचा, सरसौं, भिलाबां, धतूरे के बीजों को मिलाकर १०१ आहुतियां देबे । फिर पुतली का शिर काटकर उसी अग्नी में डाल देना चाहिये । नित्य मद्द मांसादि से बलि देते हुये २१ दिन प्रयोग करे ।
 
बिशेष : जो ब्यक्ति ऐसा घातक प्रयोग करता हैं उसे अपनी रक्षा हेतु नृसिंह, शरभ, हनुमान भैरबादि के बिशेष रक्षा मंत्रों का प्रयोग करना चाहिये तथा गुरु के मार्गदर्शन में कार्य करना चाहिये।

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जय माँ कामाख्या

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