गुप्त काला कलबा बीर साधना :
काला कलबा बीर : ओम नमो आदेश गुरुजी को ओम गुरुजी । काला कलबा बीर,
काली का लाडला । माता काली के संगे बिराजे। बीर कलुआ
भरी मसाण में उपजे । आधी रात को जागे । जाग-जाग कलुबा
देऊ मद-मांस को भोज प्रकट होबे तो दूं में बली बोकरो । रात
अमाबस्या की करू पूजा इत्र लोहबान, मद की धार देऊं । हे
मसाण बाला काला कलुबा काली रात अब ना जागे तो काली
के चरणों की तुझे सौगन्ध ने थे ना आये और मेरो कारज न
करबे तो माई मसाणी की दुहाई । अघोर पंथ की आणे फरे । मैं
कहु बह ना करें तो जोगी मछन्दर की दुहाई । मेरो आदेश मुकरे
तो बारा अघोरियों की आण फिरे । कलुबा का कडा-माई काली
का संडा पहने अघोरी-खडा कलबा हाजरा हुजूर । औघड नाथ
तेरी शक्ति मेरी भक्ति । साधन कलुबा में चलाऊ काली
अमाबस्या को देके पूजा लेऊ बचन बान्ध दे दे । मुझो बचन
काली का छाली बाला बीर कलुबा काला । तु मैला में चले । जा
भेजो बा चले । ना चले तो काली को दूध हराम करें । बंगाल की
गांगली घोसण की घाणी में पिछे । लुणी चमारण की कुण्ड में
जाये। मेरे बचनों में ना रहे तो मछन्दर नाथ चेला गोरखनाथ
की आज्ञा फिरे । भूतभाबन भैरब की शांकली से बन्ध करें । मेरे
गुरुनाथ पंथीका शव्द शाचा पिण्ड कांचा काली नाथजी का
बचन जुग-जुग सांचा हुं फट् फट् स्वाहा ।।
नोट :- साधकों इस काला कलबा बीर मंत्र की बिधि उचित नहीं है इसकी साधना बिधि गुप्त रखी गई है जो प्राचीन ब गुप्त है । यह काला कलबा बीर मंत्र आदिबासी भाषा में है । इसमें हिंदी, गुजराती, बंगाली जैसी कई भाषा का समाबेश है । यह काला कलबा बीर प्रयोग श्मशान शाक्त और शैब मत के साधकों के लिये उपयोगी माना जाता हैं । यह उग्र एबं कु प्रयोग है । तामसिक प्रयोगों के लिये इस काला कलबा बीर को सिद्ध किया जाता है । बीर सिद्ध होने पर साधक की आज्ञा के अनुसार आता है, जाता है एबं कार्य करता है । घर परिबार बालों के लिये बिनाशकारी है ।
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जय माँ कामाख्या