बिभिन्न नक्षत्र में जन्म लेने का फल :
जन्म नक्षत्र :
विभिन्न नक्षत्रों में जन्म लेने का फल ज्योतिषीय दृष्टि से ज्योतिष विज्ञान के अनुसार विभिन्न हो सकता है । प्रत्येक नक्षत्र का अपना महत्वपूर्ण फल और गुणधर्म होता है जो ज्योतिषीय विश्लेषण के माध्यम से निकाले जा सकते हैं । कुछ सामान्यतया मान्य नक्षत्र फलों की उदाहरण निम्नलिखित तरीके से हो सकते हैं :
अश्विनी नक्षत्र – इस जन्म नक्षत्र में जन्म लेने बाले धनबान, भाग्यबान, सुन्दर, प्रतिष्ठित तथा स्थूलकाय होते हैं ।
भरणी नक्षत्र – इस जन्म नक्षत्र में जन्म लेने बाले धनबान, सुखी, सात्विक तथा स्वस्थ शरीर बाले होते हैं ।
कृतिका – यह जन्म नक्षत्र ब्यक्ति दुखी, पाप कर्मो में लिप्त तथा चालाक प्रबृति के होते हैं ।
रोहिणी – इस जन्म नक्षत्र में जन्मे ब्यक्ति कुशाग्र बुद्धि, सुन्दर तथा धनबान होते हैं ।
मृगशिरा – यह जन्म नक्षत्र ब्यक्ति धैर्यशील, चंचल, अहंकारी तथा स्वार्थी होते हैं ।
आर्द्रा – आर्द्रा नक्षत्र में जन्म लेने बाले निर्धन तथा पाप कर्मों में लिप्त होते हैं ।
पुनर्बसु – इस नक्षत्र में जन्म लेने बाले सुन्दर, शांतस्वभाब, प्रसिद्ध तथा सुखी परिबार बाले होते हैं ।
पुष्य – पुष्य नक्षत्र में जन्म ब्यक्ति आस्तिक, धनबान, शांतस्वभाब तथा सुखी होते हैं ।
आश्लेषा – यह ब्यक्ति क्रूरस्वभाब, दुष्ट तथा धृर्त प्रबृति के होते हैं ।
मघा – इस नक्षत्र में जन्में ब्यक्ति धनबान, बड़ों का आदर करने बाले तथा भोगी होते हैं ।
पुर्बाफाल्गुनी – यह ब्यक्ति धन –धान्य से युक्त तथा स्त्रियों में प्रिय होते हैं ।
उत्तराफाल्गुनी – यह योद्धा, बिजयी तथा अच्छे बक्ता होते हैं ।
हस्त – इस नक्षत्र में जन्मे ब्यक्ति परस्त्रीगामी, झूठ बोलने में दक्ष तथा तामिष भोजन प्रिय होते हैं ।
चित्रा – यह ब्यक्ति धैर्यबान, धनबान और आस्थाबान होते हैं ।
स्वाति – इस नक्षत्र में जन्मे लोग सुशील, आस्तिक तथा चतुर होते हैं ।
बिशाखा – इस नक्षत्र में जन्म लेने बाले भ्रष्ट, अभिमानी, झगड़ने बाले तथा लोभी प्रबृति के होते हैं ।
अनुराधा – ऐसे ब्यक्ति से पूर्ण सहयोग की आशा रहती है । यह लम्बी यात्राएँ करते हैं ।
ज्येष्ठा – यह ब्यक्ति मित्रों से घिरे रहते हैं । यह ब्यक्ति धर्म – कर्म में बिश्वास करते हैं ।
मूल – इस नक्षत्र में जन्म लेने बाले धनबान, बलबान, बिजेता होते हैं ।
पुर्बाषाढा – ऐसे ब्यक्ति स्थूलकाय, बिजेता तथा सुखी होते हैं । इनके मित्रों की संख्या अधिक होती हैं ।
उत्तराषाढा – इस नक्षत्र में जन्म लेने बाले लम्बे, बिजेता, बिनयी तथा सुख भोगते हैं ।
श्रबणा – इस नक्षत्र में जन्में सुन्दर, धनबान तथा संतान से युक्त होते हैं ।
धनिष्ठा – यह ब्यक्ति कला प्रेमी, धनधान्य से युक्त तथा स्नेही होते हैं ।
शतभिषा – यह ब्यक्ति परस्त्रीगामी, धनबान तथा कृपण होते हैं ।
पुर्बाभाद्रपद – इस नक्षत्र में जन्में ब्यक्ति बक्ता, सुख भोगने बाले तथा संतान से युक्त होते हैं ।
उत्तराभाद्रपद – यह ब्यक्ति बलबान, बिजेता तथा गौरबर्ण होते हैं ।
रेबती – इस नक्षत्र में जन्म लेने बाले साधु प्रबृति तथा धनधान्य से युक्त होते हैं ।
उपरोक्त 27 नक्षत्रों में से यदि किसी का जन्म ज्येष्ठा, अश्लेषा, रेबती, मूल, मघा अथबा अश्विनी नक्षत्र में होता है तो ज्योतिषी की भाषा में इसे कहा जाता है – “बच्चे मूलों में पैदा हुआ है ।“ लगभग 27 बें दिन जब पुन: बही नक्षत्र आता है तो उसकी शास्त्रोक्त बिधि से शान्ति करबाई जाती है ।
उपरोक्त नक्षत्रों में से पाँच नक्षत्र धनिष्ठा, शतभिषा, पुर्बाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद तथा रेबती नक्षत्रों में पंचक दोष माना जाता है ।
ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार
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