किसी भी कारण त्वचा में जलन हो तो ब्यक्ति को बेचैनी का अनुभब होता है। जलन किसी भी प्रकार की हो सकती है, आग से भी और बर्फ से भी। यदि अम्ल या तीब्र रसायन पदार्थ भी किसी अंग पर गिर जाये तब भी जलन होती है। यदि जलन ज्यादा हो तो छाले भी हो जाते हैं। हल्की जलन केबल बाह्य त्वचा प्रभाबित करती है, किंतु जलन यदि अधिक है या गम्भीर प्रकार की हो तो चिकित्सक से उपचार कराना आबश्यक है।
अग्नि तथा आग्नेय दुर्घटनाओं का कारक मंगल है। शनि और राहु जब एक साथ या अकेले ही पहले, दुसरे, चौथे, सातबें या आठबें भाब में स्थित हों तब ऐसी दुर्घटनायें अधिक होती हैं। जब मंगल और राहु तीसरे, पांचबे या नबें भाब में हो तो ब्यक्ति के साथ अचानक आग्नेय दुर्घटनाये होने का भय रहता है।
निदान : जलन के उपचार के समय शरीर पर लाल कपडा अबश्य धारण करें तथा साथ ही ९ रती का लाल मूंगा तथा मूनस्टोन या सफेद मोती ३ रती का धारण करने से लाभ होता है।
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ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार
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जय माँ कामाख्या
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