तंत्रों का इतिहास

जिस प्रकार इस सृष्टि की प्रारम्भिक बिद्या बेद है और सारा बिश्व मानता है कि बेद सबसे प्राचीन, ईश्वरीय ज्ञान से भरी ,सर्ब बिद्याओं की पुस्तके हैं उसी प्रकार यह भी सिद्ध होता है कि “तंत्र” भी बेद के समान प्राचीन और इसकी उत्पति कुछ बिद्वान अथर्बबेद से ही मानते हैं ।
 
तंत्रों (Tantron) का जन्म और बिकास किस प्रकार हुआ ? यह जानना आबश्यक है ।
 
मानब स्वभाब में भिन्नता पाई जाती है ।
 
बौद्धिक स्तर भी सबका अलग अलग है । समान नहीं है ।
 
शिख्या में भी सभी समान रूप से आगे नहीं बढ पाते हैं । अत: ज्ञान में कोई तो बहुत आगे बढकर गुरू, ऋषि, बिद्वान और युगाबतार जैसी स्थिति में पहुंच जाता है तो कोई साधारण और अशिखित रह जाता है ।
 
साधारण और अशिख्यित लोग न तो बेदमंत्रों का अर्थ समझ पाते थे और न बेदानुकूल अनुष्ठान, यज्ञदि कर पाते थे । ऐसे मूर्ख, अशिख्यित और सामान्य लोगों को शूद्रों की श्रेणी में रखा जाता था और अनके लिए बेदों का पढना त्याज्य था । बे बेद पढने के इसी कारण अधिकारी न थे कि अनके लिए भैंस के आगे बीन बजाना ही था ।
 
जो ब्यक्ति बेदों को समझ और ज्ञान नहीं सकता, उसे बेद पढने से लाभ न था और न बेद का हित था । ऐसे लोग अर्थ का अनर्थ कर देते थे और दूसरों को भी अंधकार में ले जाते थे । यही होता भी रहा । बेदों की इसी तरह दुगर्ति अनेक ऐसे अर्धशिख्यित भाष्यकारों ने की है ।
 
बेद-बेदांगों के अध्यन में असमर्थ तथा बाद में अध्यन से उपेख्यित ब बंचित साधारण लोगों के लिए आचार्यों ने “तंत्र सम्प्रदाय” चला दिए । तंत्रों (Tantron) ग्रन्थ भी लिखे ।
 
जन साधारण को तंत्र मार्ग सरल लगा और तंत्र का इस प्रकार बिकास हुआ ।
तंत्रों का इतिहास देखने पर ज्ञात होता है कि ये बेद की प्रतिक्रिया स्वरुप पाया गया है ।
 
शूद्रों ने तंत्रों (Tantron) को सर्बाधिक अपनाया । इसका कारण उनका बेद ज्ञान से बंचित होना और अधिकारी न होना भी था ।
 
तंत्राचार्यों ने बिभिन्न तंत्र सम्प्रदायों का बिकास करके साधना और अनुष्ठानों में ऐसे परिबर्तन किए कि जन-सामान्य उनकी और आकर्षित हुआ । तंत्र-साधना सरल भी थी और फलदायिनी भी थी ।
 
फिर क्यों न यह मार्ग पनपता ?
 
तंत्र मार्ग पनपा ।
 
तंत्र ग्रंन्थो लिखे जाने लगे ।
 
तांत्रिकों का सम्मान होने लगा और तांत्रिक गुरुओं ने बेद-ज्ञान को बहुत पीछे धकेल दिया । बेद-ज्ञान केबल अल्पांश संख्यक बिद्वानों तक ही सीमित रह गया और बेदों से फूटी किरण, तंत्र-किरण का प्रकाश जन मानस में फैलता चला गया । बंगाल से काश्मीर तक भारत में तांत्रिकों के सम्प्रदाय फैल गए । आसाम से मद्रास तक इसका बिकास हो गया । बाद में सारे भारत में और त्तपश्चात् बिश्व में “तंत्र” बिकसित हो गया ।
 
“तंत्र” का योग से घनिष्ठ सम्बन्ध है । मंत्रों के साथ साथ तंत्रों ने योग का भी सहारा लिया है ।
 
तंत्र में योग साधना, मंत्र ज्ञान और पूजा पाठ ही है । मूर्तिपूजा का आबिर्भाब भी संभबत: तंत्र से हुआ है । मन्दिरों शिबालयों का जन्मदाता तंत्र ही है ।
 
इसके बाद अनेक सम्प्रदाय “तंत्र” खेत्र में बिकसित हुए और सबके अलग अलग ग्रन्थ भी बन गए ।
 
किसी मत में “देबता” पर अधिक जोर दिया गया तो किसी में मंत्रों पर । कहीं क्रियाओं की प्रमुखता है तो कहीं पूजा अनुष्ठान को महत्व दिया गया है । इस प्रकार कई तंत्र मंत्र है ।
 
भिन्न भिन्न धर्म सम्प्रदायों के आधार पर भी तंत्र सम्प्रदाय चले । जैसे- शैब तंत्र, बौद्ध तंत्र, जैन तंत्र आदि ।
 
तंत्र मार्ग के साधकों में जब बुराइयां आ गई, ग्रन्थों में भी ख्येपक आ गए, अधूरी साधनाओं के कारण असफलताएं दीखने लगीं तथा तंत्रों (Tantron) के माध्यम से चोरी, ठ्गी, पांखंड और ब्यभिचार बढने लगे तो लोगों का तंत्र से बिश्वास उठ गया ।
 
इने-गिने सच्चे तांत्रिक ही रह गये । बे भी हिमालय पर्बत के ऊंचे स्थानों पर एकांतबास में ।
 
समाज में तंत्र केबल बहकाने की चीज रह गई और बिज्ञान की कसौटी पर कसने योग्य तंत्र कहीं नहीं रह गया ।
 
तंत्र से सिद्धियां असम्भब हो गई । परिणामस्वरुप शिख्यित-अशिख्यित का भी तंत्रों (Tantron) से बिश्वास उठ गया । अब पिछले दो दशकों से पुन: “तंत्र लहर” आई है ।
 
राजनीतिज्ञों द्वारा संरख्यण दिए जाने के कारण तांत्रिकों ने इन दश्कों में समाज में अपनी धाक जमाई है ।
 
तंत्रों (Tantron) का प्रभाब बढा है और उन्होने प्रतिष्ठा पाई है । कई भारतीय तंत्रों (Tantron) योगियों ने तो बिश्व में भी कई देशों में नाम कमाया है । कई तो अमेरिका आदि देशों में रह रहे है ।
 
भारत में तो नेताओं ने तंत्रों (Tantron) के द्वारा ही अपनी गद्दी पाने, प्रभाब जमाने और जमीन के लिए यज्ञ-अनुष्ठान कराने का चलन बना लिया है । यह दु:खदायी सिद्ध हो रहा है । देश को गुणों के आधार पर नेता नहीं मिल रहे हैं ।
Read More : Mantra Tantra Vishayak Bhrantiyan

हर समस्या का स्थायी और 100% समाधान के लिए संपर्क करे (मो.) +91- 9438741641 {Call / Whatsapp}

जय माँ कामाख्या

Feeling lost or need direction in life? Aghor Tantra - The Best Astrological Service Center in India offers the guidance you need. Their consultations provide clarity, solutions, and a truly life-altering experience.

Sharing Is Caring:

Leave a Comment