तिलोत्तमा अप्सरा साधना कैसे करें ?

Tilottama Apsara Sadhana Kaise Kare ?

यह अप्सरा प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनो ही रुप मे साधक की सहायता करती रहती हैं । यह साधना अनुभुत हैं । इस तिलोत्तमा अप्सरा साधना (Tilottama Apsara Sadhana) को करने से सभी सुखो की प्राप्ति होती हैं । इस साधना (Tilottama Apsara sadhana) को शुरु करते ही एक – दो दिन में धीमी धीमी खुशबू का प्रवाह होने लगता हैं । यह खुशबू तिलोत्तमा के सामने होने की पूर्व सुचना हैं । अप्सरा का प्रत्यक्षीकरण एक श्रमसाध्य कार्य हैं । मेहनत बहुत ही जरुरी हैं । एक बार अप्सरा के प्रत्यक्षीकरण के बाद कुछ भी दुर्लभ नहीं रह जाता, इसमे कोई दो राय नहीं हैं ।

Tilottama Apsara Sadhana Samagri :

सिन्दुर, चावल, गुलाब पुष्प, चौकी, नैवैध, पीला आसन, धोती या कुर्ता पेजामा, इत्र, जल पात्र मे जल, चम्मच, एक स्टील की थाली, मोली/ कलावा, अगरबत्ती,एक साफ कपडा बीच बीच मे हाथ पोछने के लिए, देशी घी का दीपक, (चन्दन, केशर, कुम्कुम, अष्टगन्ध यह सभी तिलक के लिए)
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Tilottama Apsara sadhana Vidhi :

साधक स्नान कर धुले वस्त्र पहनकर, रात मे ठीक 10 बजे के बाद तिलोत्तमा अप्सरा साधना (Tilottama Apsara Sadhana) शुरु करें । रोज़ दिन मे एक बार स्नान करना जरुरी है । मंत्र जाप मे कम्बल का आसन रखे और अप्सरा और स्त्री के प्रति सम्मान आदर होना चाहिए । तिलोत्तमा अप्सरा साधना (Tilottama Apsara Sadhana) का समय एक ही रखने की कोशिश करनी चाहिए । एक स्टील की प्लेट मे सारी सामग्री रख ले । तिलोत्तमा अप्सरा साधना करते समय और मंत्र जप करते समय जमीन को स्पर्श नही करते । माला को लाल या किसी अन्य रंग के कपडे से ढककर ही मंत्र जप करे ।
पूजन के लिए स्नान आदि से निवृत्त होकर साफ-सुथरे आसन पर पूर्व या उत्तर दिशा में मुंह करके बैठ जाएं । पूजन सामग्री अपने पास रख लें । बायें हाथ मे जल लेकर, उसे दाहिने हाथ से ढ़क लें । मंत्रोच्चारण के साथ जल को सिर, शरीर और पूजन सामग्री पर छिड़क लें या पुष्प से अपने को जल से छिडके ।
ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा। यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तरः शुचिः॥
(निम्नलिखित मंत्र बोलते हुए शिखा/चोटी को गांठ लगाये / स्पर्श करे)
ॐ चिद्रूपिणि महामाये! दिव्यतेजःसमन्विते। तिष्ठ देवि! शिखामध्ये तेजोवृद्धिं कुरुष्व मे॥
(अपने माथे पर कुंकुम या चन्दन का तिलक करें)
ॐ चन्दनस्य महत्पुण्यं, पवित्रं पापनाशनम्। आपदां हरते नित्यं, लक्ष्मीस्तिष्ठति सर्वदा॥
(अपने सीधे हाथ से आसन का कोना जल/कुम्कुम थोडा डाल दे) और कहे
ॐ पृथ्वी! त्वया धृता लोका देवि! त्वं विष्णुना धृता। त्वं च धारय मां देवि! पवित्रं कुरु चासनम्॥

Tilottama Apsara Sadhana Ke Sankalp : 

दाहिने हाथ मे जल ले । मैं ……..अमुक……… गोत्र मे जन्मा,……… ………. यहाँ आपके पिता का नाम………. ……… का पुत्र ………………………..यहाँ आपका नाम…………………, निवासी…………………..आपका पता………………………. आज सभी देवी-देव्ताओं को साक्षी मानते हुए देवी तिलोत्त्मा अप्सरा की पुजा, गण्पति और गुरु जी की पुजा देवी तिलोत्तमा अप्सरा के साक्षात दर्शन की अभिलाषा और प्रेमिका रुप मे प्राप्ति के लिए तिलोत्तमा अप्सरा साधना कर रहा हूँ जिससे देवी तिलोत्त्मा अप्सरा प्रसन्न होकर दर्शन दे और मेरी आज्ञा का पालन करती रहें साथ ही साथ मुझे प्रेम, धन धान्य और सुख प्रदान करें । जल और सामग्री को छोड़ दे ।
गणपति का पूजन करें ।
ॐ गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः। गुरुः साक्षात पर ब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नमः ॥ ॐ श्री गुरु चरणकमलेभ्यो नमः। ॐ श्री गुरवे नमः। आवाहयामि, स्थापयामि, ध्यायामि।
गुरु पुजन कर लें कम से कम गुरु मंत्र की चार माला करें या जैसा आपके गुरु का आदेश हो ।
सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके। शरण्ये त्रयंबके गौरी नारायणि नमोअस्तुते ॐ श्री गायत्र्यै नमः। ॐ सिद्धि बुद्धिसहिताय श्रीमन्महागणाधि पतये नमः। ॐ लक्ष्मीनारायणाभ्यां नमः। ॐ उमामहेश्वराभ्यां नमः। ॐ वाणीहिरण्यगर्भाभ्यां नमः। ॐ शचीपुरन्दराभ्यां नमः। ॐ सर्वेभ्यो देवेभ्यो नमः। ॐ सर्वेभ्यो ब्राह्मणेभ्यो नमः। ॐ भ्रं भैरवाय नमः का 21 बार जप कर ले ।
अब अप्सरा का ध्यान करें और सोचे की वो आपके सामने हैं । दोनो हाथो को मिलाकर और फैलाकर कुछ नमाज पढने की तरफ बना लो । साथ ही साथ

Tilottama Apsara Sadhana Mantra :

अप्सरा साधना मंत्र : “ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं श्रीं तिलोत्त्मा अप्सरा आगच्छ आगच्छ स्वाहा”

मंत्र का 21 बार उचारण करते हुए एक एक गुलाब थाली मे चढाते जाये । अब सोचो कि अप्सरा आ चुकी हैं । हे सुन्दरी तुम तीनो लोकों को मोहने वाली हो तुम्हारी देह गोरे गोरे रंग के कारण अतयंत चमकती हुई हैं । तुम नें अनेको अनोखे अनोखे गहने पहने हुये और बहुत ही सुन्दर और अनोखे वस्त्र को पहना हुआ हैं । आप जैसी सुन्दरी अपने साधक की समस्त मनोकामना को पुरी करने मे जरा सी भी देरी नही करती । ऐसी विचित्र सुन्दरी तिलोत्तमा अप्सरा को मेरा कोटि कोटि प्रणाम ।
इन गुलाबो के सभी गन्ध से तिलक करे । और स्वयँ को भी तिलक कर लें ।
ॐ अपूर्व सौन्दयायै, अप्सरायै सिद्धये नमः। मोली/कलवा चढाये :
वस्त्रम् समर्पयामि ॐ तिलोत्त्मा अप्सरायै नमः
गुलाब का इत्र चढाये : गन्धम समर्पयामि ॐ तिलोत्त्मा अप्सरायै नमः
फिर चावल (बिना टुटे) : अक्षतान् समर्पयामि ॐ तिलोत्त्मा अप्सरायै नमः
पुष्प : पुष्पाणि समर्पयामि ॐ तिलोत्त्मा अप्सरायै नमः
अगरबत्ती : धूपम् आघ्रापयामि ॐ तिलोत्त्मा अप्सरायै नमः
दीपक (देशी घी का) : दीपकं दर्शयामि ॐ तिलोत्त्मा अप्सरायै नमः मिठाई से पुजा करें।:
नैवेद्यं निवेदयामि ॐ तिलोत्त्मा अप्सरायै नमः फिर पुजा सामप्त होने पर सभी मिठाई को स्वयँ ही ग्रहण कर लें ।
पहले एक मीठा पान (पान, इलायची, लोंग, गुलाकन्द का) अप्सरा को अर्प्ति करे और स्वयँ खाये । इस तिलोत्तमा अप्सरा साधना मंत्र (Tilottama Apsara Sadhana Mantra) की स्फाटिक की माला से 21 माला जपे और ऐसा 11 दिन करनी हैं ।
“ ॐ क्लीं तिलोत्त्मा अप्सरायै मम वशमानय क्लीं फट स्वाहा ”
यहाँ देवी को मंत्र जप समर्पित कर दें । क्षमा याचना कर सकते हैं । जप के बाद मे यह माला को पुजा स्थान पर ही रख दें । मंत्र जाप के बाद आसन पर ही पाँच मिनट आराम करें ।
ॐ गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः। गुरुः साक्षात पर ब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नमः ॥ ॐ श्री गुरु चरणकमलेभ्यो नमः।
यदि कर सके तो पहले की भांति पुजन करें और अंत मे पुजन गुरु को समर्पित कर दे । अंतिम दिन जब अप्सरा दर्शन दे तो फिर मिठाई इत्र आदि अर्पित करे और प्रसन्न होने पर अपने मन के अनुसार वचन लेने की कोशिश कर सकते हैं । पुजा के अंत मे एक चम्मच जल आसन के नीचे जरुर डाल दें और आसन को प्रणाम कर ही उठें ।
Tilottama Apsara Sadhana Ke Niyam :
प्रतिदिन स्नान अवश्य करें । शुद्ध -पवित्र रहें ,मन से भी और कर्म से भी चूंकि साधना शुरू होते ही इन शक्तियों को और इसकी सहायक शक्तियों को पता चलता है तथा आपकी गतिविधि की निगरानी शुरू हो जाती है । मात्र नियत समय जप करने से कोई शक्ति नहीं आने वाली । वह यह जरुर देखती है की आप पात्र हैं या नहीं । तिलोत्तमा अप्सरा साधना (Tilottama Apsara Sadhana) में ब्रह्मचरी रहना परम जरुरी होता हैं ।
Tilottama Apsara Sadhana Me Bhojan : 
इस साधना में मांस, शराब, अन्डा, नशे, तम्बाकू, तामसिक भोजन आदि सभी से ज्यादा से ज्यादा दुर रहना हैं । इनका प्रयोग मना ही हैं । केवल सात्विक भोजन ही करें क्योंकि यह काम भावना को भडकाने का काम करते हैं । मंत्र जप के समय नींद्, आलस्य, उबासी, छींक, थूकना, डरना, लिंग को हाथ लगाना, सेल फोन को पास रखना, जप को पहले दिन निधारित संख्या से कम-ज्यादा जपना, गा-गा कर जपना, धीमे-धीमे जपना, बहुत् ही ज्यादा तेज-तेज जपना, सिर हिलाते रहना, स्वयं हिलते रहना, हाथ-पैंर फैलाकर जप करना यह सब कार्य मना हैं । बहुत ही गम्भीरता से तिलोत्तमा अप्सरा साधना मंत्र (Tilottama Apsara Sadhana Mantra) जप करना हैं ।
यदि आपको जप समय पैर बदलने की जरुरत हो तो माला पुरी होने के बाद ही पैरों को बदल सकते हैं या थोडा सा आराम कर सकते हैं लेकिन मंत्र जप बन्द ना करें । तिलोत्तमा अप्सरा साधना (Tilottama Apsara Sadhana) के समय वो एक देवी मात्र ही हैं और आप साधक हैं । इनसे सदैव आदर से बात करनी चाहिए । समस्त अप्सराएँ वाक सिद्ध होती हैं । किसी भी साधना को सीधे ही करने नही बैठना चाहिए । उससे पहले आपको अपना कुछ अभ्यास करना चाहिए । मंत्रो का उचारण कैसे करना है यह भी जान लेना चाहिए और बार बार बोलकर अभ्यास कर लेना चाहिए । ऐसा करने पर अप्सरा जरुर सिंद्ध होती हैं । साधना से किसी को नुकसान पहुँचाने पर साधना शक्ति स्वयँ ही समाप्त होने लगती हैं । इसलिए अपनी साधना की रक्षा करनी चाहिए । किसी को अपनी शक्ति का प्रदर्शन नहीं करना चाहिए ।

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जय माँ कामाख्या

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