Ranjini Apsara Sadhana Ka Mantra Kya Hai ?
रंजिनी अप्सरा की साधना (Ranjini Apsara Sadhana) साधारण अप्सराओं की साधनों की अपेक्षा कुछ परिवर्तन से की जाती है।सुगंधित द्रव्य एवं विविध आभूषणों में तीब्र रुचि रखने वाली स्वामी अप्सरा की साधना सायं के प्रथम पहर में ही की जाती है जिसमें साधक को के लिए आवश्यक है कि वह अपने साधनों स्थलों को भली-भांति सजा सवार कर रखें, यदि संभव हो तो वह कमरे में केवड़े के जल का छिड़का दें । इस रंजिनी अप्सरा साधना में हल्के हरे रंग का विशेष महत्व है, साधक के लिए वस्त्रो का कोई बंधन नहीं । अपनी रुचि के अनुसार पैंट शर्ट पायजामा कुर्ता कुछ भी पहन सकता है और स्त्रियां जैसे चाहें अपना श्रृंगार कर इस रंजिनी अप्सरा साधना में बैठ सकती है किंतु आसन और सामने लकड़ी के वजोट पर बिछाया जाने वाला वस्त्र हल्का हरा रंग होना आवश्यक है, यदि यह रेशमी हो और उसके चारों कोने पर सुनहरी गोटे लगे हो तो और अधिक अच्छा माना जाता है ।
चंदन अथवा केवड़े की सुगंध वाली अगरबत्ती जलाकर वातावरण को शुद्ध करें और ” रंजिनी अप्सरा यंत्र ” स्थापित कर माला से निम्न अप्सरा मंत्र का 11 माला जप करें । अप्सरा यंत्र पर किसी सुगंधित पुष्प की पंखुड़ियों की वर्षा करें और हिना का इत्र लगाएं दीपक की इस साधना (Ranjini Apsara Sadhana) में कोई आवश्यकता नहीं है । जब मंत्र जप के उपरांत रंजिनी अप्सरा प्रगट हो तो उसकी साक्षात उपस्थित होने पर सुगंधित पुष्प माला चढ़ावे ।
अप्सरा साधना व्यक्ति को सिद्ध तो प्रथम बार में ही हो जाती है लेकिन वातावरण में व्याप्त किन्ही दूषित प्रभाव के कारण इसका प्रत्यक्षी कारण नहीं हो पाता है, जिसके लिए हताश और निराश होने की कोई आवश्यकता नहीं है । यह साधना 5 दिनों की है जो सप्ताह के किसी भी दिन प्रारंभ की जा सकती है और श्रेष्ठ साधकों का एक मत से कहना है कि वास्तव में यह अप्सरा साधना प्रथम बार में ही सिद्ध हो जाती है ।
मंत्र : “ॐ ऐं रंजिनी मम प्रियाय वश्य आज्ञा पालय फट् ”
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जय माँ कामाख्या