21 दिव्य यक्षिणी साधना सिद्धि

21 Divya Yakshini Sadhna Siddhi :

दिव्य यक्षिणी साधना (Yakshini Sadhna) की इस लेख में आप पायेंगे 21 दिब्य यक्षिणी के सम्पूर्ण जानकरी के साथ दिब्य अलौकिक मंत्र के बारे में और साधना बिधि (Yakshini Sadhna Vidhi) जो आपको साधना में अग्रसर की रास्ता दिखाएगा …

1. दिव्य चन्द्रिका यक्षिणी साधना –

“चन्द्रिका” यक्षिणी का साधन मंत्र यह है – “ॐ ह्रीं चन्द्रिके हंस (क्लीं) स्वाहा ।”

साधन बिधि – शुक्ल पक्ष में जब तक चाँदनी दिखाई देती रहे, तब तक इस मंत्र का जप करना चाहिए । इससे “चन्द्रिका” यक्षिणी प्रसन्न होकर साधक को अमृत प्रदान करती है ।

2. दिव्य पद्माबती यक्षिणी साधना –

“पद्माबती” यक्षिणी का साधन मंत्र यह है –
“ॐ नमो धरणीन्द्रा पद्माबती आगच्छ आगच्छ कार्य कुरु कुरु जंहाँ भेजू बंहाँ आओं जो मंगाऊ सो आन देओ । आन न देबो तो श्री पारसनाथ की आभयां सत्यमेब कुरु कुरु स्वाहा ।”

साधना बिधि – पूर्ब अथबा आग्नेय दिशा की और मुँह करके बैठे , तथा कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी से आरम्भ करके, प्रतिपदा तक इस मंत्र का नित्य 1000 की संख्या में जप करें तो पद्माबती यक्षिणी प्रसन्न होकर साधक को इच्छित बस्तु लाकर देती है ।

3. दिव्य भण्डार पूर्णा यक्षिणी साधन :

“भण्डार पूर्णा” यक्षिणी का साधन मंत्र यह है –
“ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं बामे नम: ।”

साधन बिधि – दीपाबली की रात्रि में इस मंत्र को २०२८ की संख्या में जपकर लक्ष्मीजी पर सिन्दूर चढ़ाये तथा धूप, दीप, पुष्पादि से पूजन करें तो भण्डारपूर्णा” यक्षिणी प्रसन्न होकर साधक के भण्डार को भरा पूरा बनाये रखती है ।

4. दिव्य अनुरागिणी यक्षिणी साधना :

“अनुरागिणी” यक्षिणी का साधन मंत्र यह है –
“ॐ ह्रीं अनुरागिणी मैथुनप्रिये स्वाहा ।”

साधन बिधि – भोजपत्र के ऊपर कुंकुम से यक्षिणी की प्रतिमा बनाकर, प्रतिपदा से उसका पूजन आरम्भ करें तथा तीनों संध्या काल में उक्त मंत्र का 3000 की संख्या में जप करके, रात्रि के समय पूजन करते रहें । 30 दिन तक इस क्रम के नियमित चलते रहने पर “अनुरागिणी” यक्षिणी प्रसन्न होकर अर्द्धरात्रि के समय साधक को दर्शन देती है तथा प्रतिदिन एक सहस्र स्वर्ण मुद्राएं प्रदान करती है ।

5. दिव्य महानन्दा यक्षिणी साधना :

“महानन्दा” यक्षिणी का साधन मंत्र यह है –
“ॐ ऐ ह्रीं महानन्दे भीषण ह्रीं हूं स्वाहा ।”

साधन बिधि – किसी तिराहे पर बैठकर इस मंत्र का 100000 की संख्या में जप करके दशांश घी तथा गूगल का होम करने से “महानन्दा” यक्षिणी प्रसन्न होकर साधक को बिबिध सिद्धि प्रदान करती है ।

6. दिव्य पद्मिनी यक्षिणी साधना :

“पद्मिनी” यक्षिणी का साधन मंत्र यह है –
“ॐ ह्रीं पद्मिनी स्वाहा ।”

साधन बिधि – स्नानोपरान्त पूजा की सामग्री एकत्र कर चन्दन की सुगन्ध से एक हाथ प्रयाण मण्डल का निर्माण करें । उस मण्डल में पद्मिनी यक्षिणी का पूजन कर धूप दें तथा प्रतिदिन 1000 की संख्या में मंत्र का जप करते रहे ।

उक्त बिधि से एक मास तक नित्य साधन करने पर “पद्मिनी” यक्षिणी प्रसन्न होकर रात्रि के समय साधक को निधि तथा दिव्य भोग प्रदान करती है ।

7. दिव्य जलबासिन यक्षिणी साधना :

“जल- बासिन” यक्षिणी का साधन मंत्र यह है –
“ॐ भगबती समुद्र देहि रत्नानि जलबासिनी ह्रीं नमोस्तुते स्वाहा ।”

साधन बिधि – समुद्र के तट पर बैठकर, उक्त मंत्र का 100000 की संख्या में जप करने से “जलबासिनी” यक्षिणी प्रसन्न होकर साधक को ऊतम रत्न प्रदान करती हैं ।

8. दिव्य बिशाला यक्षिणी साधना :

“बिशाला” यक्षिणी का साधन मंत्र यह है –
“ॐ ऐ बिशाले क्रीं ह्रीं क्रीं क्लीं क्रीं स्वाहा ।”

साधन बिधि – पबित्र होकर चिरमिटी के बृक्ष के नीचे बैठकर उक्त मंत्र का 100000 की संख्या में जप करने से “बिशाला” यक्षिणी प्रसन्न होकर साधक को दिव्य –रसायन भेंट करती है ।

9. दिव्य चामुण्डा यक्षिणी साधना :

चामुण्डा यक्षिणी साधन का मंत्र यह है –
“ॐ क्रीं आगच्छ आगच्छ चामुंडे श्रीं स्वाहा ।”

साधन बिधि – मिट्टी तथा गोबर से पृथ्वी को लीपकर, उस पर कुश बिछा दें , तत्पश्चात पंचोपचार एबं नैबेद्य द्वारा देबी का पूजन कर, रुद्राक्ष की माला पर उक्त मंत्र का 1000000 की संख्या में जप करें तो “चामुण्डा” यक्षिणी प्रसन्न होकर अर्द्धरात्रि में सोते समय साधक को सभी शुभाशुभ फल स्वप्न में कह देती है ।

10. दिव्य बिचित्रा यक्षिणी साधना :

“बिचित्रा” यक्षिणी का साधन मंत्र यह है –
“ॐ बिचित्र बिचित्र ह्रपे सिद्धिं कुरु कुरु स्वाहा ।”

साधन बिधि – बटबृक्ष के नीचे पबित्र होकर बैठें तथा उक्त मंत्र का 100000 की संख्या में जप करके बंधूक- पुष्प, शहद, अन्न तथा हबन इन सबके मिश्रण का हबन करें तो बिचित्रा यक्षिणी प्रसन्न होकर साधक को अभीलाषित फल देती है ।

11. मदना यक्षिणी साधना :

“मदना” यक्षिणी का साधन मंत्र यह है –
“ॐ मदने बीड़म्बिनी अनंगसंग सन्देहि देहि क्लीं क्रीं स्वाहा ।”

साधन बिधि – पबित्र तथा स्थिर चित्त होकर उक्त मंत्र का 100000 की संख्या में जप करें तथा दूध एबं चमेली के फूलों की 100000 आहुतियाँ दे तो “मदना” यक्षिणी प्रसन्न होकर साधक को एक गुटिका प्रदान करती है । जिसे मुँह में रखने से मनुष्य अदृश्य हो जाता है अर्थात बह स्वयं तो सबको देख सकता है, परन्तु उसे कोई नहीं देख पाता ।

12. नटी यक्षिणी साधन :

“नटी” यक्षिणी का साधन मंत्र यह है –
“ॐ ह्रीं क्रीं नटी महानटी रूपबति स्वाहा ।”

साधन बिधि – अशोक बृक्ष के नीचे बैठकर चन्दन का एक मण्डल निर्माण कर देबी का पूजन करके 1000 की संख्या में धूप दें तथा 1000 की संख्या में उक्त मंत्र का जप करें ।

उक्त बिधि से एक मास पर्यन्त साधन करें । साधन –काल में रात्रि में केबल एक बार ही भोजन करना चाहिए तथा रात्रि में पुन: मंत्र जप कर अर्द्धरात्रि में पूजन करना चाहिए । इससे नटी यक्षिणी प्रसन्न होकर साधक को रसांजन तथा अन्य दिव्य भोग प्रदान करती है ।

13. चण्डबेगा यक्षिणी साधना :

चण्डबेगा यक्षिणी का साधन मंत्र यह है –
(१) “ॐ नमश्चन्द्राद्दादा कर्णकारण स्वाहा ।”
(२) “ॐ नमो भगबती रूद्राय चण्डबेगिने स्वाहा ।”

साधन बिधि – बटबृक्ष के ऊपर बैठकर, मौन धारण कर, उक्त दोनों मंत्रो में से किसी एक 100000 की संख्या में जप करें । फिर 7 बार मंत्र पढ़कर कांजी के पानी से अपने मुँह को धोयें ।

उक्त बिधि से रात्रि के समय तीन महीने तक नित्य जप करते रहने से चण्डबेगा यक्षिणी प्रसन्न होकर साधक को दिव्य रसायन प्रदान करती है ।

14. हंसी यक्षिणी साधना :

“हंसी” यक्षिणी का साधन मंत्र यह है –
“ॐ हंसि हंसि जने ह्रीं क्लीं स्वाहा ।”

साधन बिधि – पबित्र होकर नगर के भीतर प्रबेश करके उक्त मंत्र का 100000 की संख्या में जप करके तथा घी के मिले हुए कमल के पत्तों का दशांश हबन करने से हसी यक्षिणी प्रसन्न होकर, साधक को एक अंजन देती है, जिसे आँखों में लगाने बाला पृथ्वी के भीतर गढ़े हुए धन को देख लेता है । जब साधक को ऐसा धन दिखाई दे तो उसे ग्रहण कर लेना चाहिए ।

15. महाभया यक्षिणी साधन :

“महाभया” यक्षिणी का साधन मंत्र यह है –
“ॐ क्रीं महाभये क्लीं स्वाहा ।”

Yakshini Sadhna Vidhi  – सर्बप्रथम मनुष्य की हड्डीयों की माला बनाकर कंठ, दोनों कानों में धारण करे, फिर निर्भय तथा पबित्र होकर उक्त (Yakshini Sadhna) मंत्र का 100000 की संख्या में जप करे । इससे “महाभया” यक्षिणी एक ऐसा रसायन देगी, जिसे खाने से हर प्रकार के रत्न हस्तागत होगें ।

16. रक्त कम्बला यक्षिणी साधना :

“रक्त –कम्बला” यक्षिणी का साधन मंत्र यह है –
“ॐ ह्रीं रक्त कम्बले महादेबी मृतकमुत्थापय प्रतिमां चालय पर्बतान् कम्पय नीलयबिलसत हुं हुं स्वाहा ।”

Yakshini Sadhna Vidhi – उक्त मंत्र का तीन मास तक नित्य जप करने से “रक्त – कम्बला” यक्षिणी प्रसन्न होकर मृतक को जीबित तथा प्रतिमाओं को चलयामान कर देती है – ऐसा कहा जाता है ।

17. धनदा यक्षिणी साधना :

“धनदा” यक्षिणी का साधन मंत्र यह है –
“ॐ ऐ ह्रीं श्रीं धनं कुरु कुरु स्वाहा ।”

Yakshini Sadhna Vidhi – पीपल के बृक्ष के नीचे बैठकर एकाग्रचित से उक्त (Yakshini Sadhna) मंत्र को 10008 की संख्या में जप करने से धनदा यक्षिणी प्रसन्न होकर साधक को धन प्रदान करती है ।

18. राज्यप्रदा यक्षिणी साधन :

“राज्यप्रद” यक्षिणी का साधन मंत्र यह है –
“ॐ ऐ ह्रीं नम: ।”

Yakshini Sadhna Vidhi – तुलसी के पौधे की जड़ से समीप बैठकर, एकाग्रचित से, उक्त मंत्र (Yakshini Sadhna) का 10000 की संख्या में जप करने से “राज्यप्रदा” यक्षिणी प्रसन्न होकर साधक को आकस्मिक रूप से राज्यधिकार प्रदान करती है ।

19. जया यक्षिणी साधन :

“जया” यक्षिणी का साधन मंत्र यह है –
“ॐ जय कुरु कुरु स्वाहा ।”

Yakshini Sadhna Vidhi– आक के पौधे की जड़ के पास बैठकर, एकाग्रचित से उक्त मंत्र (Yakshini Sadhna) का 10000 की संख्या में जप करने से “जया” यक्षिणी प्रसन्न होकर साधक को सभी कार्यो में बिजय प्रदान करती है ।

20. सर्ब कार्य सिद्धिदा यक्षिणी साधना :

“सर्बकार्य सिद्धिदा” यक्षिणी का साधन मंत्र यह है –
“ॐ बाड् भयं नम: ऐ ।”

Yakshini Sadhna Vidhi  – कुश की जड़ के समीप बैठकर, एकाग्रचित से उक्त (Yakshini Sadhna) मंत्र का 10000 की संख्या में जप करने से “सर्ब कार्य सिद्धिदा” यक्षिणी साधक पर प्रसन्न होकर उसके सब कार्यो में सिद्धि प्रदान करती है ।

21. अशुभ क्षय कारिणी यक्षिणी साधना :

“अशुभ क्षय कारिणी” यक्षिणी का साधन मंत्र यह है –
“ॐ क्लीं नम: ।”

Yakshini Sadhna Vidhi :

आँबले के बृक्ष की जड़ के समीप बैठकर एकाग्रचित से उक्त (Yakshini Sadhna) मंत्र का 10000 की संख्या में जप करने से अशुभ क्षय कारिणी यक्षिणी प्रसन्न होकर साधक के सभी अशुभ (कष्ट अथबा अमंगल) को दूर कर देती हैं ।

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