दिशा बंन्धन मंत्र

मंत्र : बज्र- क्रोधाय महा-दंन्ताय दश-दिशो बंन्ध-बंन्ध हुं फट स्वाहा ।।
दिशा बंन्धन मंत्र बिधान :
उक्त मंत्र का प्रयोग दिशा-बंन्धन के लिए किया जाता है । इसके प्रभाब से साधक की साधना मे किसी प्रकार का बिघ्न नहीं पडता । उक्त मंत्र को किसी सुभ मुहुर्त में यथा-शक्ति जप करके सिद्ध कर लेना चाहिए । उसके उपरान्त जब भी किसी साधना के लिए तत्पर हों तो उक्त मंत्र को 7 या 21 बार जप करने से दशो दिशाओ का बंन्धन हो जाता है । जप करते समय अपना ध्यान नाभि पर अथबा त्रिकुटी में लगा लेना चाहिए । इससे मंत्र की शिघ्र सिद्धि होती है ।
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ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार (मो.) 9438741641 /9937207157 {Call / Whatsapp}
जय माँ कामाख्या

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