सत्रु विनासक धूमावती प्रयोग

यह प्रयोग अत्यंत भय कारक है । विचार पूर्वक इस मंत्र का जप करना चाईए । बिना गुरु के इस प्रयोग को करना अत्यंत नुकसान पहुचा सकता है ।
धूमावती प्रयोग मंत्र :
“धूम धूम धूमावती। मसान में रहती मरघट जगाती। सूप छानती जोगनियो के संग नाचती। डाकनियो के संग मास खाती। मेरी बैरी ——-का भी तू मास खाये।कलेजा खाये,लहू पिये प्यास भुजाएँ। मेरी बैरी तड़पा तड़पा मार।ना मारे तो तोहू को माता पारवती के सिंदूर की दुहाई। कनिपा औघड़ की आन।”
धूमावती प्रयोग विधि विधान:
एक छोटा सुप ले। थोड़ा सा शराब और बकरे का कच्चा मास ले । अमावस्या की रात्रि में समशान जाए। वही एक कफन का टुकड़ा ले तथा जलती चिता के समक्ष बैठे । सुरक्षा घेरा लागये।।।इस मंत्र की 11 माला करे । जप के बाद मंत्र को पढ़ते हुए चिता की राख को मुठी मे ले। राख में थोड़ी शराब मिलाए तथा उसका एक लेप बना ले उसके बाद कफन के टुकड़े पे अपनी तर्जनी उंगली से मंत्र लिखे । रिक्त स्थान पे सत्रु का नाम लिखना है । फिर उसपर बकरे के मास का टुकड़ा रखें। चार तह बना ले फिर सूप मे मास रख कर उसमे बाकी शराब डाल दे । और मंत्र बोल कर सूप को चिता पे रख दे और कफन का टुकड़ा लेकर सत्रु के यह डाल दे या घर के बाहर डाल दे छोटी सी टुकड़ा बना कर। सत्रु नाश उसी दिन से हो जाएगा ।

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जय माँ कामाख्या

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