हे कामाख्या !हे शिब-शक्ति ! करते हैं हम भक्ति ।
सुन लो भक्त की पुकार, बेडा है मंझधार ।।
चलाकर पतबार, लगा दो मां । पार ।
तुम्हें शंकर की आन, सत्-गुरु का कह्ना मान ।।
सहारा दे दो मां, हम हो रहे बेकार ।
निराशा का अंन्धकार, दूर है किनार ।।
दया-द्रुष्टि फेरो अम्बे । बेडा करो पार ।
दोहाई है, दोहाई है, तुम्हारे चरोणों में माई ।
दोहाई कामरुप दानी की, दोहाई हाडी दासी की ।।
प्रथम मंत्र – नम: कामाख्या ह्रीं क्रीं श्रीं फट् स्वाहा ।।
बिधि- शनिबार को शनि देब की पूजा कर उक्त प्रार्थना कर मंत्र 108 बार जपें।इसके बाद गो-माता को गुड खिलाकर गाय के गोबर का उपला बनायें। उसे दिन भर सुखायें और रात को जलायें। जब तक बह उपला जलता रहे, तब तक उक्त मंत्र पढते रहें। उपला जब जलकर भस्म हो जाए, तब उसे उठाकर मिट्टी के नये पात्र में रख दें ।बाद में जब नौकरी,ब्यापर या किसी कार्य के लिए यात्रा करनी हो, तो इस भस्म में से एक चुटकी लेकर, उसे उक्त मंत्र से 7 बार अभिमंत्रित कर, ललाट पर तिलक लगायें ।इससे कार्य ब यात्रा में अबश्य सफलता प्राप्त होगी।
द्वितीय मंत्र : ओम नम: भगबती पदमाबती, रिद्धि-सिद्धि दायिनी ,दुख दारिद्र्य हारिणी श्रीं श्रीं ओम नम: नम: कामाख्यायै नम: ह्रीं ह्रीं फट् स्वाहा !!
बिधि- शनिबार को शनि देब की पुजा कर उक्त मंत्र का 1008 बार जप करें। फिर नौकरी के लिए यात्रा करने के पहले सात बार उक्त मंत्र का जप करें और चलते समय गो-माता को गुड खिलाकर आगे बढें, तो निश्चित रुप में नौकरी की प्राप्ति होगी।
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ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार : मो. 9438741641 {Call / Whatsapp}