क्या आप जानते हैं कि एक छोटी सी फूल भी आपके जीवन को बदल सकती है?
फूल वृक्ष, पौधों और फूलों में शारीरिक और मानसिक रोगों को दूर करने की क्षमता के अलावा वास्तुदोष मिटाने की क्षमता भी होती है । फूलों के बारे में कहा जाता है कि वे आपका भाग्य बदलकर आपके जीवन में खुशियां भरने की क्षमता रखते हैं । हालांकि कई ऐसे भी फूल होते हैं, जो आपकी जिंदगी में जहर घोल सकते हैं ।
आप अपने गार्डन या गमलों में इनके फूल लगाकर अच्छा महसूस करेंगे । अच्छा महसूस करने से ही घर का माहौल बदलने लगता है और जीवन में खुशियां आती है ।
1) पारिजात का फूल : पारिजात के फूलों को हरसिंगार और शैफालिका भी कहा जाता है । पारिजात के फूल आपके जीवन से तनाव हटाकर खुशियां ही खुशियां भर सकने की ताकत रखते हैं । पारिजात के ये अद्भुत फूल सिर्फ रात में ही खिलते हैं और सुबह होते-होते वे सब मुरझा जाते हैं । यह माना जाता है कि पारिजात के वृक्ष को छूने मात्र से ही व्यक्ति की थकान मिट जाती है ।
हरिवंशपुराण में इस वृक्ष और फूलों का विस्तार से वर्णन मिलता है । इन फूलों को खासतौर पर लक्ष्मी पूजन के लिए इस्तेमाल किया जाता है लेकिन केवल उन्हीं फूलों को इस्तेमाल किया जाता है, जो अपने आप पेड़ से टूटकर नीचे गिर जाते हैं । यह फूल जिसके भी घर-आंगन में खिलते हैं, वहां हमेशा शांति और समृद्धि का निवास होता है ।
2) चम्पा के फूल : चम्पा के खूबसूरत, मंद, सुगंधित हल्के सफेद, पीले फूल अक्सर पूजा में उपयोग किए जाते हैं । चम्पा का वृक्ष मंदिर परिसर और आश्रम के वातावरण को शुद्ध करने के लिए लगाया जाता है । चम्पा के वृक्षों का उपयोग घर, पार्क, पार्किंग स्थल और सजावटी पौधे के रूप में किया जाता है ।
हिन्दू पौराणिक कथाओं में एक कहावत है:-
‘चम्पा तुझमें तीन गुण- रंग रूप और वास, अवगुण तुझमें एक ही भंवर न आएं पास।’
रूप तेज तो राधिके, अरु भंवर कृष्ण को दास, इस मर्यादा के लिए भंवर न आएं पास।।
चम्पा में पराग नहीं होता है इसलिए इसके पुष्प पर मधुमक्खियां कभी भी नहीं बैठती हैं । चम्पा को कामदेव के 5 फूलों में गिना जाता है । देवी मां ललिता अम्बिका के चरणों में भी चम्पा के फूल को अन्य फूलों, जैसे अशोक, पुन्नाग के साथ सजाया जाता है। चम्पा का वृक्ष वास्तु की दृष्टि से सौभाग्य का प्रतीक माना गया है ।
चम्पा मुख्यत: 5 प्रकार की होती हैं- 1. सोन चम्पा, 2. नाग चम्पा, 3. कनक चम्पा, 4. सुल्तान चम्पा और 5. कटहरी चम्पा । सभी तरह की चम्पा एक से एक अद्भुत और सुंदर होती है और इनकी सुगंध के तो क्या कहने!
3) चमेली का फूल : चमेली को संस्कृत में सौमनस्यायनी और अंग्रेजी में जेस्मीन कहते हैं । चमेली तो आमतौर पर सभी जगह पाई जाती है लेकिन जब इसके फूल आंगन में सुबह-सुबह बिछ जाते हैं तो घर और परिवार भी खुशियों से भर जाता है ।
यह फूल भी चमत्कारिक और अद्भुत है । इसके घर-आंगन में होने से आपके विचारों और भावों में धीरे-धीरे बदलाव होने लगेगा । आपकी सोच सकारात्मक होने लगेगी। चमेली भी दो प्रकार की होती है ।
चमेली फूल के कई औषधीय गुण होते हैं । इसका तेल भी बनता है । यह चेहरे की चमक बढ़ाने के लिए बहुत ही उपयोगी होता है । चमेली की बेल होती है और पौधा भी । इसकी कली लंबी डंडी की होती है और फूल सफेद रंग के होते हैं । चमेली के फूलों की खुशबू से दिमाग की गर्मी दूर होती है ।
4) रातरानी के फूल : इसे चांदनी के पुष्प भी कहते हैं । रातरानी के पुष्प मदमस्त खुशबू बिखेरते हैं । इसकी खुशबू बहुत दूर तक जाती है । इसके छोटे-छोटे पुष्प गुच्छे में आते हैं तथा रात में खिलते हैं और सवेरे सिकुड़ जाते हैं । रातरानी के पुष्प साल में 5 या 6 बार आते हैं । हर बार 7 से 10 दिन तक अपनी खुशबू बिखेरकर बहुत ही शांतिमय और खुशबूदार वातावरण निर्मित कर देते हैं । जिसकी भी नाक में इसकी सुगंध जाती है, वह वहीं ठहर जाता है । इसकी सुगंध सूंघते रहने से जीवन के सारे संताप मिट जाते हैं ।
रातरानी और चमेली के पुष्प का इत्र भी बनता है । रातरानी और चमेली के पुष्प से महिलाएं गजरा बनाती हैं, जो बालों में लगाया जाता है । रातरानी का पौधा एक सदाबहार झाड़ी वाला 13 फुट तक हो सकता है । इसकी पत्तियां सरल, संकीर्ण चाकू जैसी लंबी, चिकनी और चमकदार होती हैं । पुष्प एक दुबला ट्यूबलर जैसा साथ ही हरा और सफेद होता है ।
5) जूही के फूल : जूही की झाड़ी अपने सुगंध वाले पुष्प के करण बगीचों में लगाई जाती है । जूही के फूल छोटे तथा सफेद रंग के होते हैं और चमेली से मिलते-जुलते हैं । पुष्प वर्षा ऋतु में खिलते हैं । इसकी सुगंध से मन और मस्तिष्क के सारे तनाव हट जाते हैं और यह वातावरण को शुद्ध बना देता है ।
6) मोगरा फूल: इसे संस्कृत में ‘मालती’ तथा ‘मल्लिका’ कहते हैं । मोगरे के पुष्प गर्मियों में खिलते हैं । इसकी भीनी-भीनी महक से तन और मन को ठंडक का अहसास होता है । इसका पुष्प सफेद रंग का होता है । जैसे-जैसे गर्मी बढ़ती है, इसकी सुगंध आपको गर्मी के अहसास से दूर रखती है । मोगरा कोढ़, मुंह और आंख के रोगों में लाभ देता है।
7) कमल फूल: कमल के पुष्प को धारण करने से शरीर शीतल रहता है, फोड़े-फुंसी आदि शांत होते हैं तथा शरीर पर विष का कुप्रभाव कम होता है । गुलाब, बेला, जूही आदि के अलंकरण हृदय को प्रिय होते हैं । इससे मोटापा कम होता है । चम्पा, चमेली, मौलसरी आदि के प्रयोग से शरीर दाह की कमी तथा रक्त विकार दूर होते हैं और मन प्रसन्न रहता है ।
8) गुलाब फूल: गुलाब को पुष्प का राजा कहा गया है । यह सफेद, गुलाबी और लाल रंग में अधिकतर पाया जाता है । हालांकी आजकल नीले और काले रंग के गुलाब भी पाए जाने लगे हैं ।
गुलाब को गुलाब इसलिए कहते हैं क्योंकि यह अधिकतर गुलाबी रंग में बहुतायत में मिलता है । इससे त्वचा के सौन्दर्य को निखारा जा सकता है। गुलाब के पुष्प की पत्तियां त्वचा को पोषण देती हैं, त्वचा के रोम-रोम को सुगंधित बनाती हैं, ठंडक प्रदान करती हैं । गर्मियों में गुलाब के पुष्प का रस चेहरे पर मलने से चेहरे पर ठंडी-ठंडी ताजगी बनी रहती है ।
आंखों की जलन और खुजली दूर करने के लिए गुलाब जल का प्रयोग किया जाता है । गुलाब के घर में महकते रहने से किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं होती। मन पवित्र और शांत बना रहता है। इससे जीवन में उत्साह बना रहता है ।
9) रजनीगंधा फूल: रजनीगंधा का पौधा पूरे भारत में पाया जाता है । मैदानी क्षेत्रों में अप्रैल से सितम्बर तथा पहाड़ी क्षेत्रों में जून से सितम्बर माह में पुष्प निकलते हैं । रजनीगंधा की तीन किस्में होती है ।
रजनीगंधा के पुष्प का उपयोग माला और गुलदस्ते बनाने में किया जाता है । इसकी लम्बी डंडियों को सजावट के रूप में भी प्रयोग किया जाता है । इसका सुगंधित तेल और इत्र भी बनता है । इसके कई औषधीय गुण भी है।
10) अर्जुन फूल : यह सदाहरित वृक्ष है । इसके पुष्प प्याले के आकार के हल्के पीले होते हैं । पुष्प मार्च से जून तक खिलते हैं ।
11) अगस्त्य का फूल : अगस्त्य के पुष्प सफेद अथवा गुलाबी रंग के होते हैं, जो शीत ऋतु में लगते हैं । आयुर्वेद के अनुसार अगस्त्य पेड़ शरीर से विषैले तत्वों को निकालने का काम करता है । इसके पंचांग (पुष्प , फल, पत्ते, जड़ व छाल) रस और सब्जी के रूप में प्रयोग होते हैं । इस पेड़ में आयरन, विटामिन, प्रोटीन, कैल्शियम व कार्बोहाइड्रेट पर्याप्त मात्रा में होते हैं ।
12) सदाफूली फूल: सदाफूली को सदाफूली इसलिए कहते हैं, क्योंकि इसके पुष्प बारहों महीने खिलते रहते हैं । इसे नयनतारा भी कहते हैं । कहते हैं कि इसकी 8 जातियां पाई जाती हैं जिनमें से मात्र एक ही भारत में है और बाकी सभी मेडागास्कर में पाई जाती हैं । 5 पंखुड़ियों वाला यह पुष्प सफेद, गुलाबी, फालसाई, जामुनी आदि रंगों में खिलता है ।
अंग्रेजी में इसे विंका या विंकारोजा कहते हैं । इसका वैज्ञानिक नाम केथारेन्थस है । भारत में पाई जाने वाली प्रजाति का वैज्ञानिक नाम केथारेन्थस रोजस है । इसे पश्चिमी भारत के लोग सदाफूली के नाम से बुलाते हैं । मधुमेह रोग में इसके पुष्प काम आते हैं ।
13) अमलतास फूल: आयुर्वेद में इसे स्वर्ण वृक्ष कहते हैं । इसके पुष्प मार्च, अप्रैल और मई माह में खिलते हैं, जो पीले होते हैं । लंबे-पतले डंठलों पर लटकने वाले पीले पुष्प और गोल कलिकाएं कानों में लटकने वाले बूंदों के समान दिखाई देती हैं । पीले सुनहरी पुष्प से लदा हुआ यह वृक्ष घर-आंगन को सुकून और समृद्धि से भर देता है ।
ग्रीष्म की तेज धूप में उजले-पीले पुष्प के लंबे झुमकों को अपने सिर पर मुकुट की तरह धारण करने वाला वृक्ष अमलतास अपने अद्भुत सौन्दर्य से सबका मन मोह लेता है । यह वृक्ष भारत और बर्मा (म्यांमार) के जंगलों में बहुतायत से पाया जाता है । बारिश के मौसम में अमलतास पर फल आते हैं। अमलतास का गूदा पथरी, मधुमेह तथा दमे के लिए अचूक दवा के रूप में माना जाता है ।
14) कनेर फूल: इस वृक्ष की 3 जातियां होती हैं जिनमें क्रमश: लाल, पीले और नीले पुष्प लगते हैं । इन पुष्पों में गंध नहीं होती ।
हृदय रोगो में जब कोई और उपाय नहीं होता है तो इसका प्रयोग किया जाता है । कनेर का मुख्य विषैला परिणाम हृदय की मांसपेशियों पर होता है । इसे अधिकतर औषधि के लिए उपयोग में लाया जाता है ।
15) बेला फूल : विवाह की समस्या दूर करने के लिए बेला के पुष्प का प्रयोग किया जाता है । इसकी एक और जाति है जिसको मोगरा या मोतिया कहते हैं । बेला के पुष्प सफेद रंग के होते हैं । मोतिया के पुष्प मोती के समान गोल होते हैं ।
16) गेंदा फूल: इसे अंग्रेजी में मेरीगोल्ड कहते हैं । गेंदे की कई किस्में हैं और ये गहरे पीले, वासंती, नारंगी, कत्थई रंग के मखमली फूल होते हैं । यह इकहरी पंखुड़ियों वाला भी होता है और सैकड़ों पंखुड़ियों वाला यानी हजारा भी ।
इन पुष्प से माला बनाई जाती है । आप इसकी सुगंध से भी परिचित होंगे लेकिन सजावट के लिए दरवाजों और खिड़कियों पर इसको वंदनवार की तरह लगाया जाता है । पीले रंग के पुष्प घर में होने से मंगल कामनाएं पूर्ण होती हैं और घर में मांगलिक कार्य होते रहते हैं ।
17) केवड़ा फूल : यूं तो यह एक बेहतरीन खुशबू का पुष्प है तथा इसके इत्र की तासीर ग्रीष्म में तन को शीतलता प्रदान करती है । केवड़े के पानी से स्नान करने से शरीर की जलन व पसीने की दुर्गंध से भी छुटकारा मिलता है । गर्मियों में नित्य केवड़ायुक्त पानी से स्नान करने से शरीर में शीतलता बनी रहती है ।
केवड़ा का उपयोग इत्र, पान मसाला, गुलदस्ते, लोशन तम्बाखू, केश तेल, अगरबत्ती, साबुन में सुगंध के रुप में किया जाता है । केवड़ा तेल का उपयोग औषधि के रूप में सरदर्द और गठियावत में किया जाता है ।
18) गुड़हल का फूल : गुड़हल का पुष्प देखने में ही सुंदर नहीं होता बल्कि यह सेहत का खजाना लिए हुए होता है । इसे हिबिसकस या जवाकुसुम भी कहते हैं। इसके सभी हिस्सों का इस्तेमाल खाने, पीने या दवाओं के काम के लिए किया जा सकता है ।
गुड़हल का पुष्प विटामिन सी का बढ़िया स्रोत है और इससे कफ, गले की खराश, जुकाम और सीने की जकड़न में फायदा मिलता है । गुड़हल की पत्तियां प्राकृतिक हेयर कंडिशनर का काम देती हैं और इससे बालों की मोटाई बढ़ती है । बाल समय से पहले सफेद नहीं होते । बालों का झड़ना भी बंद होता है । सिर की त्वचा की अनेक कमियां इससे दूर होती है ।
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