किस कामना के लिए कौन सा यंत्र पूजें :
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मंगल दोष की काट है शनि ग्रह –
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जाने मंगलदोष की सत्यता :
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पहले समय में किसी भी व्यक्ति के विवाह से पूर्व स्त्री और पुरुष की जन्म पत्रिका को मिलाया जाता था | लेकिन धीरे धीरे वह प्रथा लुप्त हो चुकी है | आज कल एक तर्क भी दिया जाता है की विदेशो में कहा जन्म पत्रिका को मिलाया जाता है तब भी वहा विवाह होते है | सभी बात है लेकिन में इसे एक कुतर्क मानता हु क्योंकि जो डिवोर्स का ratio भी वहा बहोत ज्यादा है | यह ही इस बात को साबित करता है की जन्म पत्रिका के मिलाप के बाद किये जाने वाले विवाह में स्थिरता अधिक होती है |
वैदिक ज्योतिष के अनुसार विवाह के लिए जब दो पत्रिका को मिलाया जाता है तब उसमे सबसे बड़ा अगर कोई प्रश्न होता है तो वह मांगलिक हों और न होना होता है | क्योकि ज्योतिष में यह कहा गया है की जब जन्म पत्रिका के 1,4,7,8 और 12 वे भाव में मंगल हो तब उसे मांगलिक कहा जाता है | यह एक अधुरा सा नियम है जब जब मंगल 1,4,7,8 और 12 वे भाव में स्थित हो तब यह मांगलिक दोष उत्पन्न नहीं करता उसमे भी शास्त्रों में कुछ ऐसे नियम बताये है| उस नियम के आधीन अगर मंगल आता है तो भले ही वह 1,4,7,8 और 12 में से कोई भी भाव में हो लेकिन उसे मांगलिक नहीं माना जाएगा | आज के इस लेख में हम उस पर ही बात करेंगे की किन परिस्थिति में मंगल का 1,4,7,8 और 12 वे भावमें होने पर भी उसे मांगलिक नहीं माना जाएगा |
कुछ ऐसी परिस्थितियां जिसे मांगलिक नहीं माना जाता :
• पहले भाव में मेष राशी का मंगल दूषित नहीं माना गया है |
• चोथे भाव में वृश्चिक राशी का मंगल दूषित नहीं माना गया है |
• सातवे भाव में मकर राशी का मंगल दूषित नहीं माना गया है |
• आठवे भाव में कर्क राशी में स्थित मंगल को दूषित नहीं मनागाया है |
• वक्री मंगल दूषित नहीं होता है |
• कर्क राशी में मंगल नीच का हिने की वजह से उसे दूषित नहीं माना गया |
• मंगल शत्रु के क्षेत्र में हो मिथुन राशी मी या कन्या राशी में तो उसे विवाह मी लिए बुरा नहीं माना गया है विवाह में वह कोई बाधा नहीं दे शकता |
• जन्म लग्न सिंह राशी या कर्क राशी का हो तो वह मंगल दूषित नहीं है |
• मेष लग्न और धन लग्न में मंगल योगकारक गृह होने की वजह से वह दूषित नहीं है |
• मकर राशी में लग्न में बेठा हुआ मंगल और कर्क में चन्द्र हो तब मंगल दूषित नहीं है |
• केंद्र में होकर अगर वह पंचमहापुरुष योग बनाता है तो वह दूषित नहीं है |
• सातवे स्थान में पाप गृह खुद की राशी का हो तो उसे उत्तम माना जाता है |
• मंगल के साथ गुरु हो या मंगल पर गुरु की दृष्टि हो तो वह जन्म पत्रिका में से अनेक अनिष्टकारी योग का भी नाश करते है |
• गुरु या शुक्र में से कोई अगर बलवान होकर लग्न में स्थित है तो मंगल दोष नहीं लगता है |
• मगल 1, 4, 7, 8, या 12वे भाव में में से किसी भी राशी में हो और उस राशी का स्वामी अगर केंद्र या त्रिकोण स्थान में हो तो मंगलदोष नहीं रहता है |
• जन्म पत्रिका में पहले भाव में अगर शुक्र, बुध या गुरु मजबूत होकर स्थित है तो मंगल दोष नहीं लगता है |
• मंगल के साथ चन्द्र हो तो चन्द्र-मंगल नामक लक्ष्मी योग बनता है |
• मंगल स्वगृही राहू के साथ दूषित नहीं है |
• आठवे भाव में धन और मीन का मंगल दूषित नहीं है |
{{ यह कुछ विशेष परिस्थितिया थी जिसमे मंगल को दूषित नहीं माना गया है | यह एक अध्ययन का विषय है हमें आशा है की प्रबुद्धजन इस पर अवश्य विचार विमर्श करें |}}
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ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार – 9438741641 (Call/Whatsapp)

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