मनोहरा योगिनी साधना :
भूत डामर तंत्र में कहा गया है कि योगिनियों के साधन की महाबिद्या परमगोपनीय तथा देबताओ को दुर्लभ है । योगिनियों की पूजा करके ही कुबेर ने ध्न्याधिप का पद प्राप्त किया है । इस प्रकार में प्रमुख अष्ट योगिनियों की साधन बिधि का बर्णन किया जा रहा है , उसमे से मनोहरा योगिनी अन्यतम है –
“मनोहरा योगिनी हरिणी के समान नेत्रों बाली, शरद चन्द्रमा के समान मुख बाली, बिम्बाफल जैसे होठों बाली, तोते जैसे नाक बाली, पीन स्तनी, मन की बात जानने बाली, श्यामाबर्ण, बिचित्र एबं साधक की कामनाओं को पूर्ण करनेबाली है ।”
नदी तटपर जाकर नित्य कर्म स्नानादि से निबृत हो न्यास आदि क्रियाओं को समाप्त कर चन्दन के मण्डल में योगिनी मंत्र को लिखकर मनोहरा योगिनी का ध्यान करे । इस प्रकार से योगिनी देबी का ध्यान तथा बिधिपुर्बक अगर, धूप, गंध, पुष्प, मधु और ताम्बूल आदि से पूजन करके प्रतिदिन 10000 की संख्या में मंत्र का जप करें ।
मनोहरा योगिनी का साधन मंत्र यह है –
“ॐ ह्रीं मनोहरे आगच्छ स्वाहा ।”
इस प्राकर से नित्य एक मास तक जप करते रहें । मास के अंतिम दिन प्रात: काल से जप करना आरम्भ करके दिन भर जप करते रहें । अर्द्धरात्रि तक जप करते रहने पर मनोहर योगिनी साधक को दृढ़- प्रतिज्ञ जान कर उसके पास आती है । तब साधक को नाना बिधि बिधान से उनका पूजनोपचार करना तथा अपनी मनोभिलाषा को देबी के समक्ष स्पष्ट करना चाहिए ।
योगिनी प्रसन्न होकर साधक की सभी इच्छाओं को पूरा करेगी तथा उसे प्रतिदिन एक सौ स्वर्ण मुद्राएं देगी । साधक को चाहिए कि बह उन्हें प्रतिदिन खर्च कर दिया करे । कुच्छ भी बचाकर न रखे अन्यथा देबी क्रोध होकर फिर कुच्छ भी नहीं देगी ।
इस योगिनी के साधक को स्त्री सह्बास त्याग देना चाहिए ।
तंत्र साधना कोई निकृष्ट कर्म नहीं, बल्कि चरम रूप है आराधना ,उपासना का । तंत्र के बारे में जानकारियों के अभाब ने ही आज हमसे छीन ली है देबाराधना की यह सबसे प्रभाबशाली पद्धति । यदि साधक में भरपूर आत्मबिश्वास और निश्चय में दृढ़ता है तो बह श्रद्धापूर्बक साधना करके आसानी से अलोकिक शक्तियों और आराध्यदेब की बिशिष्ट कृपाओं को प्राप्त कर सकता है । सिद्ध साधक बनने के लिए आबश्यकता है साधना के पूर्ण बिधि – बिधान और मंत्रो के ज्ञान । साधना और सिद्धि प्राप्त केलिए आज ही सम्पर्क करे और पाए हर समस्या का समाधान – 9438741641 (Call/ Whatsapp)