शत्रु को मृत्यु तुल्य दंड देती है माँ बगलामुखी

शत्रु को मृत्यु तुल्य दंड देती है माँ बगलामुखी :

माँ बगलामुखी : यदि आप निरपराधी हैं और शत्रु आप पर लगातार तंत्र का दुरूपयोग कर आप को परेशान कर रहा है, तब माँ बगलामुखी के दंड विधान प्रयोग करने में विलम्ब न करें, जब तक दुष्ट को उसकी दुष्टता का दंड नहीं मिल जाता, वह अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करता ही रहता है । अपने गुरु से आज्ञा लेकर दंड विधान को प्रारम्भ कर दें, शीघ्र ही दुष्ट के किए हुए कर्मों की सजा माँ बगलामुखी स्वयं दे देती है । जब किसी भी मंत्र के प्रयोग से सफलता न मिल पा रही हो, तब ग्रामीण आंचल में प्रचलित माँ बगलामुखी के शाबर मंत्र का प्रयोग करें- सुखद परिणाम मिलता है । प्रयोग से पूर्व शावर पद्यति से इसे जाग्रत कर लेते हैं अर्थात होली, दीपावली व ग्रहण काल में एक हजार जप कर इसे जाग्रत कर लेते हैं ।
प्रयोग विधि- माँ बगलामुखी मंत्र प्रयोग से पूर्व कन्या पूजन करते हैं किसी जमादार, भंगी की कन्या (जिसका मासिक न प्रारम्भ हुआ हो) का पूजन करते हैं, एक दिन पूर्व जाकर कन्या की माँ से उसे नहला कर लाने को कहे फिर नए वस्त्र (चड्ढी व फराक) पीले हो तो अति उत्तम, पहना कर, चुनरी ओढ़ा कर ऊँचे स्थान (पीढ़ा या कुर्सी) पर बैठा कर, खुद उसके नीचे बैठे व हृदय में भावना करे कि मैं माँ बगलामुखी का श्रिंगार व पूजन कर रहा हूँ, इस क्रिया में भाव ही प्रधान होता है, अब उसके पैरों पर जल धीरे-धीरे डालते हुए मन में भावना करे मैं माँ बगलामुखी के पैरों को अच्छे से साफ कर रहा हूँ फिर उसे तौलिए से पोछ कर, नई चप्पल पहनाए तथा पीला भोग (छेने की रसमलाई या बर्फी पीली) अपने हाथ से खिलाए व उसे ध्यान से देखे कभी-कभी कन्या का पैर या चेहरा पीले रंग में दिखने लगता है । भोग लगाने के बाद उसे कुछ देर बैठा रहने दें व स्वयं मन ही मन प्रार्थना करें …..
“हे माँ बगलामुखी हमें शत्रुओं ने बहुत पीड़ित कर रखा है, हम पर कृपाा करें उन शत्रुओं से हमारी रक्षा करे व उन्हें दंड दे ”
फिर कन्या के हाथ में यथा शक्ति दक्षिणा रख कर उससे आशीर्वाद लेकर रात्रि में इस मंत्र का एक सौ आठ बार जप कर पुनः शत्रु को दंड देने हेतु प्रार्थना कर दे। सात दिन लगातार इस प्रयोग से माँ पीताम्बरा शत्रु को मृत्यु तुल्य दंड देती है .।
इस मंत्र का प्रयोग आजमाने हेतु या निरपराधी व्यक्ति पर भूल कर न करें नहीं तो दुष्परिणाम भोगने ही पड़ जाता है।
मंत्र – “जय जय बगला महारानी, अगम निगम की तुम्हीं बखानी, संकट में घिरा दास तुम्हारो, अमुक (अपना नाम दें) दास को तुरत उबारो, बैरी का बल छिन लो सारो, निर्दयी दुष्टों को तुम्हीं संघारो, जिव्हा खिंच लो शत्रु की सारी, बोल सके न बिच सभारी तुम मातु मैं दास तुम्हारा, आन हरो मम संकट सारा, दुहाई कामरूप कामाख्या माई की।”
इसी प्रकार अगर कोई व्यक्ति अपने किसी शत्रु से निजात पाना चाहता है तो उसके लिए भी माँ बगलामुखी का एक खास शत्रुनाशक मंत्र है।
मंत्र: ” ओम बगलामुखी देव्यै ह्लीं ह्रीं क्लीं शत्रु नाशं कुरु। “
 
इस मंत्र के जाप के समय बगलामुखी देवी की प्रतिमा के सामने गुग्गल की धूनी जलाई जाती है और इन्हे काले रंग के वस्त्र मे नारियल लपेट कर अर्पित किया जाता है। ध्यान रखे की इस साधना को करते समय आपका मुख पश्चिम दिशा की ओर ही हो। साथ ही ऊपर बताए गए मंत्र का कुल 5 माला का जप करे, जिसके बाद आप इसके प्रभाव से अपने शत्रु से निजात पा सकेंगे।
 
सदैव याद रखें, गलत कार्यों से अपना प्रारब्ध बिगड़ जाता है, जिसे भोगना पड़ता है।

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जय माँ कामाख्या

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