राम साधना मन्त्र :
राम साधना यज्ञ सामग्री : श्री राम बिष्णु का एक रूप ही है अत: अग्नि साधना एब बिष्णु साधना की यज्ञ सामाग्री प्रयुक्त करें ।
मंत्र : “राम” स्वयं में मंत्र रूप शव्द है । इसका उचारण “राउम” होना चाहिए । जैसे “ओउम” का उचारण होता है । याद रहे , इसमें एक बिशेष कंपन होता है । अत: इसके तांत्रिक उचारण में इसका सदैब ध्यान रखना चाहिए ।
यज्ञ एबं सिद्धि बिधि : चन्दन की चौकी पर तुलसी की कलम से और चन्दन से एक सौ आठ बार राम का नाम लिखे । उपरोक्त बिधि से भूमि का पूजन बंधन करके या किसी निर्जन कक्ष में पबित्रता बनाकर ईशान कोण पर बिष्णु साधना के अनुरूप राम साधना के लिए आसन लगायें । कक्ष हबादार होने के साथ ईशान की तरफ खिड़की खुली रहनी चाहिए । पुर्बबत अग्नि प्रज्वलित करके राम का ध्यान करे तथा एक सौ आठ बार हबि देने के बाद नेत्र बंद करके त्राटक में राम की प्रतिमा का ध्यान करते हुए राम नाम का जाप आरम्भ करें ।
यह राम साधना जाप ब्राह्ममुहूर्त से आरम्भ करके अगले दिन सूर्योदय तक किया जाता है । कक्ष के किसी कोने में मूत्र आदि की नाली होनी चाहिए या बाथरूम स्थित होना चाहिए । यह जाप अखंड चलता है ,अत: कोई रोक टोक , बातचीत करना सदैब मना । टहलने घुमाने –फिरने पर कोई प्रतिबन्ध नहीं होता , परन्तु जाप का क्रम टूटता नहीं चाहिए । एक सौ आठ दिन में सिद्धि प्राप्त होती है परन्तु ब्रह्मचर्य पालन करने पर ।
सिद्धि फल : कार्य सिद्धि , इष्ट प्राप्ति , मनोकामना पूर्ति , रोग मुक्ति आदि । यह जाप निरंतर प्रत्येक तीसरे दिन एक सौ आठ दिन तक कर लेने पर रामजी के दर्शन प्राप्त हो जाते हैं ।
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