राहु ग्रह : जानें किन परिस्थितियों में राहु देता है शुभ-अशुभ फल
राहु ग्रह : ज्योतिष शास्त्र में छाया ग्रह के रुप में जाना जाने वाला राहु ग्रह पूर्व जन्मों के कर्म बंधन को दर्शाता है । राहु जिस ग्रह के साथ युति में होता है वैसा ही कर्मबंधन अर्थात दोष होता है । पौराणिक मान्यताओं के अनुसार राहु सिर है । शरीर की अन्य इंद्रियों के अभाव के चलते इसमें अच्छे-बुरे का ज्ञान नहीं होता है, इसलिए इसे यह धर्म के विपरीत कार्य करता है । सामान्य रूप से लोगों में यह मान्यता है कि राहु ग्रह हमेशा ही जातक को खराब फल देता है । बल्कि ऐसा नहीं है ।
राहु के प्रभाव से व्यक्ति बनता है बहादुर और निडर :
युद्ध में लड़कर महावीर कहलाने वाले, वीर चक्र प्राप्त करने वाले और युद्ध प्रेमी जातकों की कुंडली में राहु ग्रह बलवान होता है । राहु अक्सर लोगों के आवास, उद्देश्य और मित्रों में परिवर्तन लाता है, जबिक स्वार्थ की भावना अधिक होने से यह शत्रुता में बढ़ोत्तरी करता है । राहु ग्रह का प्रभाव जिन पर होता है वे आत्मविश्वास से भरपूर, बहादुर और निडर होते हैं । राहु जब बुध की राशि में होता है तब अधिक बलशाली हो जाता है ।
मंगल के साथ अफीम-चरस का धंधा तो बुध को साथ मिल व्यापारी राहु :
राहु ग्रह कन्या राशि में बलवान होता है । राहु की खुद की कोई राशि नहीं होती, इसलिए वह जिस भी स्थान में होता है उस स्थान के अधिपति जैसा ही फल देता है । यदि राहु ग्रह अकेला ही केंद्र या त्रिकोण में बैठ केंद्र या त्रिकोण के स्वामी के साथ युति करता है तो योगकारक बनता है । ज्योतिष शास्त्र के अनुसार राहु ग्रह 3, 6 व 11वें भाव में बलवान बनता है। शुक्र-राहु की युति जातक को कामुक बनाती हैं, वहीं इसकी गुरु के साथ युति गुरु चांडाल योग को जन्म देती है । हालांकि, गुरु व शुक्र जिस भाव के स्वामी होते है उसके अनुसार ही लाभ या नुकसान देते हैं । राहु-मंगल का वृश्चिक राशि से एक प्रकार का विषैला संबंध बनाता है जिसकी वजह से अफीम, गांजे, शराब और चरस के धंधे में राहु फायदा कराता है । राहु अगर शुभ बुध के साथ होता है तो वह जातक को एक अच्छा व्यापारी व वैज्ञानिक भी बनाता है। हालांकि, अशुभ स्थान पर स्थित बुध जातक के लिए अशुभ परिणाम लाता है ।
ज्ञान का कारक होने के बावजूद पाप ग्रहों की संगत में मंद बुद्धि बनाता है राहु :
राहु के ज्ञान के कारक कहलाने के बावजूद यदि यह पाप ग्रहों की संगत में होता है तो मंद बुद्धि या पागलपन की स्थिति पैदा कर सकता है । यदि कुंडली में राहु की स्थिति शुभ बनती हो और व्यक्ति राहु की कारक चीजों का ही काम करता है तो राहु की दशा अंतर्दशा के दौरान व्यक्ति सफलता व प्रगति के शिखर को छूता है ।
शुभ ग्रह के साथ राहु की युति से जातक को मिलता है शुभ फल :
– राहु का शुभ सूर्य के साथ अथवा सूर्य के नक्षत्र में होना राजयोग जैसा फल देता है ।
– जातक की कुंडली में राहु के शुभ चंद्र या चंद्र के नक्षत्र में होने पर जातक खेतीबाड़ी में सफलता प्राप्त करता है। इसके अलावा, राहु आमदनी में भी वृद्धि कराता है। यह समुद्री यात्राओं के योग बनाता है ।
– अगर राहु, शुभ मंगल या मंगल के नक्षत्र में हो तो व्यक्ति जेलर की नौकरी पाता है। मंगल के कारकत्व वाले क्षेत्रों में भी यह शुभ फल देता है ।
– बुध के नक्षत्र या शुभ बुध के साथ होने पर राहु व्यापार में विकास, मैनेजमेंट या उच्च शिक्षा से जुड़ी कोई पदवी दिलाता है ।
– शुभ गुरु के साथ या गुरु के नक्षत्र में राहु हो तो एेसी ग्रह स्थिति के आशीर्वाद के फलस्वरूप जातक चुनाव में जीत हासिल करता है । जातक को संतान सुख का सौभाग्य मिलता है और वह आध्यात्मिक कार्यों में अधिक रूचि रखता है ।
– शुभ फलदायी शुक्र के साथ या उसके नक्षत्र में राहु की उपस्थिति शुभ फल देती है । कुंडली के लग्न में होने से जातक को सुंदर बनाता है। एेसा जातक कलाप्रेमी होने के अतिरिक्त कलाक्षेत्र में भी अधिक कार्यरत होता है ।
– शुभ शनि या उसके नक्षत्र में राहु हो तो सामान्य रूप से शापित दोष बनने से उस भाव का फल नहीं देता है । फिर भी शनि की स्थिति शुभ होने पर जातक को टेक्निकल और व्यापारिक क्षेत्रों में तो शुभ फल देता है, पर उसकी मानसिक शांति हर लेता है ।
– राहु-केतु यदि अपने नक्षत्र में हो और वे शुभ स्थान में बैठे हों तो जातकों को शुभ फल देते हैं ।
संक्षेप में यह कहा जा सकता है कि राहु हमेशा अशुभ फल ही नहीं देता है । यदि यह जातक की कुंडली में बलवान या योगकारक हो जाता है तो जातक की अनेकों आकांक्षाओं को पूरा करके उसके जीवन को सफल व सुखमय बना देता है ।
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