राशि नक्षत्र के आधार पर रोग और उपाय :

राशि नक्षत्र के आधार पर रोग और उपाय :

रोग और उपाय : भारतीय ज्योतिष शास्त्र में जब से 12 राशियों और 27 नक्षत्रों की पहचान की गई, तब से आज तक मनुष्य ने बेशक भविष्य जानने की अनेक पद्धतियों को विकसित कर लिया हो, परंतु फिर भी नक्षत्र से भविष्य जानने की पद्धति का अपना अलग ही महत्व बना हुआ है । राशि एवं नक्षत्र के आधार पर रोगों का वर्णन भी प्राचीन आचार्यो ने किया है। बारह राशियां अर्थात् सत्ताईस नक्षत्र को अंगों के स्थान पर चिन्हित करने पर मानव शरीर की आकृति बनती है ।
नवग्रहों में चन्द्र सर्वाधिक गतिशिल ग्रह है, इसलिये इसका मानव शरीर पर सर्वप्रथम प्रभाव मान सकते हैं। इसके अलावा हमारे शरीर का लगभग 70 प्रतिशत भाग जल तत्त्व है। ज्योतिष में जल का अधिपति चन्द्रमा को माना गया है, इसलिये भारतीय ज्योतिष में चन्द्रमा को महत्वपूर्ण स्थान देकर उसका जन्म समय जिस राशि या नक्षत्र में होता है, वही हमारी जन्म राशि या जन्म नक्षत्र माना जाता है। जब किसी भी प्रकार की स्वास्थ्य सम्बन्धी पीडा हो तो, जातक को अपने जन्म नक्षत्र के प्रतिनिधि वृक्ष की जड धारण करनी चाहिये।
यदि आपको अपना जन्म नक्षत्र पता नहीं है तो, आपको किस प्रकार की स्वास्थ्य समस्या है, तथा वह शरीर के किस अंग से सम्बन्धित है, अथवा वह रोग किस नक्षत्र के अन्तर्गत आता है, उससे सम्बन्धित वृक्ष की जड़ धारण करें, तो आपको अवश्य अनुकूल फल की प्राप्ति होगी।
1. अश्विनी नक्षत्र केलिए रोग और उपाय:- इस नक्षत्र का घुटने पर अधिकार माना है। इसके पीडित होने पर बुखार भी रहता है। यदि आपको घुटने से सम्बन्धित पीडा हो, बुखार आ रहा हो तो आप अपामार्ग की जड धारण करें। इससे आप के रोग का वेग कम होगा।
2. भरणी नक्षत्र केलिए रोग और उपाय:- इस नक्षत्र का अधिकार सिर पर माना गया है। इसके पीडित होने पर पेचिश का रोग होता है। इस प्रकार की पीड़ा होने पर अगस्त्य की जड़ धारण करें।
3. कृतिका नक्षत्र केलिए रोग और उपाय:- इस का अधिकार कमर पर है। इसके पीडित होने पर कब्ज एवं अपच की समस्या रहती है। आपका जन्म नक्षत्र यदि कृतिका हो तथा कमर दर्द, कब्ज, अपच की शिकायत हो तो, कपास की जड़ धारण करें।
4. रोहिणी नक्षत्र केलिए रोग और उपाय:– इस नक्षत्र का अधिकार टांगों पर होता है। इसके पीड़ित होने पर सिरदर्द, प्रलाप, बवासीर जैसे रोग हो सकते हैं। इस प्रकार की पीडा होने पर अपामार्ग या आंवले की जड़ धारण करें।
5. मृगशिरा नक्षत्र केलिए रोग और उपाय :- मृगशिरा नक्षत्र का अधिकार आँखों पर है। इसके पीड़ित होने पर शरीर में रक्त विकार, अपच, एलर्जी जैसे रोग होते हैं। ऐसी स्थिति में खैर की जड़ धारण करें।
6. आर्द्रा नक्षत्र केलिए रोग और उपाय:- इस नक्षत्र का अधिकार बालों पर है। इसके पीड़ित होने पर मंदाग्नि, वायु विकार तथा आकस्मिक रोग हो सकते हैं। इससे प्रभावित जातकों को श्यामा तुलसी या पीपल की जड़ धारण करनी चाहिये।
7. पुनर्वसु नक्षत्र केलिए रोग और उपाय:- इस का अधिकार अंगुलियों पर है। इसके पीडित होने पर हैजा, सिरदर्द, यकृत रोग हो सकते हैं। एेसी स्थिती में जातक को आक की जड़ धारण करनी चाहिये। श्वेतार्क की जड़ मिल जाए तो सर्वोत्तम होती है।
8. पुष्य नक्षत्र केलिए रोग और उपाय:- इस नक्षत्र का अधिकार मुख पर है। स्वादहीनता, उन्माद, ज्वर इसके लक्षण होते हैं। इनसे पीड़ित जातक को कुशा अथवा बिछुआ की जड़ धारण करनी चाहिये।
9. अश्लेशा नक्षत्र केलिए रोग और उपाय:- इस का अधिकार नाखून पर है। इसके कारण रक्ताल्पता एवं चर्म रोग हो सकते हैं। इनसे पीड़ित जातको को पटोल की जड़ धारण करनी चाहिये।
10. मघा नक्षत्र केलिए रोग और उपाय:- इस नक्षत्र का अधिकार वाणी पर है, वाणी सम्बन्धित दोष अथवा श्वास रोग होने पर जातक भृगराज या वटवृक्ष की जड़ धारण करें।
11. पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र केलिए रोग और उपाय:- इस नक्षत्र का अधिकार गुप्तांग पर है। गुप्त रोग, आँतों में सूजन, कब्ज, शरीर दर्द होने पर कटेरी की जड़ धारण करें।
12. उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र केलिए रोग और उपाय:- इस का अधिकार गुदा, लिंग, गर्भाशय पर होता है। इसलिये इनसे सम्बन्धित रोग मधुमेह होने पर पटोल की जड़ धारण करें।
13. हस्त नक्षत्र केलिए रोग और उपाय:- इस नक्षत्र का अधिकार हाथ पर होता है। हाथ में पीड़ा होने या शरीर में जल की कमी (अतिसार होने पर) होने पर चमेली या जावित्री मूल धारण करें।
14. चित्रा नक्षत्र केलिए रोग और उपाय:- चित्रा का अधिकार माथे पर होता है। सिर सम्बन्धित पीडा, गुर्दे में विकार या दुर्घटना होने पर अनंतमूल या बेल की जड़ धारण करें।
15. स्वाति नक्षत्र केलिए रोग और उपाय:- इस का अधिकार दाँतों पर है, इसलिये दंत रोग, नेत्र पीड़ा तथा कोई भी दीर्घकालीन रोग होने पर अर्जुन मूल धारण करें।
16. विशाखा नक्षत्र केलिए रोग और उपाय :– इस का अधिकार भुजा पर है। भुजा में विकार, कर्ण पीडा, एपेण्डिसाइटिस होने पर गुंजा मूल धारण करें।
17. अनुराधा नक्षत्र केलिए रोग और उपाय :- इस का अधिकार हृदय पर है । हृदय पीडा, नाक के रोग, शरीर दर्द होने पर नागकेशर की जड़ धारण करें ।
18. ज्येष्ठा नक्षत्र केलिए रोग और उपाय :- इस नक्षत्र का अधिकार जीभ व दाँतों पर होता है। इसलिये इनसे सम्बन्धित पीड़ा होने पर अपामार्ग की जड धारण करें।
19. मूल नक्षत्र केलिए रोग और उपाय:- इस नक्षत्र का अधिकार पैर और फेफड़ों पर है । पैरों में पीड़ा अथवा, टी. बी. (क्षय रोग) होने पर मदार की जड़ धारण करें ।
20. पूर्वाषाढा नक्षत्र केलिए रोग और उपाय :- इस नक्षत्र का अधिकार जांघ या कूल्हों पर होता है। जांघ एवं कूल्हों में पीडा, कार्टिलेज की समस्या, पथरी रोग होने पर कपास की जड़ धारण करें।
21. उतराषाढा नक्षत्र केलिए रोग और उपाय:- इस का अधिकार भी जाँघ एवं कूल्हो पर माना गया है। हड्डी में दर्द, फे्क्चर हो जाने पर, वमन (उलटी) आदि होने पर कपास या कटहल की जड़ धारण करें।
22. श्रवण नक्षत्र केलिए रोग और उपाय:- इस नक्षत्र का अधिकार कान पर होता है। इसलिये कर्ण रोग, या स्वादहीनता होने पर अपामार्ग की जड़ धारण करें।
23. धनिष्ठा नक्षत्र केलिए रोग और उपाय:- इस नक्षत्र का अधिकार कमर तथा रीढ की हड्डी पर होता है। कमर दर्द, गठिया आदि होने पर भृंगराज की जड़ धारण करें।
24. शतभिषा नक्षत्र केलिए रोग और उपाय :- इस का अधिकार ठोडी पर होता है। पित्ताधिक्य, या गठिया रोग होने पर कदम्ब की जड़ धारण करें।
25. पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र केलिए रोग और उपाय :- इस का अधिकार छाती और फेफड़ों पर होता है। श्वास सम्बन्धी रोग होने पर आम की जड़ धारण करें।
26. उतराभाद्रपद नक्षत्र केलिए रोग और उपाय:- इस का अधिकार अस्थिपंजर पर होता है। हांफने की समस्या होने पर पीपल की जड़ धारण करें।
27. रेवती नक्षत्र केलिए रोग और उपाय:- इस का अधिकार बगल पर होता है। बगल में फोडे-फुंसी या अन्य विकार होने पर महुवे की जड़ धारण करें।
आपकी राशि के अनुसार जड धारण करके भी रोग के प्रकोप को शांत किया जा सकता है। आप अपनी राशि अपनी जन्म कुंडली से ही (चन्द्र राशि) देखें, इस आधार पर:-
1. मेष राशि वालों को पित्त विकार, खाज-खुजली, दुर्घटना, मूत्रकृच्छ की समस्या हो सकती है। मेष राशि का स्वामी ग्रह मंगल है, आप को अनंतमूल की जड़ धारण करनी चाहिये।
8. वृश्चिक राशि वालों को भी उपरोक्त रोगों की ही समस्या हो सकती है, इन्हें भी अनंतमूल की जड़ ही धारण करनी चाहिये ।
2/7. वृषभ एवं तुला राशि वालों को गुप्त रोग, धातु रोग, शोथ आदि होते हैं । आपको सरपोंखा की जड़ धारण करनी चाहिये ।
3/6. मिथुन एवं कन्या राशि वालों को चर्म विकार, इंसुलिन की कमी, भ्रांति, श्रुति ह्नास, निमोनिया, त्रिदोष ज्वर होता है । इन्हें विधारा की जड़ धारण करनी चाहिये ।
4. कर्क राशि वालों को सर्दी-जुकाम, जलोदर, निद्रा, टी. बी. आदि होते हैं । इन्हें खिरनी की जड़ धारण करनी चाहिये ।
5. सिंह राशि वालों को उदर विकार, हृदय रोग, बुखार, पित्त सम्बन्धित विकार हो सकते हैं। इन्हें अर्क मूल धारण करनी चाहिये । बेल की जड़ भी धारण कर सकते हैं ।
9/12. धनु एवं मीन राशि वालों को अस्थमा, एपेण्डिसाइटिस, यकृत रोग, स्थूलता आदि रोग हो सकते हैं । इन्हें केले की जड़ धारण करनी चाहिये ।
10/11. मकर एवं कुंभ राशि वालों को वायु विकार, आंत्र वक्रता, पक्षाघात, दुर्बलता आदि रोग हो सकते हैं । आप को बिछुआ की जड़ धारण करनी चाहिये ।
चन्द्रमा जल तत्व का अधिकारी ग्रह है, इसलिये कुंडली में चन्द्रमा के निर्बल होने पर जल चिकित्सा लाभप्रद सिद्ध होती है । मानव शरीर में लगभग 70 प्रतिशत जल होता है । इसलिये शरीर की अधिकांश क्रियाओं में जल की सहभागिता होती है । जल चिकित्सा से जो वास्तविक रोग है, उसका केवल उपचार ही नहीं होता वल्कि इसके साथ अन्य अंगों की शुद्धि और पुष्टि भी होती है। इस कारण शरीर में रोग होने की सम्भावना भी कम होती है । जल एक अच्छा विलायक है। इसमें विभिन्न तत्त्व एवं पदार्थ आसानी से घुल जाते हैं, जिससे रोग का उपचार आसानी से हो जाता है । जल चिकित्सा में वाष्प् स्नान, वमन, एनीमा, गीली पट्टी, तैरना, उषा: पान एवं अनेक प्रकार की चिकित्सा पद्धति हैं। दैनिक क्रियाओं में भी हम जल का उपयोग करते रहते हैं, लेकिन जब चन्द्रमा कमजोर एवं पीडित होकर उसकी दशा आये तभी जल के अनुपात में शारीरिक असंतुलन बनता है । हमारे शरीर में स्थित गुर्दे जल तत्त्वों का शुद्धिकरण करते हैं । जल की अधिकता होने पर पसीने के रूप में जल बाहर निकलता है, जिससे शरीर का तापमान कम हो जाता है । इसलिये जल सेवन अधिक करने पर जोर दिया जाता है, ताकि शरीर स्वस्थ रहे, अर्थात् चन्द्र की कमजोरी स्वास्थ्य में बाधक न बने। इस प्रकार हमारे लिये चन्द्रमा महत्त्वपूर्ण ग्रह बन जाता है ।

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Acharya Pradip Kumar is renowned as one of India's foremost astrologers, combining decades of experience with profound knowledge of traditional Vedic astrology, tantra, mantra, and spiritual sciences. His analytical approach and accurate predictions have earned him a distinguished reputation among clients seeking astrological guidance.

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