शत्रु उत्पीडन मंत्र :
शत्रु उत्पीडन मंत्र : ॐ हं हं हं धूं सिं हुं कालि कालरात्रि अमुक (शत्रु का नाम) पशु ग्रहा हुं फट् स्वाहा ।
बिधि : जब शत्रु बहुत अधिक परेशान कर रहा हो और स्वयं के जीबन पर खतरा हो गया हो तो इस प्रयोग को सम्पन्न किया जा सकता है ।होली की रात्रि को श्मशान की रेत या एक मुट्ठी मुर्दे की शस्म लाकर पिण्ड को सिन्दूर से पोत दें, उस पिण्ड पर आक की लकडी से शत्रु का नाम लिख दें और फिर सर्प की हडिडयों की माला से इस मंत्र का सबा लाख जप करें तो शत्रु को बहुत परेशानी होगी ।मंत्र के जाप के बाद सारा सामान बहीं गाड दें तो शत्रु को कोई मुसीबत आ घेरेगी ।
नोट : जब शत्रु ठीक करना हो तो सारा सामान धरती से निकाल कर दुध से धो दें तो शत्रु ठीक हो जाएगा ।
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जय माँ कामाख्या