संतान सुख में विलम्ब या बाधा :

संतान सुख में विलम्ब या बाधा :

संतान सुख में विलम्ब : जन्म कुंडली का संतान भाव निर्बल एवम पीड़ित होने से संतान सुख में विलम्ब या बाधा दिखाई देता है , उसके लिए आप निम्नलिखित शास्त्रोक्त उपायों को श्रद्धा पूर्वक करें । आपकी मनोकामना अवश्य पूर्ण होगी ।
1. संतान सुख में विलम्ब या बाधा समाप्त करने केलिए पहले आप संकल्प पूर्वक शुक्ल पक्ष से गुरूवार के १६ नमक रहित मीठे व्रत रखें । केले की पूजा करें तथा ब्राह्मण लडको को भोजन करा कर यथा योग्य दक्षिणा दें । १६ व्रतों के बाद उद्यापन कराएं । ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं गुरुवे नमः का जाप करें ।
2. संतान सुख में विलम्ब होने से आप यजुर्वेद के मन्त्र दधि क्राणों ( २३/३२) से हवन कराएं ।
3. संतान सुख में विलम्ब या बाधा को समाप्त करके संतान सुख प्राप्ति केलिए अथर्व वेद के मन्त्र अयं ते योनि ( ३/२०/१) से जाप व हवन कराएं ।
4. जन्म कुंडली का संतान भाव निर्बल सूर्य से पीड़ित होने के कारण संतान सुख की प्राप्ति में विलम्ब या बाधा हो तो हरिवंश पुराण का विधिवत श्रवण करके उसे दान करें ।
जन्म कुंडली का संतान भाव निर्बल चन्द्र से पीड़ित होने के कारण संतान सुख की प्राप्ति में विलम्ब या बाधा हो तो एक लक्ष गायत्री मन्त्र का जाप कराएं तथा चांदी के पात्र में दूध भर कर दान दें ।
जन्म कुंडली का संतान भाव निर्बल मंगल से पीड़ित होने के कारण संतान सुख की प्राप्ति में विलम्ब या बाधा हो तो भूमि दान करें ,प्रदोष व्रत करें ।
जन्म कुंडली का संतान भाव निर्बल बुध से पीड़ित होने के कारण संतान सुख की प्राप्ति में विलम्ब या बाधा हो तो विष्णु सहस्रनाम का जाप करें ।
जन्म कुंडली का संतान भाव निर्बल गुरु से पीड़ित होने के कारण संतान सुख की प्राप्ति में विलम्ब या बाधा हो तो गुरूवार को फलदार वृक्ष लगवाएं ,ब्राह्मण को स्वर्ण तथा वस्त्र का दान दें ।
जन्म कुंडली का संतान भाव निर्बल शुक्र से पीड़ित होने के कारण संतान सुख की प्राप्ति में विलम्ब या बाधा हो तो गौ दान करें , आभूषणों से सज्जित लक्ष्मी -नारायण की मूर्ति दान करें ।
जन्म कुंडली का संतान भाव निर्बल शनि से पीड़ित होने के कारण संतान सुख की प्राप्ति में विलम्ब या बाधा हो तो पीपल का वृक्ष लगाएं तथा उसकी पूजा करें ,रुद्राभिषेक करें और ब्रह्मा की मूर्ति दान करें ।
5. संतान गोपाल स्तोत्र :
“ॐ देवकीसुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते
देहि में तनयं कृष्ण त्वामहम शरणम गतः ।”
उपरोक्त मन्त्र की १००० संख्या का जाप प्रतिदिन १०० दिन तक करें । तत्पश्चात १०००० मन्त्रों से हवन,१००० से तर्पण ,१०० से मार्जन तथा १० ब्राह्मणों को भोजन कराएं ।
6.संतान गणपति स्तोत्र :
श्री गणपति की दूर्वा से पूजा करें तथा उपरोक्त स्तोत्र का प्रति दिन ११ या २१ की संख्या में पाठ करें ।

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जय माँ कामाख्या

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