1. 21 दिन तक कीकड कि ब्रूख्य की जड में बरगद के फलों को दबाकर छोड दें । 21 दिन बाद उन्हें निकालकर छाया में सुखायें ।फिर चूर्ण करके छानकर रख लें ।
मिश्री और दूध के साथ इस्कका एक चम्म्च प्रतिदिन सोते समय प्रयोग करने से भैरव जी की शक्ति बढ्ती है ।धातु, अस्थि पुष्ट होति है और कामशक्ति बढति है ।
2. मिटटी के घडे में मदिरा, बबूल की छाल का रस या काढा, बरगद की छाल का रस या काढा, (1:4 छाल और पानी । औटाने पर 1/8 बचनी चाहिए) मुलहठी का चूर्ण और काले घोडे की नाल डालकर ढककर काले कपडे मे लपेटकर कीकड की जड मे दबायें ।प्रतिदिन संध्या को उस पर सरसों के तेल का दीपक जलायें ।
तीन महीने बाद यह मदिरा निकालकर छानकर रख लें । इसका तीन चम्मच प्रतिदिन संध्या में लेने पर प्रचण्ड कामशक्ति प्राप्त होता होति है ।
3. उल्लु और कौबे के पंख को खैर की लकडि की आग में सकोरे में बन्द करके एक साथ जलायें ।इस काल मे भैरब के मंत्र का जाप करते रहें ।इसके ठणडा होने पर भस्म निकालकर कपडे मे छान लें ।इस भस्म को जिस परिबार के आंगन मे या दो मित्रो या प्रेमि-प्रेमिका या किसी भी सम्बन्ध के ब्यक्तियो के सिर पर डाल देंगें, उनमें जन्मजात विद्वेष और कलह उत्पन्न हो जायेगा।
4. काले घोडे या भैसे की कमर की हडडी के जोड की हडडी का एक टुकडा दुर्बल भैरव शक्ति बाले ब्यक्तियो को भाग्यबान बनाता है। इसे आंगन के मध्य, कमर में या घर के दरबाजे के दायीं तरफ दबाना या बांधना चाहिए। कमर में बांधने पर कामशक्ति प्रचण्ड होति है।( स्त्रीयों के लिए भैंस)
5. काले रंग के मन्दिर की भांति नुकीले पत्थर को आंगन के मध्य कच्ची जमीन में (नीचे 9 इंच उंपर 18 इंच) लगाने पर दुर्बल भैरव शक्ति सबल होति है ;भाग्य , सन्तान और कामशक्ति को बल मिलता है। तनाब,ख्युब्धता, निराशा, चिन्ता दूर होती है।
नोट : क्रमांक 3 एबं 4 ऐसे ब्यक्तियों के लिये नहिं है, जिनमें भैरवशक्ति की उग्रता के कारण भाग्य दोष, राजदण्ड, कलह, उग्रता, क्रोध आदि है। इससे उन्हें और हानि होगि।
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