ग्रह शान्ति मंत्र :

ग्रह शान्ति मंत्र : “ओं नमो आदेश गुरू को ईश्वर बाचा,
अजर बजरी बडा बज्जरी बाधा दशौ दुआर छुबा,
और के घालो तो पलट हनुमंत बीर,
उसी को मारे पहली चौकी गणपती,
दूजी चौकी हनुमंत तीजी चौकी में भैरों,
चौथी चौकी देह रक्षा करने को,
आबे श्री नरसिंह देब जी,
श्वद सांचा पिण्ड काचा,
चले मंत्र ईश्वरो बाचा।।”
 
ग्रह शान्ति मंत्र बिधि : आप यह प्रयोग तब करें जब आपका कोई भी कार्य सफल नहीं होता हो जैसे – धन की हानि, संन्तान हानि, कार्य में सफलता न प्राप्त होना, घर में बिमारी का निबास कर जाना आदि, यह सब ग्रहों के प्रकोप के कारण ही होता है । तब ऐसें में इस मंत्र का प्रयोग ग्रह कष्ट निबारण केलिए कार्तिक कृष्ण प्रतिपदा को सम्पन्न करें । इस प्रयोग में उडद के दाने और घरों में जितना दरबाजे हों उतनी लोहे की कील का प्रबन्ध पहले ही कर लेबें फिर स्नान करके शुद्ध होकर साधना स्थान में जायें फिर इस मंत्र को जप करते समय घी का दीपक जलाकर फूल, मिठाई सामने रखकर बिधिबत हबन करें । २ घण्टे तक लगातार जप करना चाहिए । बाद में कीलें और उडद को १०८ बार अभिमंत्रित करके उडद को घर के सभी कमरों में फेंक दें और कमरे की चौखट के ऊपर यह कीलें ठीक से ठोंक दें । आंगन में केबल उडद के दाने ही फेंके यह सब कार्य मंत्र पढते हुए ही करना चाहिए तब ही सफलता प्राप्त हो सकती है ।

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