अष्ट लक्ष्मी साधना
अष्ट लक्ष्मी साधना विधियाँ
February 4, 2024
तंत्र मंत्र एबं यंत्र
तंत्र मंत्र एबं यंत्र क्या हैं ?
February 4, 2024
दतात्रेय साधना

दत्तात्रेय साधना विधि :

दतात्रेय साधना : किसी प्रियजन, पुत्र, बन्धु बांधब के खोने पर दतात्रेय साधना उपासना से तुरन्त लाभ होता है, ऐसा अनेक तंत्र ग्रंथों में प्रमाण है । इसकी साधना के लिए पहले मंत्र को सिद्ध करते हैं । मंत्र और यंत्र को इस प्रकार सिद्ध करते हैं ।
 
सर्बप्रथम किसी कमरे में एक लकडी की चौकी बिछाएं । उस पर लाल कपडा बिछाएं।पास ही ऊनी आसन बिछाकर बैठें और चौकी पर बिछे बस्त्र पर चाबलों से दतात्रेय यंत्र बनायें ।
 
इसके बाद यंत्र पर कांसे का एक पात्र रखें जिससे लगभग एक किलो तेल हो । उसके सामने एक छोटा सा दीपक जलाबें । यह अनुष्ठान पूर्णिमा की रात्रि को करना चाहिए । स्नान के बाद लाल धोती धारण करके नौ बजे से आसन पर बैठ जायें और यंत्र बनाकर पूजन करें । फिर संकल्प करें कि आप दतात्रेय यंत्र को सिद्ध कर रहे हैं ।
 
यह मंत्र और यंत्र तीन दिनों में सिद्ध होता है । इन तीन दिनों में आपको केबल एक ही समय भोजन करना है तथा बीडी, सिगरेट, तम्बाकू, शराब या कोई भी नशा एबं ऐसे शौक नहीं करने हैं । पबित्र रहना है ।
 
मंत्र की इक्याबन मालाएं फेरकर ही, उसी आसन पर सो जायें । अगले दिनौं में इसी प्रकार करना है। तीन दिनों में यह मंत्र सिद्ध हो जाता है । यह दतात्रेय साधना मंत्र इस प्रकार है—

दतात्रेय साधना मंत्र :

“ॐ ह्रीं क्लीं ऐं श्रीं महायक्षिण्ये (खोया ब्यक्ति) आगछ स्वाहा।”
 
जहाँ खोया ब्यक्ति लिखा गया है, बहां खोये ब्यक्ति का नाम भी लेते हैं जब भबिष्य में खोये ब्यक्ति के लिए अनुष्ठान करते हैं ।
 
अनुष्ठान किसी भी दिन कर सकते हो, क्युंकि आप दतात्रेय साधना मंत्र सिद्ध कर चुके हैं ।
प्रात: से शाम तक यह अनुष्ठान किया जाता है । आसन बिछाकर पूर्ब को मुंह करके बैठ जायें और पहले की भांति करते या चौकी पर दतात्रेय यंत्र बनाकर उस पर कांसे का पात्र देना चाहिए । अपने चारों और एक हजार दीप भी जलबा लें । उन दीपकों में दूसरा ब्यक्ति समय पर तेल डालता रहे ताकि बे न बुझें । दिन भर बे जलते रहने चाहिए ।
 
एक सौ आठ मनकों की एक सौ एक माला फेरी जाती है । सात दिनों तक अनुष्ठान चलता है। आसन से दिन भर में बिलकुल न उठें ।
 
सात दिनों में सफलता मिल जाती है तो मंत्र के साथ साथ मालाएं फेरी जाती है तो मंत्र से खोये प्राणी का नाम भी आता है । अनुष्ठान पूर्ण होने से पूर्ब या होने पर बह लौट आता है ।

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जय माँ कामाख्या

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