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पंचम भाव के स्वामी

पंचम भाव के स्वामी का अलग अलग भाव में फल :

पंचम भाव के स्वामी : आज के इस लेख में पंचम भाव का स्वामी जन्म पत्रिका के अलग अलग भाव में स्थित हो तब क्या क्या फल मिलाता है और यह समजने के लिए हमें पंचम भाव को अच्छी तरह से समजना पड़ेंगा की वे क्या क्या दर्शाता है । पंचम भाव सम्बंधित फल का एनालिसिस करने के लिए उसके स्वामी की स्थिति को देखना काफी आवश्यक हो जाता है । सबसे पहले बात करते है पंचम भाव पर ।
पंचम भाव जन्म पत्रिका में त्रिकोण का भाव कहा जाता है। यह एक लक्ष्मी स्थान है और इसी भाव से बहोत अच्छे धनयोग भी निर्माण होते है। ज्योतिष में पंचम भाव की बात करे तो उसे बुद्धि और विद्या का भाव मन जाता है, साथ ही पुत्र या पुत्री मतलब इ संतति के लिए भी पंचम भाव को देखा जाता है । कविताएँ प्रकाशनों, धार्मिकता, देवता, प्रसूति, गर्भ, यात्रा जेसी मह्ताव्की वस्तुओं को हम पांचवे भाव से देख सकते है । साथ ही पांचवे भाव को पितृ, भविष्य का ज्ञान, कर, स्मृति,पुत्र, जीवन श्रुतियों जेसी वास्तु के लिए पंचम स्थान के देखा जाता है ।
पंचम भाव के स्वामी का अलग अलग भाव में फल ( fifth lord in different house analysis )
पंचम भाव के स्वामी पहले भावमें (fifth lord in first house astrology )
पंचम स्थान का स्वामी पहले भाव में होना एक राजयोग दे सकता है क्योकि दोनों त्रिकोण भाव है । पंचमेश लग्न में हो तब जातक की आवाज काफी सुन्दर और लोगो को लुभाने वाली हो सकती है । जातक अच्छी संतति वाला और शास्त्र का ज्ञाता होता है । बुद्धि धन जातक के पास काफी होने की वजह से वह दुसरे का धन को ठग लेता है ।
पंचम भाव के स्वामी दुसरे भावमें (fifth lord in second house astrology )
पंचम भाव का स्वामी दुसरे भाव में स्थित हो तब भी जातक के पास चुम्बकीय शक्ति वाली आवाज और व्यक्तित्व होता है । विजातीय व्यक्ति से यह जातक काफी आकर्षित होते है । ऐसे जातक को भी संतति अच्छी प्राप्त होती है । जातक दूसरो का भविष्य के कथन के लिए मतलब के ऐसा जातक ज्योतिषी बनने के लिए ही होता है ।
पंचम भाव के स्वामी तीसरे भावमें (fifth lord in third house astrology )
पंचम भाव का स्वामी तीसरे भाव में स्थित हो तो जातक का पुत्र अच्छे शरीर वाला और मन मोहक हो सकता है । जातका media या पत्रकारित्व के क्षेत्र में कार्य कर शकता है । जातक को अपने भाई बहन से भी अच्छा सुख प्राप्त होता है ।
पंचम भाव के स्वामी चौथे भाव में (fifth lord in fourth house astrology )
पंचम भाव का स्वामी चोथे भाव में स्थित हो तब जातक अपने माता और पिता की काफी सेवा करता है और उनक भक्त होता है । जातक बुद्धि शाली और गुणवान होता है । मान सन्मान मिले ऐसा पद जातक को जीवन में मिलाता है और सनातन की संख्या अल्प होती है ।
पंचम भाव के स्वामी पंचम भाव में (fifth lord in fifth house astrology )
पंचम भाव का स्वामी जब पंचम भाव में स्थित होता है तब जातक को अनेक पुत्र का सुख मिलता है । जातक के संतान गुणवान और प्रसिद्ध होते है । जातक खुद बुद्धिमान और चतुर होते है । जातक के पास मंत्र तंत्र का अच्छा ज्ञान होता है । जातक की स्मृति काफी अच्छी होती है और वह हर बात को आसानी से समज सकता है । जातक पर अपने पितृ की कृपा बहोत होती है ।
पंचम भाव के स्वामी छट्ठे भाव में (fifth lord in sixth house astrology )
पंचम भाव का स्वामी छट्ठे भाव में स्थित हो तब जातक को शरीर सुख कम मिलता है । जातक रोगी एवम धनहीन होता है । संतान सम्बन्धी परेशानी जातक को बहोत होती है । अगर जातक को संतान हो तब भी जातक को उसका सुख नहीं प्राप्त कर सकता है । जातक नास्तिक हो सकता है और पितृ रुण से परेशान रहता है ।
पंचम भाव के स्वामी सातवे भाव में (fifth lord in seventh house astrology )
पंचम भाव का स्वामी सातवे भाव में स्थित हो तो जातक को अच्छे गुणवाली पत्नी मिलती है । अनेक संतान का सुख जातक को प्राप्त होता है । जातक की पत्नी भी विद्वान् होती है । पत्नी का सुख कभी कभी बुरे गृह के प्रभाव के कारण गवाना पड़ सकता है । मजबूत शरीर होता है और जातक स्वाभाव से उदार और नैतिक होता है । उनकी संतान की प्रगति बाहरी स्थानों में अधिक होती है और जीवन में काफी नाम और प्रसिद्धि प्राप्त करते है ।
पंचम भाव के स्वामी आठवे भाव में (fifth lord in eighth house astrology )
पंचम भाव का स्वामी आठवे भाव में अशुभ फल को देता है । ऐसे में जातक को संतान सुख में कमी या संतान सुख नहीं मिलता है । अगर संतान है तब भी उँ पर मृत्यु का भय सदा बना रहता है । यह योग दरिद्रता नहीं आने देता है । काफ प्रकृति के रोग जातक को होने की संभावना अधिक हो सकती है । फेफड़े के सम्बंधित परेशानी अधिक होती है और पितृपक्ष की सम्पति जातक को गवानी पड़ सकती है ।
पंचम भाव के स्वामी नॉवे भाव में (fifth lord in ninth house astrology )
पंचम भाव का स्वामी नॉवे भाव में स्थित हो तब जातक बुद्धि शाली और विद्वान होता है । जातक को सरकार से मान और सन्मान मिल सकता है । ऐसे जातक नाट्यकला कला में काफी रूचि रखने वाला होता है । तीक्ष्ण और दूर की सोचने वाला होता है । जातक की धार्मिक बुद्धि का नाश होता है और वह लेखन से भी कीर्ति प्राप्त कर सकता है । जातक शिक्षक, उपदेशक या विद्वान पुरुष हो सकता है । जातक की संतति अच्छी होती है और उसमे से एक संतान काफी प्रसिद्ध होती है ।
पंचम भाव के स्वामी दशवे भाव में (fifth lord in tenth house astrology )
पंचम भाव का स्वामी दशवे भाव में स्थित हो तब जातक की जन्म पत्रिका में राजयोग का निर्माण होता है । उनको उत्तम प्रकार की संतान प्राप्ति होती है । जातक और उसकी संतान रराज्य सरकार से आदर प्राप्त कराती है और वह वैभवी जीवन को प्राप्त करते है । धार्मिक यात्रा और धर्म के कार्यो करना ऐसे जातक को काफी पसंद आता है । ऐसे जातक का पुत्र अपने कुटुंब का नाम काफी प्रचलित करता है ।
पंचम भाव के स्वामी ग्यारवे भाव में (fifth lord in eleventh house astrology )
पंचम भाव का स्वामी व्यरावे भाव में होना एक धनयोग बनाता है और अपने ही भावको सप्तम दृष्टि से देखना काफोई अच्छा होता है । जातक को शूरवीर पुत्र की प्राप्ति होती है । और जातक सत्कार्य में अपना जीवन व्यतीत करता है । जातक को संगीत और नाट्य कला में काफी रूचि होती है । जातक अपने हर कार्य में सफल होता है । उच्च का अभ्यास करने वाला और लेख की भी हो सकता है ।
पंचम भाव के स्वामी बारवे भाव में (fifth lord in twelfth house astrology )
पंचम भाव का स्वामी बारवे भाव में स्थित होना जातक के लिए काफी अच्छा होता है । जातक को आत्मा और परमात्मा का ज्ञान प्राप्त करने की इच्छा होती है । जातक विदेश मंा भी रह सकता है । ऐसा जातक मोक्ष का अधिकारी होता है । जातक अपने जीवन में काफी रहष्य भी रखता है । जातक मोक्षप्राप्ति के मार्ग में आगे भी बढ़ सकता है ।

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ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार : 9438741641 (Call/ Whatsapp)

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