पितृ कवच का पाठ और मंत्र जाप कैसे करें ?

पितरों को प्रसन्न के लिए पितृ कवच :

जब हम पितृ कवच का पाठ और मंत्र जाप करने की मन करता है या मन में बात आने लगता है ,हमारे मन में पितृ देबता के प्रति श्रद्धा भाब और समर्पण उत्पन्न होने लगता है । इस आलेख में , हम जानेंगे की पितृ कवच का पाठ और मंत्र जाप कैसे किया जा सकता है , और यह कैसे हमारे जीबन को सुखमय और शांतिपूर्ण बना सकता है ।

हमारे जीबन में पितृ देबता का महत्व क्या है ?

पितृ देबता हमारे पुर्बोजों के आत्माओं की आत्मा को प्रतिष्ठापित करते हैं । बे हमारे जीबन में आने बाली समस्याओं का समाधान करने में मदद करते हैं ।

पितृ कवच का महत्व :

पितृ कबच , पितरों के आशीर्वाद और प्रसन्नता प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण मंत्र है । यह हमें उनके आशिर्बाद को प्राप्त करने का अबसर प्रदान करता है और हमारे जीबन में सुख और समृद्धि लाने में मदद करते हैं । इसका पाठ करके हम पितरों के कृपाशील बनते हैं और उनकी आत्मा को शान्ति मिलती है । यंहा पितृ कवच का पाठ दिया जा रहा है :-

पितृ कवच मंत्र :-

मंत्र :-“ॐ नमो देबदीदेबाय । प्राचीन पितराय प्राचीन पितमहे । प्राचीन मरुते पितृभ्य: क्रीम स्वाहा ।। “
इस पितृ कवच मंत्र का नियमित पाठ करने से पितरों की आत्मा को शान्ति मिलती है और साथ साथ बे हमारे जीबन को संचालित करने में सहायक होते हैं ।

पितृ कवच का पवित्र पाठ :-

कृणुष्व पाजः प्रसितिम् न पृथ्वीम् याही राजेव अमवान् इभेन।
तृष्वीम् अनु प्रसितिम् द्रूणानो अस्ता असि विध्य रक्षसः तपिष्ठैः॥
तव भ्रमासऽ आशुया पतन्त्यनु स्पृश धृषता शोशुचानः।
तपूंष्यग्ने जुह्वा पतंगान् सन्दितो विसृज विष्व-गुल्काः॥
प्रति स्पशो विसृज तूर्णितमो भवा पायु-र्विशोऽ अस्या अदब्धः।
यो ना दूरेऽ अघशंसो योऽ अन्त्यग्ने माकिष्टे व्यथिरा दधर्षीत्॥
उदग्ने तिष्ठ प्रत्या-तनुष्व न्यमित्रान् ऽओषतात् तिग्महेते।
यो नोऽ अरातिम् समिधान चक्रे नीचा तं धक्ष्यत सं न शुष्कम्॥
ऊर्ध्वो भव प्रति विध्याधि अस्मत् आविः कृणुष्व दैव्यान्यग्ने।
अव स्थिरा तनुहि यातु-जूनाम् जामिम् अजामिम् प्रमृणीहि शत्रून्।
अग्नेष्ट्वा तेजसा सादयामि॥
पितृ कवच का पाठ और पितृ मंत्र जाप करना आत्मा के शान्ति और सुख के लिए एक महत्वपूर्ण और पूर्णत: तरीका है। इसके माध्यम से हम पितृ देबता से जुड़कर आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं और अपने जीबन को सफल बना सकते हैं ।
इस आलेख को पढ़कर आपको पितृ कवच का पाठ और मंत्र जाप करने केलिए आबश्यक ज्ञान प्राप्त हो गया होगा ।अब अपने जीबन में इस आदत को शामिल करके आप अपने पुर्बोजों को समर्पित हो सकते हैं और सुखमय जीबन का आनंद उठा सकते हैं ।
5 अनूठे प्रश्न :
1. क्या पितृ कबच का पाठ करने से आपके जीबन में सकारत्मक परिबर्तन आ सकता है ?
Ans : जी हां 100% यह आपको आत्मा की शान्ति और सुख प्रदान कर सकता है साथ साथ जीबन में सकारत्मक प्रभाब देखने को मिलता है ।
2. क्या हर कोई पितृ कवच पाठ कर सकता है ?
Ans : जी हां , इसमें कोई संदेह नही , परन्तु पाठ में श्रद्धा और भक्ति होना चाहिए ।
3. क्या पितृ कवच का पाठ केबल बिशेष अब्सरों पर किया जा सकता है ?
Ans : नही , पितृ कवच का पाठ आप अपना डेली लाइफ में सामिल करके इसका लाभ उठा सकते हो और साथ साथ पितरों की आत्मा को शान्ति प्रदान कर सकते हो ।
4. क्या मंत्र जाप केलिए कोई बिशेष समय होता है ?
Ans : मंत्र जाप केलिए शुबह और शाम की समय बहुत ख़ास होता है परन्तु आपको बिशेष ध्यान देना चाहिए , कोई एक समय चुने , जिस समय आप इस मंत्र का रोज पाठ कर सकते हो । रोज एक समय में मंत्र का पाठ बेहत अछे परिणाम देता है ।
5. क्या में पितृ कबच का पाठ और मंत्र जाप के बीच अंतर कर सकता हूँ ?
Ans : हां , इसमें कोई प्रॉब्लम नही है ।यह आपके आध्यत्मिक प्रयास को अधिक महत्वपूर्ण बना सकता है ।

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ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार  मो. 9438741641  {Call / Whatsapp}

Acharya Pradip Kumar is renowned as one of India's foremost astrologers, combining decades of experience with profound knowledge of traditional Vedic astrology, tantra, mantra, and spiritual sciences. His analytical approach and accurate predictions have earned him a distinguished reputation among clients seeking astrological guidance.

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