संसार बशीकरण प्रयोग :

संसार बशीकरण प्रयोग :

संसार बशीकरण प्रयोग : साधक शनिबार के दिन सायंकाल तालाब पर जाबें, इस मंत्र से हल्दीयुक्त अक्ष्त् और फूलों से जल की पूजा करें ।

संसार बशीकरण मंत्र :- “ॐ नमो जलौकायै जलौकायै सर्बजन बशं कुरु कुरु हुम् ।।”

पश्चात् घर जाकर देबी का स्मरण करते हुए रात में भूमि पर शयन करें । प्रात: काल उस तालाब से दो जोंक लाकर छाया में सुखाकर चूर्ण कर लें । उस चूर्ण से युक्त काले कपास के सूत से बत्ती बनायें । कुम्हार के चाक से मिट्टी लाकर उससे बनाये गये पात्र में बत्ती को रखे । पश्चात् घूमते हुए बैल के कोल्हू से तेल लेकर उसमे डाले । बेश्या के घर से अग्नि लाकर कुचिला के बृक्ष की लकड़ियों से उस बत्ती को जलायें । उससे उस पात्र में द्वीप बनायें । फिर हल्दी के रस से त्रिकोण, षट्कोण तथा चतुष्कोण का संसार बशीकरण यंत्र बनायें । संसार बशीकरण यंत्र के बीच में ध्यान का लाबा फेंक कर उसके ऊपर दीप पात्र रखे । दीप में कालरात्रि का आबाहन करें । आबरणसहित उनकी पूजा करें । नया मिट्टी का पात्र दीये पर रख कर काजल पाडे । उसे काजल को लेकर पश्चिम की और मुख करके इस मंत्र से तीन सौ बार अभिमंत्रित करें ।

मंत्र :- “ॐ ऐ क्लीं ह्रीं श्रीं ग्लौं ब्लूं हसौं नम:” कान्हेश्वरि सर्बान्मोहय मोहय कृष्णे कृष्णवर्णे कृष्णाम्बरसमन्विते सर्बानाकर्षय आकर्षय शीघ्र बशं कुरु कुरु हूं ऐ क्लीं श्रीं ।।”

तत्पश्चात दीप से देबी को अपनी आत्मा में सम्बन्धित करें । उस काजल को मंगलबार के दिन मखन से मर्दित कर पात्र में रखें । उसके आगे अग्नि की स्थापना करें । महुआ के फूलों से एक सौ आठ बार मूलमंत्र से होम करे । कुंवारी कन्या, बच्चों और स्त्रियों को मधुर भोजन करायें । उस अंजन से तिलक करके संसार को बश में करने इत्यादि का फल स्पष्ट है ।

इस अंजन का तिलक लगाकर साधक दर्शनमात्र से नर, नारी और राजाओं को बश में कर लेता है । प्रारंभ में दूध के साथ दिया हुआ बह मनुष्यों को बश में करने बाला होता है । उसके स्पर्श से मनुष्य निश्चय ही स्पर्शकर्ता का दास हो जाता है ।

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