आत्मा के बारे में 7 रोचक बातें !

Aatma ke baare Mein 7 Rochak Baatein :
हर जीवित व्यक्ति के अंदर आत्मा मौजूद रहती है । जैसे ही यह शरीर से निकल जाती है शरीर निर्जीव हो जाता है यानी आत्मा एक जीव है जिसके चले जाने से शरीर जीव विहीन हो जाता है । शरीर से जुड़े सारे नाते रिश्ते सब खत्म हो जाते हैं । गीता में श्री कृष्ण कहते हैं, मैं हर व्यक्ति में ऊर्जा रूप में मौजूद हूं, यानी यह परमात्मा ईश्वर का स्वरूप है ।
 
गीता में श्रीकृष्ण ने आत्मा को अमर और अविनाशी बताया है जिसे न शस्त्र कट सकता है, पानी इसे गला नहीं सकता, अग्नि इसे जल नहीं सकती, वायु इसे सोख नहीं सकती । यह तो ऐसा जीव है जो व्यक्ति के कर्मफल के अनुसार एक शरीर से दूसरे शरीर में भटकता रहता है । दरअसल आत्मा एक ऐसा रहस्य है जिसका रहस्य जीतना सुलझाया गया है, यह उतना ही उलझता गया है । फिर भी इसे जानने का रोमांच मन में बना ही रहता है । इसलिए यहां हम आपको आत्मा के कुछ ऐसे रहस्यों को बता रहे हैं जिसे जानकर आप यकीनन हैरान रह जाएंगे ।
कठोपनिषद एवं गरुड़ पुराण मे बताया गया है कि आत्मा (Aatma) अंगूठे के आकार का होता है । गरुड़ पुराण में तो इस अंगूठे के आकार के जीवात्मा को ही कर्मफल को भोगने वाला बताया गया है ।
 
आत्मा (aatma) का निवास स्थान हृदय में होता है इस बात का उल्लेख श्रीकृष्ण ने गीता में इस प्रकार किया है- ईश्वर: सर्वभूतानां हृदेशे अर्जुन तिष्ठति। भ्रामयन् सर्वभूतानि यन्त्रारूढानि मायया।।
 
परमात्मा प्रकाश पुंज है जो सूक्ष्म शरीर के रूप में जीवित व्यक्तियों के अंदर मौजूद रहती है । सूक्ष्म शरीर के आंख, कान, मुख तथा हाथ पैर नहीं होते है फिर भी यह देख सकता है, सुन सकता है, बोल सकता है और स्पर्श कर सकता है ।
 
परमात्मा के रंग को लेकर ऋषि-मुनियों ने कई शोध किए है जिससे यह अनुमान लगाया गया कि परमात्मा का रंग नीला या आसमानी है । आधुनिक समय में भी इस विषय पर काफी शोध होते रहे हैं । वर्तमान में परमात्मा के रंग को लेकर शोध कर रहे पांडिचेरी के प्रो. के सुंदरम का भी कहना है कि परमात्मा का रंग नीला या आसमानी है । वैसे यह आसमानी रंग को अधिक करीब मानते हैं ।
 
मृत्यु के समय आत्मा (aatma) अपने कर्मों को समेटकर अपनी अधूरी इच्छाओं को पूरी करने के लिए अन्य शरीर की खोज में चल देती है । और कर्मों के अनुसार ही आत्मा (aatma) को नया शरीर कर्मफल भोगने के लिए प्राप्त हो जाता है ।

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जय माँ कामाख्या

Acharya Pradip Kumar is renowned as one of India's foremost astrologers, combining decades of experience with profound knowledge of traditional Vedic astrology, tantra, mantra, and spiritual sciences. His analytical approach and accurate predictions have earned him a distinguished reputation among clients seeking astrological guidance.

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