ये यक्षिणी साधना सहज, सुगम और सरल है और कोई भी ब्यक्ति इसे कर सकता है, अगर आप भी यक्षिणी साधना में श्रधाऔर बिश्वास रखते है तो आप इस साधना को कर सकते हो । प्राचीन तंत्र शास्त्रों में त्रिकाल ज्ञान हेतु इस साधना का उल्लेख किया गया है ।
मंत्र : “ओंकारमुखे बिधुजिव्ह ॐ हु चेटके जय जय स्वाहा।।”
बिधुज्जिव्हा यक्षिणी साधना सामग्री :
१. माला (रुद्राख्य या काले हकीक की)
२. अपने हाथ से बनाया हुआ मीठा भोजन
यक्षिणी साधना विधि :
किसी भी पूर्णिमा से इस साधना की शुरुआत कर सकते है, यक्षिणी साधना के नियम का पालन करते हुए बट बृख्य के निचे लगातार एक महीने हर रोज एक माला का जाप करे और मीठे भोजन का भोग अर्पण करे, ऐसा एक महीने तक नियम से करने पर यक्षिणी देबी खुद आपके पास से भोजन ग्रहण करती है और आपको बर देती है, बर दान के अन्तर्गत यक्षिणी साधक को त्रिकाल यानि भूत बर्तमान और भबिष्य दर्शन की बात बताने का बचन देती है ।
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जय माँ कामाख्या