Importance Of Hijras in Tantra Vidya :
तंत्र बिद्या में हिजड़ा का महत्व (Importance of Hijras in tantra Vidya) कोई नया नहीं है । महाभारत में शिखण्डी और धनुर्धारी अर्जुन बृहन्नला के रूप में इसके स्पष्ट प्रमाण हैं । पौराणिक काल में तंत्र बिद्या में हिजड़े का अस्तित्व था और आज भी इनका अस्तित्व है, सिर्फ फरक है हमारा सोच में। मानब जीबन को प्रभाबित करने बाले नबग्रहों में भी एक नपुंसक ग्रह है । बह ग्रह सोम्य है । ओजस्वी बुध है। अतएब जिस किसी जातक को बुध ग्रह कष्ट दे रहा हो अगर बह हिजड़े का आशीर्बाद सुने, हिजड़ा उसे दुआएँ दे तो बुध कम हानिकारक होगा ;यह प्रमाणित है ।
इसी प्रकार शिशु को नजर लग गई हो, या ऐसा बुखार जो घट न रहा हो, हिजड़ा उसे आकर गोद में लेकर, प्यार –दुलार करे तो शिशु स्वस्थ हो जायेगा, ऐसा माना गया है ।
पेशाब रुक गया हो तो हिजड़ा उसके पेट पर हाथ फेरेगा तो पेशाब अबश्य होगा ।
सुखा, कुताखांसी से बच्चा ग्रस्त हो तो हिजड़ा अगर उसकी केबल दस मिनट परिचर्या करे तो बालक अबश्य रोगमुक्त हो जायेगा ।ऐसा बिश्वास किया जाता है ।
प्रत्येक बुधबार को अगर हिजड़ा शिशु को आशीर्बाद देता रहे और अन्नप्राशन तक क्रिया की जाये तो शिशु बड़ा होनहार और भाग्यबान होगा ।
जिनका कमर का दर्द (शूल) न जाता हो या अधकुपानी (आधा शीशी) आधा मस्तक का दर्द हो तो हिजड़ा कमर पर धीरे से लात मारे, माथे पर ११ बार हाथ फेरे और भरपूर आशीर्बचन करे तो दर्द मिट जाता है ।
इस प्रकार तंत्र बिद्या में हिजड़ों का महत्व (Importance of Hijras in Tantra Vidya) कुछ अलग है, जो हमारे सोच से काफी उंच में उनका स्थान है । तंत्र शास्त्र में किन्नरों से सम्बन्धित बहुत सारे सरल तंत्र प्रयोग बताया गया है ,लेकिन हमने उसमें से कुछ ही प्रयोग यंहा दी हैं । हमारा उदेश्य केबल यह बताना है की तंत्र शास्र में हिजडा का महत्व (Importance of Hijras in Tantra Vidya) आज भी उजागर है और उनका तंत्र विद्या हमारे हिन्दू तंत्र शास्त्र में रामबाण की तरह आज भी काम करता है।
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