Pyar Aur Aakarshan Tantra Prayog :
(१). अश्लेषा नक्ष्त्र में अर्जुन बृक्ष की मूल लाकर बकरे के मूत्र में पीसकर जिस किसी के सिर पर डाला जाएगा बह आकर्षित होगा ।
दिबाली से पहले एक हंडिया में रुपया रख पूजन कर फिर एक मूली न्योता देकर लाबे और बीर्य तथा स्त्री रज रक्त में मिलाकर दिबाली के दिन शमशान में ले जाय । फिर चिता भस्म मिलाकर जिस किसी के मस्तक पर डालें ,आकर्षण तंत्र (Aakarshan Tantra) की प्रबाह से बह आकर्षित होता है ।
स्त्री के बायें पैर की धूल लायें, गिरगिट के रक्त में स्नाकर पुतली बनाकर ह्रदय में उसका नाम लिख मूत्र स्थान में गाढ़ कर उस पर मंत्र करे तो भी बशीकरण होता है ।
२. मंत्र : “ॐ एं एं एं लं लं लं क्रं क्रां ठं ठं स्वाहा ।”
जिसे बुलाना हो उसका मन में स्मरण करके बिधि अनुसार मंत्र पढ़ कुलीरा पक्षी के मांस का 108 बार होम करे तो बह बशीभूत होता है।
३. मंत्र : “ॐ नम: ह्रीं ठं ठ: स्वाहा ।”
उपरोक्त मंत्र का मंगलबार से दस हजार जप सिद्ध करे फिर चूहे की बांबी की मिट्टी, सरसों और बिनौला 21 बार मंत्र पढ़कर जिसे आकर्षण करना हो उसके बस्त्र पर मारे तो अबश्य आकर्षित होती है ।
४. मंत्र : “ॐ नम: भग्बते रुद्राय सदृष्टि लीप नाहर स्वाहा कंसासुर की दुहाई ।”
मंगलबार से प्रारम्भ कर बीस मंगलबार तक 122 मंत्र लगातार पढ़े फिर जप दशांश हबन लिखे अनुसार आकर्षण तंत्र प्रयोग (Aakarshan Tantra Prayog) करे तो भी आकर्षण होता है ।
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