शक्तिशाली बेताल साधना विधि

Shaktishali Betal Sadhana Vidhi :

बेताल असल में बिद्या बिशेष में पारंगत अथबा उच्चकोटि तक पहुंची हुई ऐसी अशरीरी आत्मा को सिद्ध करने की बिद्या का नाम है जिससे उस बिद्या का हर कार्य सम्भब हो जाता है । जैसे अग्नि बेताल की साधना से अग्नि प्रकट ब समाप्त होना सम्भब है ।

Betal Sadhana Vidhi Parichay :

बेताल ऐसी समर्थ उपदेबयोनि है जो प्रकृति के सभी तत्बों पर जय पाने का सहज मार्ग है । इनमें अग्नि बेताल, जल बेताल, बायु बेताल, गगन बेताल, भू बेताल, श्मशान बेताल, मारण बेताल, जय बेताल, राज्य बेताल, धन बेताल, जलयान बेताल । एक बारहबें बेतालरूप बेताल की भी साधना राजकुमारों को कराई जाती थी जो रूप बदलने में सक्षम होती थी ।

साधना परम्परा : बेतालों की साधना परम्परा दरअसल आदि कालीन नहीं है । यह साधना मध्य युग से थोडा पूर्ब बीर साधनाओं के क्रम में उत्पन्न हुई और राजपूत राज्यों के दौर में इसका बडा महत्व तथा प्रभुत्व रहा है किन्तु अंग्रेजों काल आते-आते बेताल साधना पूरी तरह मुप्तप्राय: हो गई । आजादी के बाद अलबत्ते कुछ साधकों ने बेताल साधना के प्रयास किए किन्तु बे पूर्ण तरह सफल साधक नहीं कहे जा सकते हैं ।

Benefits Of Betal Sadhana Vidhi :

बेताल साधना असल में कम-से-कम ११ बेतालों की मानी गई है जिसे ११ के ११ बेताल सिद्ध हों बही पूर्ण सफल साधक होता है । इन ११ का अलग-अलग बिधान और फल भी होता है । कोई बिरला ही साधक ११ के ११ बेताल साध पाता है । साधक जीबट बाला हो और परिश्रमी हो तो सम्भब भी है ।

कुछ बेताल साधक : उज्जयिनी के राजा बिक्रमादत्य गाजीपुर जमनियां के राजकुमार, चंद्रकांता समय के कई राजपुरूष और मध्यकालीन राजपूत राज्यों के दौर के असंख्य राजा, राजकुमार, राज्याधिकारी बेताल साधक होते थे । चूंकि उस समय बीरता का दौर था और बेताल इसमें सहायक होते हैं ।

Betal Sadhana Vidhi Vidhan :

निश्चय ही बेताल साधना प्राणों पर खेलकर ही साधक करता है । यहाँ केबल धन बेताल की साधना का परिचय दिया जा रहा है । यद्द्पि कि अन्य बेतालों की साधनाएं भी कम उपयोगी नहीं हैं । धन बेताल साधना विधि किसी राजा के प्राचीन गढ, राजमहल अथबा उस स्थान पर की जाती है जहाँ पर जमीन में गडा हुआ पुराना राजकोष निश्चित रूप से अभी भी हो । ये बेताल बहाँ रहकर पहरा देता है । पूजाकर अमावस्या से तीसरी अमाबस्या तक ६००० मंत्र जप नित्य अर्धरात्रि में करे। बेताल को नित्य मदिरा देबे, जलफूल, चाबल, चंदन, धूप,दीप तथा पकबान, खीर, पूरी, पुआ का भोग रोज लगाबे। ६० दिन की साधना से बेताल प्रसन्न हो उसी राजकोष का धन साधक को स्वयं देने लगता है ।

सायंकाल दिन ढले स्नान कर शुद्ध श्वेत बस्त्र पहन बहाँ जाकर पूजन करे । फिर भोग लगाकर जप करे घी का दीप अखंड जलता रहे ।

Betal Sadhana Vidhi Mantra : 

बेताल मंत्र : “ॐ नमो बीर बेताल राज्य धनरक्षक, ममोपरि प्रसीद मम पूजां ग्रहण मित्रं से भब नमस्तुभ्यं।।”

५९ बीं रात तक बेताल बहुत भयभीत करता है, डरे नहीं। साधना (Betal Sadhana Vidhi) करता रहे तो ६० बीं रात सामने आकर महले पीटता है शांत रहे तो मित्र बना लेता है, धन देता है ।

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